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Jalaun News: पूर्व प्रधान व उसके भाई की हत्या में पूर्व बसपा विधायक को आजीवन कारावास
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फोटो - 01 पूर्व विधायक को जिला कारागार ले जाती पुलिस। संवाद
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उरई। एमपी-एमएलए कोर्ट ने गुरुवार को 31 साल पुराने पूर्व प्रधान व उसके बड़े भाई की हत्या में बसपा से पूर्व विधायक रहे छोटे सिंह चौहान को आजीवन कारावास सुना दिया। उस पर 71 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। इससे पहले फरार चल रहे पूर्व विधायक ने वकील की वेशभूषा में सुबह 10:35 मिनट पर कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। सजा होने के बाद पूर्व विधायक को कड़ी सुरक्षा के बीच जिला अस्पताल फिर जेल ले जाया गया। पूर्व विधायक वर्तमान में भाजपा में है।
चुर्खी थाना क्षेत्र के बिनौरा वैध गांव में 30 मई 1994 को प्रधानी चुनाव की रंजिश व वर्चस्व को लेकर पूर्व प्रधान राजकुमार उर्फ राजा भइया और उसके सगे भाई जगदीश शरण की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। एमपी-एमएलए कोर्ट ने इस मामले में आठ सितंबर को बसपा के पूर्व विधायक को दोषी करार दिया था। सुनवाई के दौरान पूर्व विधायक कोर्ट में नहीं पहुंचा था। उसने अपने अधिवक्ता के जरिये हाजिरी माफी भेजी थी। कोर्ट ने हाजिरी माफी खारिज करते हुए पुलिस को आदेश दिए थे कि 11 सितंबर को सजा सुनाई जाएगी, छोटे सिंह को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाए। इसके बाद से पुलिस की तीन टीमें फरार पूर्व विधायक की तलाश कर रही थीं।
बुधवार को फरार पूर्व विधायक ने सोशल मीडिया पर अपने को राजनैतिक साजिश का शिकार बताते हुए समर्थकों से न्यायालय के बाहर आने की अपील की थी। इस पर गुरुवार को 14 थानों का फोर्स व पीएससी की टीमें न्यायालय के बाहर लगा दी गईं थीं।
सुबह से ही भारी संख्या में पुलिस फोर्स के लगे होने के बाद भी पूर्व विधायक वकील की वेशभूषा में न्यायालय के बाहर पहुंच गया और एक दुकान पर खड़ा हो गया। भीड़ होते ही वह कोर्ट में घुस गया और कपड़े बदलकर कटघरे में खड़ा हो गया। इसके बाद जब पुलिस को सूचना मिली तो खलबली मच गई। कुछ देर के लिए न्यायालय के अंदर व बाहर आने-जाने के लिए सभी की पाबंदी कर दी गई।
इसके बाद दोनों पक्षों के अधिवक्ता पहुंचे और विशेष न्यायाधीश भारतेंदु सिंह ने 11 बजकर 10 मिनट पर दोहरे हत्याकांड का फैसला सुनाते हुए पूर्व विधायक छोटे सिंह चौहान को आजीवन कारावास और 71 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। सजा होते ही पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। इसके बाद वीआईपी द्वार से पुलिस उसे वैन में ले गई और कड़ी सुरक्षा के बीच उसे जिला अस्पताल ले जाया गया। मेडिकल परीक्षण के बाद उसे जिला कारागार भेजा गया।
यह था मामला
चुर्खी थाना क्षेत्र के बिनौरा वैध गांव में दोनों भाइयों की हत्या की तहरीर उनके भाई राम कुमार ने घटना वाले दिन 30 मई 1994 को ही दी थी। इसमें बताया था कि दोपहर करीब 12:30 बजे वह अपने कोठी वाले मकान के बरामदे में बड़े भाई जगदीश शरण, राज कुमार उर्फ राजा भैया, भतीजे कुलदीप कुमार, जीजा रामेंद्र सेन, गांव के ही वीरेंद्र सिंह व राम करन तिवारी के साथ बैठकर बातचीत कर रहा था। इसी दौरान गांव के ही रुद्रपाल सिंह उर्फ लल्ले गुर्जर, राजा सिंह, संतावन सिंह गुर्जर, करन सिंह उर्फ कल्ले व दो अज्ञात उसके फाटक के अंदर घुस आए। सभी लोग हाथों में बंदूकें व राइफल लिए थे।
रुद्र ने चिल्लाकर कहा कि सभी को घेर लो कोई जिंदा न बच पाए। इसके बाद इन लोगों ने बंदूक और राइफलों से फायरिंग कर दी। गोली लगने से उसके राजकुमार उर्फ राजा भइया व जगदीश शरण की मौके पर ही मौत हो गई थी। वीरेंद्र सिंह भी घायल हो गया था।
पुलिस की विवेचना में दोहरे हत्याकांड में छोटे सिंह व अखिलेश कृष्ण मुरारी, बच्चा सिंह, छुन्ना सिंह के नाम शामिल किए गए थे। 18 फरवरी 1995 को सभी आरोपियों का मुकदमा जिला एवं सत्र न्यायालय मेंं शुरू हुआ था।
वर्ष 2007 में बसपा के टिकट पर कालपी विधानसभा से छोटे सिंह चौहान विधायक बन गए थे। हाईकोर्ट से जमानत होने के बाद मुकदमे को उत्तर प्रदेश सरकार एवं राज्यपाल द्वारा वापस लिया गया था। छोटे सिंह की पत्रावली अपर सत्र एफटीसी से दिनांक 19 मई 2012 से समाप्त कर दिया गया था। इसके बाद वादी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जहां से राज्यपाल के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया। एमपी-एमएलए कोर्ट में शीघ्र सुनवाई का आदेश दिया था। 24 मई 2024 को एमपी एमएलए कोर्ट में मुकदमा आया था।

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चुर्खी थाना क्षेत्र के बिनौरा वैध गांव में 30 मई 1994 को प्रधानी चुनाव की रंजिश व वर्चस्व को लेकर पूर्व प्रधान राजकुमार उर्फ राजा भइया और उसके सगे भाई जगदीश शरण की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। एमपी-एमएलए कोर्ट ने इस मामले में आठ सितंबर को बसपा के पूर्व विधायक को दोषी करार दिया था। सुनवाई के दौरान पूर्व विधायक कोर्ट में नहीं पहुंचा था। उसने अपने अधिवक्ता के जरिये हाजिरी माफी भेजी थी। कोर्ट ने हाजिरी माफी खारिज करते हुए पुलिस को आदेश दिए थे कि 11 सितंबर को सजा सुनाई जाएगी, छोटे सिंह को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाए। इसके बाद से पुलिस की तीन टीमें फरार पूर्व विधायक की तलाश कर रही थीं।
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बुधवार को फरार पूर्व विधायक ने सोशल मीडिया पर अपने को राजनैतिक साजिश का शिकार बताते हुए समर्थकों से न्यायालय के बाहर आने की अपील की थी। इस पर गुरुवार को 14 थानों का फोर्स व पीएससी की टीमें न्यायालय के बाहर लगा दी गईं थीं।
सुबह से ही भारी संख्या में पुलिस फोर्स के लगे होने के बाद भी पूर्व विधायक वकील की वेशभूषा में न्यायालय के बाहर पहुंच गया और एक दुकान पर खड़ा हो गया। भीड़ होते ही वह कोर्ट में घुस गया और कपड़े बदलकर कटघरे में खड़ा हो गया। इसके बाद जब पुलिस को सूचना मिली तो खलबली मच गई। कुछ देर के लिए न्यायालय के अंदर व बाहर आने-जाने के लिए सभी की पाबंदी कर दी गई।
इसके बाद दोनों पक्षों के अधिवक्ता पहुंचे और विशेष न्यायाधीश भारतेंदु सिंह ने 11 बजकर 10 मिनट पर दोहरे हत्याकांड का फैसला सुनाते हुए पूर्व विधायक छोटे सिंह चौहान को आजीवन कारावास और 71 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। सजा होते ही पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। इसके बाद वीआईपी द्वार से पुलिस उसे वैन में ले गई और कड़ी सुरक्षा के बीच उसे जिला अस्पताल ले जाया गया। मेडिकल परीक्षण के बाद उसे जिला कारागार भेजा गया।
यह था मामला
चुर्खी थाना क्षेत्र के बिनौरा वैध गांव में दोनों भाइयों की हत्या की तहरीर उनके भाई राम कुमार ने घटना वाले दिन 30 मई 1994 को ही दी थी। इसमें बताया था कि दोपहर करीब 12:30 बजे वह अपने कोठी वाले मकान के बरामदे में बड़े भाई जगदीश शरण, राज कुमार उर्फ राजा भैया, भतीजे कुलदीप कुमार, जीजा रामेंद्र सेन, गांव के ही वीरेंद्र सिंह व राम करन तिवारी के साथ बैठकर बातचीत कर रहा था। इसी दौरान गांव के ही रुद्रपाल सिंह उर्फ लल्ले गुर्जर, राजा सिंह, संतावन सिंह गुर्जर, करन सिंह उर्फ कल्ले व दो अज्ञात उसके फाटक के अंदर घुस आए। सभी लोग हाथों में बंदूकें व राइफल लिए थे।
रुद्र ने चिल्लाकर कहा कि सभी को घेर लो कोई जिंदा न बच पाए। इसके बाद इन लोगों ने बंदूक और राइफलों से फायरिंग कर दी। गोली लगने से उसके राजकुमार उर्फ राजा भइया व जगदीश शरण की मौके पर ही मौत हो गई थी। वीरेंद्र सिंह भी घायल हो गया था।
पुलिस की विवेचना में दोहरे हत्याकांड में छोटे सिंह व अखिलेश कृष्ण मुरारी, बच्चा सिंह, छुन्ना सिंह के नाम शामिल किए गए थे। 18 फरवरी 1995 को सभी आरोपियों का मुकदमा जिला एवं सत्र न्यायालय मेंं शुरू हुआ था।
वर्ष 2007 में बसपा के टिकट पर कालपी विधानसभा से छोटे सिंह चौहान विधायक बन गए थे। हाईकोर्ट से जमानत होने के बाद मुकदमे को उत्तर प्रदेश सरकार एवं राज्यपाल द्वारा वापस लिया गया था। छोटे सिंह की पत्रावली अपर सत्र एफटीसी से दिनांक 19 मई 2012 से समाप्त कर दिया गया था। इसके बाद वादी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जहां से राज्यपाल के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया। एमपी-एमएलए कोर्ट में शीघ्र सुनवाई का आदेश दिया था। 24 मई 2024 को एमपी एमएलए कोर्ट में मुकदमा आया था।
फोटो - 01 पूर्व विधायक को जिला कारागार ले जाती पुलिस। संवाद
फोटो - 01 पूर्व विधायक को जिला कारागार ले जाती पुलिस। संवाद
फोटो - 01 पूर्व विधायक को जिला कारागार ले जाती पुलिस। संवाद