{"_id":"69024df4bdf2b34d630d4704","slug":"pollution-has-made-breathing-difficult-and-in-five-days-70-patients-have-started-inhaler-therapy-hapur-news-c-135-1-hpr1002-132140-2025-10-29","type":"story","status":"publish","title_hn":"Hapur News: प्रदूषण से फूल रहीं सांस, पांच दिन में \n\n70 मरीजों ने शुरू करायी इनहेलर थेरेपी","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
    Hapur News: प्रदूषण से फूल रहीं सांस, पांच दिन में 70 मरीजों ने शुरू करायी इनहेलर थेरेपी
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                संवाद न्यूज एजेंसी
                                
                
                
                 
                    
                                                                                                        
                                                
                        
                        
 
                        
                                                                                      
                   
    
                                                                        
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                                
                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
हापुड़। प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप से जिले के सरकारी अस्पतालों में सांस के रोगी पहुंच रहे हैं। ओपीडी में पांच दिन में करीब करीब 70 मरीज ऐसे पहुंचे हैं जिन्हें सांस लेने में तकलीफ बढ़ने पर दोबारा इनहेलर थेरेपी शुरू करनी पड़ी है। मंगलवार को भी ओपीडी में अस्थमा संबंधी समस्या लेकर 90 से अधिक मरीज आए। इनमें अधिकतर अस्थमा और फेफड़ों से जुड़ी पुरानी बीमारियों की चपेट में हैं।
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
जिला अस्पताल और सीएचसी में मरीजों को इस समय फोराकॉर्ट और अस्थाकिन दो तरह के इनहेलर मरीजों को दिए जा रहे हैं। जिला अस्पताल के चिकित्सक डॉ.संजीव ने बताया कि हवा में धूल और धुएं की मात्रा बढ़ने से अस्थमा और फेफड़ों की पुरानी बीमारियों वाले मरीजों की परेशानी अधिक बढ़ गई है। कई मरीजों को सांस फूलने, खांसी और गले में जलन की शिकायत लेकर ओपीडी में आना पड़ रहा है।    
             
                                                    
                                 
                                
                               
                                                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
अधिकतर मरीजों को फोराकॉर्ट की जरूरत पड़ रही है क्योंकि यह फेफड़ों की सूजन को कम करता है और सांस की नलियों को लंबे समय तक खुला रखता है जो नियमित जरूरत के लिए होता है। इसके अस्थाकिन सिर्फ तत्काल राहत देता है, पर सूजन पर तत्काल असर नहीं करता। ऐसे भी मरीज आ रहे हैं जिन्हें सांस लेने में तकलीफ बढ़ने पर अस्थमा अटैक पड़ने के कारण अस्थाकिन इनहेलर की जरूरत पड़ रही है।
                                
                
                
                                
                
                                                                                     
            
                            
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
मंगलवार को सीएचसी और जिला अस्पताल की ओपीडी में सांस संबंधी समस्या लेकर 90 से ज्यादा मरीज आए, इनमें से केवल 20 से 25 टीबी से जुड़े थे, बाकी श्वसन संबंधी बीमारियों से जुड़े मरीज रहे।
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                                                                
                                
                 
                                
                               
                                
                                                 
                
हर दिन 20 इनहेलर की मांग
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
फार्मेसी के अधिकारियों के अनुसार इनहेलर की मांग में अचानक वृद्धि हुई है। खासतौर पर दिवाली के बाद से रोजाना 20 के आसपास मरीज इनहेलर लेने के लिए लाइनों में लग रहे हैं। उन्होंने बताया कि वैसे तो दोनों तरह के इनहेलर की ही पर्चियां हैं लेकिन उनमें ज्यादातर फोराकॉर्ट की खपत है।
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
सीएमओ डॉ.सुनील त्यागी ने बताया कि सांस लेने में तकलीफ या सीने में जकड़न महसूस होते ही मरीज को तुरंत अस्पताल आना चाहिए। प्रदूषण से बचाव ही सबसे बड़ा उपचार है। इसलिए धूल और धुएं से दूर रहने के लिए मास्क लगाना और डॉक्टर की ओर से दी गई दवा का नियमित सेवन जरूरी है।
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                                                
                                
                                
                
                                                                
                               
                                                        
         
हापुड़। प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप से जिले के सरकारी अस्पतालों में सांस के रोगी पहुंच रहे हैं। ओपीडी में पांच दिन में करीब करीब 70 मरीज ऐसे पहुंचे हैं जिन्हें सांस लेने में तकलीफ बढ़ने पर दोबारा इनहेलर थेरेपी शुरू करनी पड़ी है। मंगलवार को भी ओपीडी में अस्थमा संबंधी समस्या लेकर 90 से अधिक मरीज आए। इनमें अधिकतर अस्थमा और फेफड़ों से जुड़ी पुरानी बीमारियों की चपेट में हैं।
जिला अस्पताल और सीएचसी में मरीजों को इस समय फोराकॉर्ट और अस्थाकिन दो तरह के इनहेलर मरीजों को दिए जा रहे हैं। जिला अस्पताल के चिकित्सक डॉ.संजीव ने बताया कि हवा में धूल और धुएं की मात्रा बढ़ने से अस्थमा और फेफड़ों की पुरानी बीमारियों वाले मरीजों की परेशानी अधिक बढ़ गई है। कई मरीजों को सांस फूलने, खांसी और गले में जलन की शिकायत लेकर ओपीडी में आना पड़ रहा है।
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            अधिकतर मरीजों को फोराकॉर्ट की जरूरत पड़ रही है क्योंकि यह फेफड़ों की सूजन को कम करता है और सांस की नलियों को लंबे समय तक खुला रखता है जो नियमित जरूरत के लिए होता है। इसके अस्थाकिन सिर्फ तत्काल राहत देता है, पर सूजन पर तत्काल असर नहीं करता। ऐसे भी मरीज आ रहे हैं जिन्हें सांस लेने में तकलीफ बढ़ने पर अस्थमा अटैक पड़ने के कारण अस्थाकिन इनहेलर की जरूरत पड़ रही है।
मंगलवार को सीएचसी और जिला अस्पताल की ओपीडी में सांस संबंधी समस्या लेकर 90 से ज्यादा मरीज आए, इनमें से केवल 20 से 25 टीबी से जुड़े थे, बाकी श्वसन संबंधी बीमारियों से जुड़े मरीज रहे।
हर दिन 20 इनहेलर की मांग
फार्मेसी के अधिकारियों के अनुसार इनहेलर की मांग में अचानक वृद्धि हुई है। खासतौर पर दिवाली के बाद से रोजाना 20 के आसपास मरीज इनहेलर लेने के लिए लाइनों में लग रहे हैं। उन्होंने बताया कि वैसे तो दोनों तरह के इनहेलर की ही पर्चियां हैं लेकिन उनमें ज्यादातर फोराकॉर्ट की खपत है।
सीएमओ डॉ.सुनील त्यागी ने बताया कि सांस लेने में तकलीफ या सीने में जकड़न महसूस होते ही मरीज को तुरंत अस्पताल आना चाहिए। प्रदूषण से बचाव ही सबसे बड़ा उपचार है। इसलिए धूल और धुएं से दूर रहने के लिए मास्क लगाना और डॉक्टर की ओर से दी गई दवा का नियमित सेवन जरूरी है।
