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झांसी: मौसम की मार...अस्पतालों में मरीजों की भरमार, कई गुना बढ़ी दवाओं की खपत
अमर उजाला नेटवर्क, झांसी
Published by: दीपक महाजन
Updated Mon, 27 Oct 2025 10:04 AM IST
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सार
बदलते मौसम में एलर्जी के मरीजों की संख्या 30 फीसदी तक बढ़ गई है। इससे एंटी एलर्जिक दवाओं की करीब तीन गुना तो एंटीबायोटिक की ढाई गुना से ज्यादा खपत बढ़ गई है।
सर्दी-जुकाम की समस्या
- फोटो : istock
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विस्तार
बदलते मौसम में एलर्जी के मरीजों की संख्या 30 फीसदी तक बढ़ गई है। इससे एंटी एलर्जिक दवाओं की करीब तीन गुना तो एंटीबायोटिक की ढाई गुना से ज्यादा खपत बढ़ गई है। स्थिति ये है कि कई लोग बिना चिकित्सीय परामर्श के सीधे केमिस्ट से दवा खरीदकर खा रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ये लोगों की सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।
दीपावली के दौरान हुई आतिशबाजी से निकले धुएं के कारण भी कई मरीज सांस फूलने, जुकाम, खांसी, सीने में जकड़न आदि समस्याओं की गिरफ्त में आ गए हैं। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. रामबाबू ने बताया कि अब सुबह-शाम ठंड भी शुरू हो गई है। ठंडक में एलर्जी के प्रकोप से सांस की नलियां भी सिकुड़ने लगती हैं। ऐसे में पहले से ही अस्थमा, सीओपीडी, टीबी से लेकर लंग्स फाइब्रोसिस के मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। दो हफ्ते में इस समस्या वाले मरीज 30 फीसदी से ज्यादा बढ़ गए हैं।
ऐसे मरीजों को गले में दर्द, छींक आना, सुबह-शाम सांस फूलना, खांसी आदि की समस्या हो जाती है। कुछ दिनों बाद बुखार और सिरदर्द भी होने लगता है। उन्होंने सलाह दी कि बिना चिकित्सीय परामर्श के कोई दवा न खाएं। कई लोग बिना जरूरत के भी एंटीबायोटिक का सेवन करते रहते हैं। एलर्जी में आमतौर पर एंटीबायोटिक दवा की जरूरत नहीं होती है। मगर जो लोग एंटी एलर्जिक के साथ एंटीबायोटिक का सेवन करते हैं, उन्हें पेट संबंधी समस्याएं शुरू हो जाती हैं जैसे कि भूख न लगना, गैस बनना, डायरिया आदि। लंबे समय तक एंटीबायोटिक का सेवन करने से संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोध हो जाता है और फिर भविष्य में दवा असर करना बंद कर देती है।
इन बातों का रखें ध्यान
सुबह-शाम ठंड से बचें
जरूरत न हो तो भीड़भाड़ में जाने से बचें
बाहर निकलें तो मास्क पहनें
जिला केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि झांसी में बुंदेलखंड के कई जिलों के मरीज इलाज कराने आते हैं। इसलिए यहां पर दवाओं की बिक्री भी काफी होती है। इस समय दवाओं की बिक्री कई गुना बढ़ी है।
जिला केमिस्ट एसोसिएशन के सचिव नितिन मोदी ने बताया कि पिछले 15 दिनों में एंटी एलर्जिक और एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री में तीन-तीन गुना तक इजाफा हुआ है। पैरासिटामोल की बिक्री भी ढाई गुना तक बढ़ी है।
दीपावली के दौरान हुई आतिशबाजी से निकले धुएं के कारण भी कई मरीज सांस फूलने, जुकाम, खांसी, सीने में जकड़न आदि समस्याओं की गिरफ्त में आ गए हैं। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. रामबाबू ने बताया कि अब सुबह-शाम ठंड भी शुरू हो गई है। ठंडक में एलर्जी के प्रकोप से सांस की नलियां भी सिकुड़ने लगती हैं। ऐसे में पहले से ही अस्थमा, सीओपीडी, टीबी से लेकर लंग्स फाइब्रोसिस के मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। दो हफ्ते में इस समस्या वाले मरीज 30 फीसदी से ज्यादा बढ़ गए हैं।
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ऐसे मरीजों को गले में दर्द, छींक आना, सुबह-शाम सांस फूलना, खांसी आदि की समस्या हो जाती है। कुछ दिनों बाद बुखार और सिरदर्द भी होने लगता है। उन्होंने सलाह दी कि बिना चिकित्सीय परामर्श के कोई दवा न खाएं। कई लोग बिना जरूरत के भी एंटीबायोटिक का सेवन करते रहते हैं। एलर्जी में आमतौर पर एंटीबायोटिक दवा की जरूरत नहीं होती है। मगर जो लोग एंटी एलर्जिक के साथ एंटीबायोटिक का सेवन करते हैं, उन्हें पेट संबंधी समस्याएं शुरू हो जाती हैं जैसे कि भूख न लगना, गैस बनना, डायरिया आदि। लंबे समय तक एंटीबायोटिक का सेवन करने से संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोध हो जाता है और फिर भविष्य में दवा असर करना बंद कर देती है।
इन बातों का रखें ध्यान
सुबह-शाम ठंड से बचें
जरूरत न हो तो भीड़भाड़ में जाने से बचें
बाहर निकलें तो मास्क पहनें
जिला केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि झांसी में बुंदेलखंड के कई जिलों के मरीज इलाज कराने आते हैं। इसलिए यहां पर दवाओं की बिक्री भी काफी होती है। इस समय दवाओं की बिक्री कई गुना बढ़ी है।
जिला केमिस्ट एसोसिएशन के सचिव नितिन मोदी ने बताया कि पिछले 15 दिनों में एंटी एलर्जिक और एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री में तीन-तीन गुना तक इजाफा हुआ है। पैरासिटामोल की बिक्री भी ढाई गुना तक बढ़ी है।