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Hardoi News: मेडिकल कॉलेज में सांस दिए बिना दम तोड़ गए दो करोड़ रुपये के 15 वेंटिलेटर
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हरदोई। पीएम केयर फंड से कोविड संक्रमण की दूसरी लहर में मेडिकल कॉलेज को मिले 69 वेंटिलेटरों में से 15 बिना इस्तेमाल के ही खराब हो गए। इन वेंटिलेटरों की अनुमानित कीमत दो करोड़ रुपये है। सधे शब्दों में कहें तो गंभीर मरीजों को सांस देने वाले वेंटिलेटर किसी को सांस दिए बिना ही दम तोड़ गए।
कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान पीएम केयर फंड से हरदोई मेडिकल कॉलेज को 69 वेंटिलेटर उपलब्ध कराए गए थे। दरअसल कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की हालत लगातार बिगड़ रही थी। महामारी से लोगों को बचाने के लिए जिम्मेदार हर संभव प्रयास कर रहे थे और इसी क्रम में वेंटिलेटर मिले थे। बीती एक नवंबर को मल्लावां के ही एक ईंट भट्ठे पर काम करने वाली सुखवारा की हालत बिगड़ गई थी। मेडिकल कॉलेज में उसे वेंटिलेटर की जरूरत बताते हुए लखनऊ रेफर कर दिया गया था।
लखनऊ में भी मेडिकल कॉलेज और बलरामपुर अस्पताल में वेंटिलेटर न मिलने के कारण वह भटकती रही थी और अंतत: लोहिया संस्थान पहुंचकर उसकी मौत हो गई थी। इस पर अमर उजाला ने 69 वेंटिलेटर होने और इनके धूल फांकने की खबर प्रकाशित की। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जेबी गोगोई का दावा है कि वेंटिलेटरों की जांच कराई गई है। इनमें से 15 वेंटिलेटर बिल्कुल खराब हैं। प्राचार्य का दावा है कि वह प्रयास कर रहे हैं कि इस माह कम से कम दो वेंटिलेटर जरूर चल जाएं।
गलती सुधारने की जगह छिपाने की हो रही कवायद
पीएम केयर फंड से वेंटिलेटर मिले। वेंटिलेटर इस्तेमाल न होने के कारण खराब हो गए। खराब वेंटिलेटरों को सर्जिकल वार्ड के एक हॉल में रखवा दिया गया। यहां ताला जड़ दिया गया। अमर उजाला ने सवाल उठाने शुरू किए तो यहां से वेंटिलेटर हटवा दिए गए। वेंटिलेटर कहां रखे हैं के सवाल पर ज्यादातर जिम्मेदार चुप्पी साधकर पर्दा डालने की कोशिश ही कर रहे हैं।
चार साल में भर्ती हुए 300 कर्मचारी, वेंटिलेटर चलाने वाला कोई नहीं
वर्ष 2021 के बाद से मेडिकल कॉलेज में आउट सोर्सिंग के जरिए लगभग तीन सौ कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है। इनमें लैब सहायक, कंप्यूटर ऑपरेटर, बहुउद्देशीय कर्मचारी भी शामिल हैं। इतने कर्मचारियो की भर्ती किए जाने के बाद भी एक भी वेंटिलेटर टेक्नीशियन या संचालक की तैनाती जनपद में नहीं की गई। प्राचार्य डॉ. जेबी गोगोई स्वीकार करते हैं कि मेडिकल कॉलेज में वेंटिलेटर चलाने के लिए कर्मचारियों की तैनाती नहीं हुई है।
मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड के प्रभारी डॉ. अमित आनंद को 10 अगस्त को वेंटिलेटर चलाने का प्रशिक्षण लखनऊ मेडिकल कॉलेज में दिया गया था। इमरजेंसी वार्ड में रहने वाले कुछ कर्मचारियों को उन्होंने प्रशिक्षण दिया था। अब डॉ. अमित ही अन्य विभागों के चिकित्सकों और स्टाफ को प्रशिक्षित करेंगे। सभी विभागाध्यक्षों की एक कमेटी भी बनाई है। यह कमेटी इस पर विचार कर रही है कि आखिर वेंटिलेटरों का संचालन कैसे किया जा सकता है। -डॉ. जेबी गोगोई, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज
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कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान पीएम केयर फंड से हरदोई मेडिकल कॉलेज को 69 वेंटिलेटर उपलब्ध कराए गए थे। दरअसल कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की हालत लगातार बिगड़ रही थी। महामारी से लोगों को बचाने के लिए जिम्मेदार हर संभव प्रयास कर रहे थे और इसी क्रम में वेंटिलेटर मिले थे। बीती एक नवंबर को मल्लावां के ही एक ईंट भट्ठे पर काम करने वाली सुखवारा की हालत बिगड़ गई थी। मेडिकल कॉलेज में उसे वेंटिलेटर की जरूरत बताते हुए लखनऊ रेफर कर दिया गया था।
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लखनऊ में भी मेडिकल कॉलेज और बलरामपुर अस्पताल में वेंटिलेटर न मिलने के कारण वह भटकती रही थी और अंतत: लोहिया संस्थान पहुंचकर उसकी मौत हो गई थी। इस पर अमर उजाला ने 69 वेंटिलेटर होने और इनके धूल फांकने की खबर प्रकाशित की। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जेबी गोगोई का दावा है कि वेंटिलेटरों की जांच कराई गई है। इनमें से 15 वेंटिलेटर बिल्कुल खराब हैं। प्राचार्य का दावा है कि वह प्रयास कर रहे हैं कि इस माह कम से कम दो वेंटिलेटर जरूर चल जाएं।
गलती सुधारने की जगह छिपाने की हो रही कवायद
पीएम केयर फंड से वेंटिलेटर मिले। वेंटिलेटर इस्तेमाल न होने के कारण खराब हो गए। खराब वेंटिलेटरों को सर्जिकल वार्ड के एक हॉल में रखवा दिया गया। यहां ताला जड़ दिया गया। अमर उजाला ने सवाल उठाने शुरू किए तो यहां से वेंटिलेटर हटवा दिए गए। वेंटिलेटर कहां रखे हैं के सवाल पर ज्यादातर जिम्मेदार चुप्पी साधकर पर्दा डालने की कोशिश ही कर रहे हैं।
चार साल में भर्ती हुए 300 कर्मचारी, वेंटिलेटर चलाने वाला कोई नहीं
वर्ष 2021 के बाद से मेडिकल कॉलेज में आउट सोर्सिंग के जरिए लगभग तीन सौ कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है। इनमें लैब सहायक, कंप्यूटर ऑपरेटर, बहुउद्देशीय कर्मचारी भी शामिल हैं। इतने कर्मचारियो की भर्ती किए जाने के बाद भी एक भी वेंटिलेटर टेक्नीशियन या संचालक की तैनाती जनपद में नहीं की गई। प्राचार्य डॉ. जेबी गोगोई स्वीकार करते हैं कि मेडिकल कॉलेज में वेंटिलेटर चलाने के लिए कर्मचारियों की तैनाती नहीं हुई है।
मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड के प्रभारी डॉ. अमित आनंद को 10 अगस्त को वेंटिलेटर चलाने का प्रशिक्षण लखनऊ मेडिकल कॉलेज में दिया गया था। इमरजेंसी वार्ड में रहने वाले कुछ कर्मचारियों को उन्होंने प्रशिक्षण दिया था। अब डॉ. अमित ही अन्य विभागों के चिकित्सकों और स्टाफ को प्रशिक्षित करेंगे। सभी विभागाध्यक्षों की एक कमेटी भी बनाई है। यह कमेटी इस पर विचार कर रही है कि आखिर वेंटिलेटरों का संचालन कैसे किया जा सकता है। -डॉ. जेबी गोगोई, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज