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झांसी: आधी सदी बाद फिर जवान हुई दोस्ती, मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में 1975 बैच के विद्यार्थी आपस मिल हुए भावुक

अमर उजाला नेटवर्क, झांसी Published by: दीपक महाजन Updated Sun, 21 Dec 2025 10:26 AM IST
सार

मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में शनिवार को 1975 बैच के डॉक्टर दोस्त जब 50 वर्ष बाद आमने-सामने हुए तो पलभर में बीते दिन लौट आए। तपाक से गले लगाया तो भावुक नजारे दिखे।

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Jhansi: Students of 1975 batch became emotional in Medical College
मेडिकल कॉलेज में एमएलबीएन्स-75 का आयोजन - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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समय ने बालों में सफेदी जरूर घोल दी, लेकिन दिलों में बसी दोस्ती अब भी उतनी ही जवान निकली। मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में शनिवार को 1975 बैच के डॉक्टर दोस्त जब 50 वर्ष बाद आमने-सामने हुए तो पलभर में बीते दिन लौट आए। तपाक से गले लगाया तो भावुक नजारे दिखे। हालांकि दुनिया छोड़ चुके साथियों की याद में चिकित्सकों की आंखें नम हो गईं।
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यह मौका था महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में एमएलबीएन्स-75 के आयोजन का। वर्ष 1975 में एमबीबीएस, एमएस व एमडी करने वाले विद्यार्थियों ने गोल्डन जुबली मनाया। सबसे पहले पुरातन मेडिकल विद्यार्थी अपने-अपने विभागों में गए और कक्षाओं को देख पुरानी यादें ताजा कीं। इसके बाद हॉस्टल के कमरों में पहुंचे और फिर मिलन के इस भावुक क्षणों में क्लासरूम की बातें, परीक्षा की रातें और मरीजों के बीच बिताए शुरुआती दिन यादों में ताजा हो गए। किसी की आंखों में नमी थी तो कोई ठहाके लगाकर पुराने किस्से दोहराता नजर आया। वर्षों बाद भी- वही पुरानी दोस्ताना पुकार। इन चिकित्सकों ने कहा कि पेशेवर जिम्मेदारियों और जीवन की व्यस्तताओं ने भले ही दूरियां बढ़ा दी हों, लेकिन दोस्ती की डोर कभी कमजोर नहीं पड़ी। यह मिलन सिर्फ मुलाकात नहीं, बल्कि उस दौर की यादों का उत्सव था, जब सफेद कोट पहनने का सपना पहली बार साकार हुआ था। प्रधानाचार्य प्रो. शिव कुमार ने सभी पुरातन छात्रों को शॉल ओढ़ाकर उनका सम्मान किया।
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यह बोले पुरातन छात्र
आज का दिन मेरे जीवन का सबसे ज्यादा भावुक करने वाला है। मुझे बेहद खुशी है कि 50 वर्ष बाद फिर अपने कॉलेज की जमीन पर खड़ी हूं। जो लोग दिख नहीं रहे हैं, उनको लेकर एक अकुलाहट है।
- डॉ. इंदु कुमार, स्त्री रोग विशेषज्ञ, मेरठ

जब मैं अपनी क्लास देखने गई तो बैठने की जगह देख उत्साहित करने वाले विचार दिमाग पर छा गए। एक पल को तो यह भूल गई कि मैं 50 साल पहले छात्रा थी, इसलिए उसी जगह पर बैठ गई।
- डॉ. अमिता गुप्ता, स्त्री रोग विशेषज्ञ, पलवल

अपने साथियों को स्वस्थ देखकर बेहद खुशी हो रही हूं। जो साथी दिख नहीं रहे हैं, उनको लेकर मन में व्याकुलता है। 50 साल बाद यह दिन देखने को मिला है, इसलिए सदैव दिमाग पर छाया रहेगा।
- डॉ. शमिता, कोलंबिया, यूएसए

50 साल बाद बहुत उत्साहित होकर कॉलेज आया हूं। विकास होने की वजह से कॉलेज का नजारा बदल गया है। दोस्तों से मिलने से पुरानी यादें ताजा हो गईं। कुछ जिगरी दोस्त नहीं दिखे, जिनकी याद आ रही है। - डॉ. एचएस भसीन, सर्जन, जयपुर



मेडिकल कॉलेज में एमएलबीएन्स-75 में आए पुरातन विद्यार्थी अपनी पुरानी यादों के बारे में बताते हुए...

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