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Hamirpur News: रमसी सात साल पहले चल बसे पर मनरेगा रजिस्टर में हैं जिंदा
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संवाद न्यूज एजेंसी
हमीरपुर। विकासखंड राठ के बरेल गांव में मनरेगा योजना के तहत कराए जा रहे चकरोड निर्माण कार्य में एक मृतक के नाम से मजदूरी दर्ज की गई है। हार्ट अटैक के कारण सात साल पहले मजदूर की मौत हो चुकी है। योजना की कार्यप्रणाली और निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ग्रामीणों ने मामले की जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।
गांव में रामसिंह के खेत से विद्यासागर के खेत तक चकरोड निर्माण का कार्य मनरेगा योजना के तहत कराया जा रहा है। मास्टर रोल पर इस कार्य में 130 मजदूरों की उपस्थिति दर्ज है। जॉबकार्ड संख्या 96 में दर्ज रमसी (57) का नाम भी शामिल है। जबकि रमसी की लगभग सात वर्ष पूर्व दिल का दौरा पड़ने से मौत हो चुकी है। रमसी के बेटे श्यामकरन ने बताया कि उसके पिता का निधन बहन की शादी के दिन हुआ था। इसके बाद से परिवार खेती कर जीवनयापन कर रहा है।
कहा कि पिता की मौत के कई वर्ष बाद भी उनके नाम से मनरेगा में मजदूरी दर्ज होना गंभीर लापरवाही है। वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि गांव में कई जरूरतमंद मजदूर रोजगार के लिए मनरेगा कार्यों पर निर्भर रहते हैं लेकिन उन्हें नियमित रूप से काम नहीं मिल पाता है। जिम्मेदार कागजों में ऐसे लोगों को कार्यरत दिखाकर गरीबों के हक में डाका डालने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसकी जांच होनी चाहिए।
बीडीओ अनिल पांडेय ने बताया कि उन्हें इस विषय में जानकारी नहीं है। सचिव से बातकर जानकारी की जाएगी। जब उनसे कहा गया कि मनरेगा में डिमांड उनके आदेश से लगती है, तो वह फिर से सचिव से संपर्क करने की बात कहकर टाल दिए।
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हमीरपुर। विकासखंड राठ के बरेल गांव में मनरेगा योजना के तहत कराए जा रहे चकरोड निर्माण कार्य में एक मृतक के नाम से मजदूरी दर्ज की गई है। हार्ट अटैक के कारण सात साल पहले मजदूर की मौत हो चुकी है। योजना की कार्यप्रणाली और निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ग्रामीणों ने मामले की जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।
गांव में रामसिंह के खेत से विद्यासागर के खेत तक चकरोड निर्माण का कार्य मनरेगा योजना के तहत कराया जा रहा है। मास्टर रोल पर इस कार्य में 130 मजदूरों की उपस्थिति दर्ज है। जॉबकार्ड संख्या 96 में दर्ज रमसी (57) का नाम भी शामिल है। जबकि रमसी की लगभग सात वर्ष पूर्व दिल का दौरा पड़ने से मौत हो चुकी है। रमसी के बेटे श्यामकरन ने बताया कि उसके पिता का निधन बहन की शादी के दिन हुआ था। इसके बाद से परिवार खेती कर जीवनयापन कर रहा है।
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कहा कि पिता की मौत के कई वर्ष बाद भी उनके नाम से मनरेगा में मजदूरी दर्ज होना गंभीर लापरवाही है। वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि गांव में कई जरूरतमंद मजदूर रोजगार के लिए मनरेगा कार्यों पर निर्भर रहते हैं लेकिन उन्हें नियमित रूप से काम नहीं मिल पाता है। जिम्मेदार कागजों में ऐसे लोगों को कार्यरत दिखाकर गरीबों के हक में डाका डालने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसकी जांच होनी चाहिए।
बीडीओ अनिल पांडेय ने बताया कि उन्हें इस विषय में जानकारी नहीं है। सचिव से बातकर जानकारी की जाएगी। जब उनसे कहा गया कि मनरेगा में डिमांड उनके आदेश से लगती है, तो वह फिर से सचिव से संपर्क करने की बात कहकर टाल दिए।
