Swachh Bharat Mission: कचरा प्रबंधन केंद्रों को ही बना डाला कूड़ाघर, कहीं पाथे जा रहे उपले तो कहीं बंधी भैंस
ग्राम पंचायतों में डोर-टु-डोर कूड़ा कलेक्शन न होने के चलते खुले में कूड़ा फेंका जा रहा है। इस कारण गंदगी के साथ-साथ दुर्गंध और बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है।
विस्तार
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत गांवों को कचरा मुक्त बनाने के उद्देश्य से लाखों रुपये की लागत से बनाए गए एकीकृत ठोस कचरा प्रबंधन केंद्र (आरआरसी) हाथरस जिले की 435 ग्राम पंचायतों में शोपीस बनकर रह गए हैं। अधिकांश केंद्रों पर ताले लटके हुए हैं। आलम यह है कि कई केंद्र जर्जर होते जा रहे हैं। कचरा प्रबंधन के बजाय उनके बाहर ही उपले पाथे जा रहे हैं, जिससे स्वच्छता अभियान की जमीनी हकीकत पर सवाल खड़े हो गए हैं।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए इन केंद्रों का उद्देश्य कचरे का पृथक्करण कर उसका सुरक्षित निस्तारण करना था, लेकिन संचालन के अभाव में सरकारी धन का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। ग्राम पंचायतों में इन केंद्रों का निर्माण करीब छह से लाख रुपये की लागत से तैयार किया गया था।
ग्राम पंचायतों में डोर-टु-डोर कूड़ा कलेक्शन न होने के चलते खुले में कूड़ा फेंका जा रहा है। इस कारण गंदगी के साथ-साथ दुर्गंध और बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है। यहां तक कि इन केंद्राें के संचालन की निगरानी में लापरवाही बरती जा रही है। इस कारण लाखों रुपये की लागत से बने यह केंद्र दिखावटी बनकर रह गए हैं।
आरसीसी के संचालन के लिए ग्राम पंचायतों में कर्मचारी रखा जाता है। कूड़ा संकलन से मिलने वाली धनराशि से इस कर्मचारी को भुगतान किए जाने की व्यवस्था है। ग्राम पंचायतों में आरआरसी को क्रियाशील कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।-राकेशबाबू, सहायक जिला पंचायतराज अधिकारी
भुर्रका में आरआरसी पर पाथे जा रहे उपले
ग्राम पंचायत भुर्रका के गढ़ी राधे स्थित आरआरसी के मुख्य गेट पर ताला लटका हुआ था और मुख्य गेट के आगे ही ग्रामीणों ने बड़ी संख्या में उपले पाथ रखे थे। कूड़े के वैज्ञानिक निस्तारण के लिए बनाए गए इस केंद्र का उपयोग न होने से गांव में कचरा प्रबंधन की व्यवस्था पूरी तरह ठप पड़ी है। ग्रामीणों ने बताया कि आरआरसी बनने के बाद शुरुआती कुछ दिनों तक गतिविधि दिखाई दी, लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया। नतीजतन, गांव में कूड़ा खुले में फेंका जा रहा है। ग्रामीणों ने संबंधित विभाग व पंचायत प्रशासन से आरआरसी को नियमित रूप से संचालित कराने और गांव को वास्तव में कूड़ा मुक्त बनाने की मांग की है।
जर्जर हो चुका है लढ़ौता का केंद्र
ब्लॉक सासनी के गांव लढ़ौता में आरआरसी पूरी तरह से जर्जर हो गया है। यहां केंद्र का फर्श टूटा पड़ा है। इस केंद्र पर बनने के बाद आज तक कचरा एकत्रित कर नहीं पहुंचाया गया है। आलम यह है कि गांव में करीब आठ लाख रुपये की लागत से बना यह केंद्र खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। केंद्र के बाहर भैसों को बांधा जा रहा है। कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। यह तस्वीर स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण को आईना दिखा रही है।
कपूरा का केंद्र पड़ा है निष्क्रिय
आरआरसी कपूरा भी निष्क्रिय पड़ा हुआ है। इस ग्राम पंचायत में भी कचरे का निस्तारण नहीं किया जा रहा है। इस कारण करीब आठ लाख रुपये की लागत से बना यह केंद्र दिखावटी बना हुआ है। केंद्र पर ताला लटका है। इस ग्राम पंचायत में भी डोर-टु-डोर कूड़े का संकलन नहीं हो पा रहा है।
