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कक्षा दो के छात्र की हत्या: कोर्ट ने कृतार्थ के पिता के आरोपों को माना निराधार, प्रार्थना पत्र किया खारिज
अमर उजाला नेटवर्क, हाथरस
Published by: चमन शर्मा
Updated Fri, 19 Dec 2025 11:44 AM IST
सार
सत्र न्यायालय में दिए प्रार्थना पत्र में केस डायरी में पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध होने का कथन करते हुए हत्या एवं आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में आरोप तय (चार्ज फ्रेम) करने की प्रार्थना की गई। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कृतार्थ के पिता के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।
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मृतक कृतार्थ
- फोटो : फाइल फोटो
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विस्तार
हाथरस न्यायालय ने डीएल पब्लिक स्कूल के प्रबंधक सहित पांच लोगों पर हत्या एवं आपराधिक षडयंत्र की धाराओं में आरोप तय करने के लिए दिए गए प्रार्थना पत्र को निराधार मानते हुए खारिज कर दिया है। यह प्रार्थना पत्र कृतार्थ के पिता ने दिया था। इस मामले में 23 दिसंबर की तिथि नियत की गई है।
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22 सितंबर 2024 की रात डीएल पब्लिक स्कूल रसगवां के हॉस्टल में कक्षा दो के छात्र कृतार्थ की हत्या कर दी गई थी। अगले दिन उसका शव स्कूल प्रबंधक की गाड़ी में सादाबाद में मिला था। इस मामले में पुलिस ने स्कूल प्रबंधक दिनेश बघेल, उसके पिता जसोदन, प्रधानाचार्य सहित पांच लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। बाद में ही कॉलेज के ही एक छात्र को हत्या में गिरफ्तार कर घटना का खुलासा किया था और पूर्व में गिरफ्तार आरोपियों से हत्या की धारा हटा दी थी।
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कृतार्थ के पिता श्री कृष्ण ने सत्र न्यायाधीश विनय कुमार तृतीय के न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल किया। प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया गया था कि उनके पुत्र कृतार्थ की हत्या में 26 सितंबर 2024 को आरोपी स्कूल प्रबंधक दिनेश बघेल, पिता जसोदन सिंह, प्रधानाचार्य लक्ष्मण सिंह, राम प्रकाश सोलंकी एवं वीरपाल उर्फ वीरू को गिरफ्तार कर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में पेश किया और वहां से हत्या एवं आपराधिक षड्यंत्र के अपराध में न्यायिक अभिरक्षा में रिमांड स्वीकृत हुआ था। उसके बाद अचानक विवेचक ने 23 दिसंबर 2024 को उनके खिलाफ धाराओं को कम करके साक्ष्य को छिपाने व अपराध की सूचना जान बूझकर न देने की धाराओं में आरोप पत्र प्रस्तुत कर दिया।
सत्र न्यायालय में दिए प्रार्थना पत्र में केस डायरी में पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध होने का कथन करते हुए हत्या एवं आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में आरोप तय (चार्ज फ्रेम) करने की प्रार्थना की गई। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कृतार्थ के पिता के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। न्यायालय ने कहा है कि यदि अभियोजन द्वारा विचारण के दौरान अभियुक्तों के विरुद्ध अन्य कोई साक्ष्य प्रस्तुत किया जाता है तब न्यायालय में उस साक्ष्य पर विचार किया जा सकता है और विचारण के दौरान भी आरोपों को परिवर्तित किया जा सकता है।
