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Firozabad News: खुद की गलती, लेकिन अपने शिशु पर नहीं आने दी बीमारी की आंच
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फिरोजाबाद। जिले में एचआईवी पीड़ित महिलाओं के बीच जागरूकता और समय पर उपचार का प्रभाव सकारात्मक रूप से देखने को मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस वर्ष में 25 एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिलाओं के प्रसव कराए गए। जिनमें से 24 माताओं ने नियमित उपचार और दवाओं का पालन करते हुए अपने नवजात बच्चों को एचआईवी संक्रमण से बचा लिया।
चिकित्सकों के अनुसार गर्भावस्था के दौरान एचआईवी संक्रमित महिलाओं को विशेष एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) दी जाती है। यह उपचार नियमित रूप से लेने पर गर्भ से शिशु में संक्रमण पहुंचने का खतरा लगभग न के बराबर हो जाता है। इसी कारण अधिकांश महिलाओं ने अपने बच्चों को सुरक्षित रखा।
काउंसलर रेनू तिवारी ने बताया कि विभाग लगातार ऐसे मामलों में निगरानी और सलाह देता है। परंतु इसी बीच एक मामला ऐसा भी सामने आया, जहां एक एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिला ने बीच में दवा छोड़ दी। दवा रोकने के कारण उसका बच्चा जन्म के साथ ही एचआईवी संक्रमित हो गया। उन्होंने बताया कि यदि वह महिला भी बाकियों की तरह उपचार जारी रखती, तो उसका बच्चा भी संक्रमण से बच सकता था।
गर्भवती रखें ध्यान तो एचआईवी से बच सकता है बच्चा
- एचआईवी से पीड़ित महिलाओं को घबराने की आवश्यकता नहीं होती। समय से जांच, निरंतर उपचार और जन्म के बाद शिशु की नियमित जांच होने पर संक्रमण को रोका जा सकता है। साथ ही जन्म के बाद बच्चे को दी जाने वाली शुरुआती खुराक और चिकित्सकीय निगरानी बेहद महत्वपूर्ण होती है। एचआईवी से पीड़ित महिलाएँ गर्भावस्था में किसी भी स्थिति में दवा न छोड़ें और अपनी तथा शिशु की सुरक्षा को प्राथमिकता दें।
डा. नवीन जैन, सीएमएस
-- -- आंकड़ों पर एक नजर
1162 के करीब मरीज 5 वर्ष में संक्रमित मिले
85 के करीब मरीजों की 5 वर्ष में मौत हुई
477 संक्रमित महिलाएं हैं जिले में नियमित उपचार लेने वालों में
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चिकित्सकों के अनुसार गर्भावस्था के दौरान एचआईवी संक्रमित महिलाओं को विशेष एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) दी जाती है। यह उपचार नियमित रूप से लेने पर गर्भ से शिशु में संक्रमण पहुंचने का खतरा लगभग न के बराबर हो जाता है। इसी कारण अधिकांश महिलाओं ने अपने बच्चों को सुरक्षित रखा।
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काउंसलर रेनू तिवारी ने बताया कि विभाग लगातार ऐसे मामलों में निगरानी और सलाह देता है। परंतु इसी बीच एक मामला ऐसा भी सामने आया, जहां एक एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिला ने बीच में दवा छोड़ दी। दवा रोकने के कारण उसका बच्चा जन्म के साथ ही एचआईवी संक्रमित हो गया। उन्होंने बताया कि यदि वह महिला भी बाकियों की तरह उपचार जारी रखती, तो उसका बच्चा भी संक्रमण से बच सकता था।
गर्भवती रखें ध्यान तो एचआईवी से बच सकता है बच्चा
- एचआईवी से पीड़ित महिलाओं को घबराने की आवश्यकता नहीं होती। समय से जांच, निरंतर उपचार और जन्म के बाद शिशु की नियमित जांच होने पर संक्रमण को रोका जा सकता है। साथ ही जन्म के बाद बच्चे को दी जाने वाली शुरुआती खुराक और चिकित्सकीय निगरानी बेहद महत्वपूर्ण होती है। एचआईवी से पीड़ित महिलाएँ गर्भावस्था में किसी भी स्थिति में दवा न छोड़ें और अपनी तथा शिशु की सुरक्षा को प्राथमिकता दें।
डा. नवीन जैन, सीएमएस
1162 के करीब मरीज 5 वर्ष में संक्रमित मिले
85 के करीब मरीजों की 5 वर्ष में मौत हुई
477 संक्रमित महिलाएं हैं जिले में नियमित उपचार लेने वालों में