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Jalaun News: जांच के लिए तीन विधायक व एक मंत्री ने लिखा पत्र
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उरई। जिले में समाज कल्याण विभाग की योजनाओं में गड़बड़ी सामने आई है। फर्जी दस्तावेजों के सहारे वृद्धाश्रम चलाने का दावा करने वाली संस्था का सच तब सामने आया जब जांच में पाया गया कि वृद्धाश्रम वास्तव में एक सिनेमा हॉल में कागजों पर दिखाया जा रहा है।
इस पूरे मामले की शिकायत प्रयागराज निवासी सभाकांत मिश्र ने शुक्रवार को जिलाधिकारी से की। उन्होंने आरोप लगाए और दावा किया कि अधिकारियों की मिलीभगत से संस्था को लाभ पहुंचाया गया। उन्होंने बताया कि इससे पहले अपनी शिकायत और सबूत सीधे तीन विधायकों और एक मंत्री तक भेजे थे। प्रयागराज की विधानसभा फूलपुर से विधायक दीपक पटेल ने 25 मई को पत्र भेजा, अपना दल एस के बार विधानसभा के विधायक वाचस्पति ने 23 मई को पत्र भेजा, शहरी उत्तरी से विधायक हर्षवर्धन बाजपेई ने 26 मई को पत्र भेजा साथ ही यह पत्र राज्य मंत्री समाज कल्याण विभाग असीम अरुण को भेजे गए तो उन्होंने इन पत्रों के बाद ही शासन और निदेशालय ने मामले को गंभीरता से लिया और विस्तृत जांच कराने का निर्देश दिया। शुरुआत में जिला समाज कल्याण अधिकारी और एसडीएम ने दो सदस्यीय जांच की थी, इसके बाद जब 1 जुलाई 2025 को तीन सदस्यीय समिति गठित हुई, तो पूरे मामले का खुलासा हो गया। टीम ने मौके पर जाकर देखा तो वृद्धाश्रम वहां मौजूद ही नहीं था। जांच टीम जब सिनेमा हॉल पहुंची, तो वहां कुछ बुजुर्ग बैठे मिले। पूछताछ में पता चला कि 37 वृद्धों को उसी दिन जांच के लिए बुलाया गया था, जबकि मौके पर केवल 10 व्यक्तियों का खाना ही पक रहा था।
संस्था द्वारा दिखाया गया किरायानामा भी सही नहीं निकला, जिसका वास्तविक मालिक कोई और था। जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद अब जिलाधिकारी ने जिला समाज कल्याण अधिकारी से आख्या मांगी है। प्रशासन इस मामले में आगे की कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।

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इस पूरे मामले की शिकायत प्रयागराज निवासी सभाकांत मिश्र ने शुक्रवार को जिलाधिकारी से की। उन्होंने आरोप लगाए और दावा किया कि अधिकारियों की मिलीभगत से संस्था को लाभ पहुंचाया गया। उन्होंने बताया कि इससे पहले अपनी शिकायत और सबूत सीधे तीन विधायकों और एक मंत्री तक भेजे थे। प्रयागराज की विधानसभा फूलपुर से विधायक दीपक पटेल ने 25 मई को पत्र भेजा, अपना दल एस के बार विधानसभा के विधायक वाचस्पति ने 23 मई को पत्र भेजा, शहरी उत्तरी से विधायक हर्षवर्धन बाजपेई ने 26 मई को पत्र भेजा साथ ही यह पत्र राज्य मंत्री समाज कल्याण विभाग असीम अरुण को भेजे गए तो उन्होंने इन पत्रों के बाद ही शासन और निदेशालय ने मामले को गंभीरता से लिया और विस्तृत जांच कराने का निर्देश दिया। शुरुआत में जिला समाज कल्याण अधिकारी और एसडीएम ने दो सदस्यीय जांच की थी, इसके बाद जब 1 जुलाई 2025 को तीन सदस्यीय समिति गठित हुई, तो पूरे मामले का खुलासा हो गया। टीम ने मौके पर जाकर देखा तो वृद्धाश्रम वहां मौजूद ही नहीं था। जांच टीम जब सिनेमा हॉल पहुंची, तो वहां कुछ बुजुर्ग बैठे मिले। पूछताछ में पता चला कि 37 वृद्धों को उसी दिन जांच के लिए बुलाया गया था, जबकि मौके पर केवल 10 व्यक्तियों का खाना ही पक रहा था।
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संस्था द्वारा दिखाया गया किरायानामा भी सही नहीं निकला, जिसका वास्तविक मालिक कोई और था। जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद अब जिलाधिकारी ने जिला समाज कल्याण अधिकारी से आख्या मांगी है। प्रशासन इस मामले में आगे की कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।