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Hardoi News: वेंटिलेटर की तरह आज तक इस्तेमाल नहीं हुईं मरीजों को सांस देने में कारगर बाईपैप मशीनें

Kanpur	 Bureau कानपुर ब्यूरो
Updated Sun, 02 Nov 2025 10:19 PM IST
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BiPAP machines, which are effective in providing breathing support to patients, have not been used like ventilators.
फोटो-29-सीएचसी हरपालपुर में बाईपैप मशीन दिखाने के लिए गत्ता खोलता कर्मचारी। संवाद
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हरदोई। मेडिकल कॉलेज के 69 वेंटिलेटर की तरह ही जनपद में 12 बाईपैप मशीनें भी अब तक इस्तेमाल में नहीं आई हैं। अमर उजाला में प्रकाशित हुई खबर के बाद स्वास्थ्य विभाग ने मशीनें खोज लेने का दावा किया लेकिन इनका इस्तेमाल कभी न हाेने की भी पुष्टि हुई है। यह बाईपैप मशीनें सवायजपुर विधायक माधवेंद्र प्रताप सिंह रानू की क्षेत्रीय विकास निधि से वर्ष 2021 में कोविड संक्रमण की दूसरी लहर में खरीदी गई थीं।

मल्लावां में एक ईंट भट्ठे पर काम करने वाली सुखवासा (35) को शनिवार सुबह वेंटिलेटर खराब होने के कारण मेडिकल कॉलेज से लखनऊ रेफर किया गया था। वहां भी उसे मेडिकल कॉलेज और बलरामपुर अस्पताल में वेंटिलेटर नहीं मिल पाया था। लोहिया संस्थान में वेंटिलेटर मिला लेकिन तब तक सुखवासा की मौत हो चुकी थी। वेंटिलेटर की तरह ही किसी की भी जान बचाने में काम आने वाली बाईपैप मशीन भी जनपद में हैं। इन मशीनों का इस्तेमाल भी खरीदे जाने के बाद से आज तक नहीं हुआ है।
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दरअसल, कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से बड़ी संख्या में मौत होने का दावा किया जा रहा था। संकट के समय सांसदों और विधायकों ने ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक उपकरण खरीदने के लिए अपनी निधि भी दी थी। इसी क्रम में सवायजपुर विधायक माधवेंद्र प्रताप सिंह रानू ने 20 बाईपैप मशीनें खरीदने के लिए पत्र तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी को 12 मई 2021 को लिखा था।
इसी आधार पर सीएमओ को कार्यदायी संस्था बनाते हुए विस्तृत आगणन तैयार किया गया था। आगणन के मुताबिक 20 बाईपैप मशीनों पर 9,98,000 रुपये खर्च होने थे। सवायजपुर विधायक ने इस पर सहमति जता दी थी। ग्राम्य विकास अभिकरण के तत्कालीन परियोजना निदेशक ने नियम के मुताबिक बाईपैप मशीन खरीदने के लिए 60 फीसदी बजट के तौर पर 5,98,800 रुपये की पहली किस्त भी जारी कर दी थी।
इसके बाद से मामला ठंडे बस्ते में चला गया। बीती अगस्त अमर उजाला ने यह मुद्दा उठाया और डीएम ने खबर का संज्ञान लेकर सख्त रुख दिखाया। इसके एक सप्ताह बाद स्वास्थ्य विभाग ने दावा किया कि बाईपैप मशीनें हरपालपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को आवंटित कर दी गई थीं। हरपालपुर के स्टोर में यह मशीनें एक गत्ते में बंद पड़ी हैं। ज्यादातर लोगों को यह पता ही नहीं है कि बाईपैप मशीन भी सीएचसी में हैं।





स्वास्थ्य महकमे ने मांगी नहीं थी दूसरी किस्त, बचे रुपये भी वापस नहीं किए
20 बाईपैप मशीन खरीदने के लिए 9,98,000 रुपये का एस्टीमेट तैयार हुआ था। इसी आधार पर बाईपैप मशीन खरीदने के लिए 60 फीसदी रकम की पहली किस्त (5,98,100 रुपये) भी जारी की गई। पहली किस्त का इस्तेमाल होने पर दूसरी किस्त मांगी जाती है। स्वास्थ्य विभाग ने दूसरी किस्त मांगी ही नहीं। हकीकत यह है कि 20 की जगह 12 बाईपैप मशीनें खरीदी गईं। इन पर 5.40 लाख रुपये खर्च हुए। पहली किस्त के बचे हुए रुपये भी डीआरडीए को वापस नहीं किए गए।

इनसेट
इसलिए जरूरी है बाईपैप मशीन

बाईपैप मशीन ऑक्सीजन को मरीज तक तेज गति से पहुंचाने में सहायक होती है। सांस के मरीजों को आपात स्थिति में यह मशीन मदद पहुंचाती है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ऑक्सीजन का लेवल ही मरीजों में कम हो रहा था। इसीलिए इसकी उपयाेगिता देखते हुए सवायजपुर विधायक ने निधि दी थी।

वर्जन
हरपालपुर सीएचसी को बाईपैप मशीनें दे दी गई थीं। स्टॉक रजिस्टर पर भी इसका ब्योरा दर्ज है। 15 फरवरी 2022 को बाईपैप मशीन सीएचसी हरपालपुर को दी गई थीं। -डाॅ. जितेंद्र श्रीवास्तव, डिप्टी सीएमओ

हां, बाईपैप मशीनें हैं। इनका इस्तेमाल तो नहीं होता है। कोविड काल में मिली थीं। तब से रखी हुई हैं। -डॉ. आनंद पांडेय, सीएचसी अधीक्षक, हरपालपुर


हमारे पास आठ बाईपैप मशीनें हैं। चार सीएचसी हरपालपुर के लिए मिली थीं और दो-दो अलग-अलग पीएचसी के लिए। इनका इस्तेमाल नहीं हो रहा है। पैक रखी हुई हैं। -जागेश्वर फार्मासिस्ट, सीएचसी हरपालपुर





वर्जन

कुछ बाईपैप मशीनें मेडिकल कॉलेज में हैं। हालांकि, इनका इस्तेमाल अब तक नहीं हुआ है। यह मशीन किस योजना या बजट से मिली हैं, इसकी जानकारी फिलहाल नहीं है। कितनी बाईपैप मशीनें हैं यह भी बताना फिलहाल संभव नहीं है। -डॉ. शिवम यादव, मीडिया प्रभारी, मेडिकल कॉलेज

फोटो-29-सीएचसी हरपालपुर में बाईपैप मशीन दिखाने के लिए गत्ता खोलता कर्मचारी। संवाद

फोटो-29-सीएचसी हरपालपुर में बाईपैप मशीन दिखाने के लिए गत्ता खोलता कर्मचारी। संवाद

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