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Kannauj News: सात साल से सूखा रजबहा, 430 गांवों में सिंचाई का संकट
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हसेरन। विकास खंड क्षेत्र से गुजरे नादेमऊ-मिर्जापुर रजाबहा में पानी न छोड़े जाने से पिछले सात सालों से सूखा पड़ा है। 430 गांवों के हजारों किसानों की फसलों की सिंचाई का काम प्रभावित है। समस्या से जूझ रहे किसानों का गुस्सा नहर विभाग के खिलाफ फूट सकता है।
नादेमऊ मिर्जापुर रजबहा देखरेख के अभाव में पिछले कुछ सालों से दुर्दशा का शिकार है। सफाई न होने के कारण कांटेदार झाड़ियां उग आई हैं। बुजुर्ग किसानों की माने तो पहले यही रजवाहा फसलों के लिए जीवन रेखा थी। समय के साथ भूगर्भ का जलस्तर नीचे जाने निजी नलकूपों के भी कंठ सूख चुके हैं। ऐसे में रजवाहा से लोगों को खासी उम्मीदें थीं, लेकिन सालों से पानी न आने से लोग निजी संसाधनों की मदद से खेती करने को मजबूर हैं।
जिले का यह इलाज धान व गेहूं की पैदावार में अग्रणी माना जाता है, इसके बाद भी नहर विभाग इस रजवाहे की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इलाके के किसानों ने बताया कि मिर्जापुर रजवाहा कंसुआ माइनर से जुड़ा हुआ है। सरकारी रिकार्ड में हर साल रजवाहा की सफाई कराई जाती पर जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल जुदा है। अफसर आधा अधूरा काम करवाकर बजट खर्च कर देते हैं।
किसान अमित राजपूत, रामवीर सिंह, रतन शाक्य, राजा अग्निहोत्री, सुधीर चौहान, रजनीश वर्मा, धर्मेंद्र कश्यप व रामकुमार लोधी का कहना है कि नहर विभाग ने कार्यशैली न बदली तो किसान लामबंद होकर विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल देंगे। इस संबंध में नहर विभाग के अधिशासी अभियंता सूर्यमणि सिंह ने बताया कि अभी तक ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। जांच के बाद आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
फोटो:22: संदीप प्रजापति। संवाद
किसान संदीप प्रजापति का कहना है कि समय पर सिंचाई न होने के कारण खेतों की कोख सूख चुकी है। खेतों में पड़ी दरारें नहर विभाग के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है। समय पर पानी मिले तो यहां के किसानों के घर में खुशहाली आ सकती है।
फोटो:23: अमित राजपूत। संवाद
किसान अमित राजपूत पहले पानी समय पर आता था, इलाके के खेत भरपूर उत्पादन देते थे। निजी खर्च निकलने के बाद किसान फसल की बिक्री कर दूसरों के लिए अनाज मुहैया कराता था। आज सिंचाई के अभाव में पैदावार कम होने से किसानों को खुद के लिए अन्न खरीदना पड़ता है।
फोटो:24: रतन शाक्य। संवाद
किसान रतन शाक्य का कहना है कि दिन पर दिन गिरते भू जल स्तर के कारण निजी संसाधनों से खेती काफी महंगी पड़ रही है। माइनर, रजवाहा और नहर ही किसानों की आखिरी आस है, लेकिन नहर विभाग उनमें भी समय पर पानी मुहैया नहीं करा पा रहा है।
फोटो:25: सुशील यादव। संवाद
किसान सुशील यादव ने बताया कि नहर विभाग रजबाहों की हर सफाई कराने का दावा करता है, लेकिन हकीकत यह है कि 50 फीसदी भी काम नहीं कराया जाता है। सरकार बजट का आपस में बंदरबांट कर लिया जाता है। रजवाहा में कीचड़ होने के कारण पानी आने के रास्ते बंद हैं।
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नादेमऊ मिर्जापुर रजबहा देखरेख के अभाव में पिछले कुछ सालों से दुर्दशा का शिकार है। सफाई न होने के कारण कांटेदार झाड़ियां उग आई हैं। बुजुर्ग किसानों की माने तो पहले यही रजवाहा फसलों के लिए जीवन रेखा थी। समय के साथ भूगर्भ का जलस्तर नीचे जाने निजी नलकूपों के भी कंठ सूख चुके हैं। ऐसे में रजवाहा से लोगों को खासी उम्मीदें थीं, लेकिन सालों से पानी न आने से लोग निजी संसाधनों की मदद से खेती करने को मजबूर हैं।
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जिले का यह इलाज धान व गेहूं की पैदावार में अग्रणी माना जाता है, इसके बाद भी नहर विभाग इस रजवाहे की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इलाके के किसानों ने बताया कि मिर्जापुर रजवाहा कंसुआ माइनर से जुड़ा हुआ है। सरकारी रिकार्ड में हर साल रजवाहा की सफाई कराई जाती पर जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल जुदा है। अफसर आधा अधूरा काम करवाकर बजट खर्च कर देते हैं।
किसान अमित राजपूत, रामवीर सिंह, रतन शाक्य, राजा अग्निहोत्री, सुधीर चौहान, रजनीश वर्मा, धर्मेंद्र कश्यप व रामकुमार लोधी का कहना है कि नहर विभाग ने कार्यशैली न बदली तो किसान लामबंद होकर विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल देंगे। इस संबंध में नहर विभाग के अधिशासी अभियंता सूर्यमणि सिंह ने बताया कि अभी तक ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। जांच के बाद आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
फोटो:22: संदीप प्रजापति। संवाद
किसान संदीप प्रजापति का कहना है कि समय पर सिंचाई न होने के कारण खेतों की कोख सूख चुकी है। खेतों में पड़ी दरारें नहर विभाग के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है। समय पर पानी मिले तो यहां के किसानों के घर में खुशहाली आ सकती है।
फोटो:23: अमित राजपूत। संवाद
किसान अमित राजपूत पहले पानी समय पर आता था, इलाके के खेत भरपूर उत्पादन देते थे। निजी खर्च निकलने के बाद किसान फसल की बिक्री कर दूसरों के लिए अनाज मुहैया कराता था। आज सिंचाई के अभाव में पैदावार कम होने से किसानों को खुद के लिए अन्न खरीदना पड़ता है।
फोटो:24: रतन शाक्य। संवाद
किसान रतन शाक्य का कहना है कि दिन पर दिन गिरते भू जल स्तर के कारण निजी संसाधनों से खेती काफी महंगी पड़ रही है। माइनर, रजवाहा और नहर ही किसानों की आखिरी आस है, लेकिन नहर विभाग उनमें भी समय पर पानी मुहैया नहीं करा पा रहा है।
फोटो:25: सुशील यादव। संवाद
किसान सुशील यादव ने बताया कि नहर विभाग रजबाहों की हर सफाई कराने का दावा करता है, लेकिन हकीकत यह है कि 50 फीसदी भी काम नहीं कराया जाता है। सरकार बजट का आपस में बंदरबांट कर लिया जाता है। रजवाहा में कीचड़ होने के कारण पानी आने के रास्ते बंद हैं।