{"_id":"68cc50a80539e7630607d071","slug":"fragrance-exports-down-7-due-to-lack-of-gst-relief-kannauj-news-c-214-1-knj1007-137542-2025-09-19","type":"story","status":"publish","title_hn":"Kannauj News: जीएसटी में राहत न होने से सुगंध का निर्यात सात प्रतिशत घटा","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Kannauj News: जीएसटी में राहत न होने से सुगंध का निर्यात सात प्रतिशत घटा
विज्ञापन

विज्ञापन
कन्नौज। इत्रनगरी का सुगंध कारोबार भारत ही नहीं विदेशों में भी फैला है। सरकार से इत्र कारोबारियों को जीएसटी में कोई राहत नहीं मिली है। इससे सुगंध का कारोबार दिनों दिन फीका होता जा रहा है। सरकार ने प्राकृतिक मेंथा ऑयल पर तो 12 प्रतिशत से जीएसटी घटाकर पांच प्रतिशत कर दी है पर सिंथेटिक मेंथा ऑयल पर 12 से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दी है। इससे इत्र कारोबारियों के सामने इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का पेंच फंस गया। परिणाम यह हुआ कि पिछले 15 दिन में इत्र उत्पादों के निर्यात में सात प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई है। इससे कई उत्पादों के दाम भी बढ़ गए हैं।
सरकार ने कई वस्तुओं पर जीएसटी की दरों को बदलने की घोषणा कर दी है। नवरात्र के पहले दिन से इन दरों में परिवर्तन होगा। कई वस्तुओं को 28 से 18 प्रतिशत की दर में लाया गया है। तो वहीं कई वस्तुओं और सेवाओं को 12 से पांच प्रतिशत में लाया गया हैं। इत्र कारोबार में टैक्स स्लैब यथावत रखे गए हैं। एसेंशियल ऑयल, अतर व परफ्यूम पर पहले की तरह 18 प्रतिशत ही जीएसटी है। इत्र कारोबार से जुड़ी खाद्य वस्तुओं पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी देनी पड़ रही है।
उदाहरण के तौर पर जब वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) लागू किया गया था, तब गुलकंद, गुलाब व केवड़ा को टैक्स फ्री कर दिया गया था। बाद में जब समान कराधान प्रणाली को लागू किया गया तो इन पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगा दी गई। अब वित्त मंत्री ने इत्र कारोबार से जुड़े प्राकृतिक मेंथा ऑयल पर जीएसटी की दर घटाकर 12 से पांच प्रतिशत कर दी। वहीं सिंथेटिक मेंथा ऑयल पर 12 से बढ़ाकर 18 प्रतिशत टैक्स कर दिया। इससे कोई राहत नहीं मिली। बल्कि इत्र उद्यमियों को हर माह इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) भरने में दिक्कत हो रही है।
बोले इत्र उद्यमी--
खाद्य पदार्थों को टैक्स फ्री करे सरकार
इत्र उत्पादों में कई खाद्य पदार्थ भी शामिल होते हैं। इनमें गुलकंद, गुलाबजल व केवड़ा पहले वैट में टैक्स फ्री था। अब उस पर 18 प्रतिशत जीएसटी देनी पड़ रही है। संगठन ने इस संबंध में ज्ञापन भी दिया था। सरकार को चाहिए कि वह इत्र उत्पादों पर जीएसटी कम करे और खाद्य पदार्थों को टैक्स फ्री करे।
-पवन त्रिवेदी, अध्यक्ष, द अतर्स एंड परफ्यूमर्स एसोसिएशन
-- -- -- -- -
इत्र से बनी चीजों के बढ़ रहे दाम
इत्र का प्रयोग दवाइयों में भी होता है। ऐसे में सरकार को चाहिए था कि वह जीएसटी संशोधन में इत्र को प्राथमिकता देते, इससे कारोबार भी बढ़ता और कारोबारियों को भी फायदा होता है। इत्र से बनी चीजों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं।
-प्रमित मिश्रा, इत्र कारोबारी
-- -- -- -- -- -- -
विदेशी उत्पादों का हस्तक्षेप कम हो
आजकल देखा जा रहा है कि बाजार में कई विदेशी ब्रांडों के इत्र बिक रहे हैं, जिससे भारत में बने इत्रों की पहचान कम हो रही है। सरकार को चाहिए कि वह इत्र उत्पादों पर जीएसटी स्लैब कम करे और स्थानीय बाजारों और उत्पादों को प्रोत्साहित करे।
-बृजमोहन तिवारी, इत्र कारोबारी
-- -- -- -- -- -- -
निर्यात का घटना चिंता का विषय
इत्र उत्पादों के निर्यात का घटना चिंता का विषय है। पहले अमेरिका के टैरिफ की वजह से निर्यात प्रभावित हुआ । इसके बाद सरकार के जीएसटी प्लान से झटका लगा। सरकार ओडीओपी को बढ़ावा दे रही है, लेकिन इत्र कारोबार पर नजर नहीं है।
-अखिलेश पाठक, इत्र कारोबारी
-- -- -- -- -- -- -

सरकार ने कई वस्तुओं पर जीएसटी की दरों को बदलने की घोषणा कर दी है। नवरात्र के पहले दिन से इन दरों में परिवर्तन होगा। कई वस्तुओं को 28 से 18 प्रतिशत की दर में लाया गया है। तो वहीं कई वस्तुओं और सेवाओं को 12 से पांच प्रतिशत में लाया गया हैं। इत्र कारोबार में टैक्स स्लैब यथावत रखे गए हैं। एसेंशियल ऑयल, अतर व परफ्यूम पर पहले की तरह 18 प्रतिशत ही जीएसटी है। इत्र कारोबार से जुड़ी खाद्य वस्तुओं पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी देनी पड़ रही है।
विज्ञापन
विज्ञापन
उदाहरण के तौर पर जब वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) लागू किया गया था, तब गुलकंद, गुलाब व केवड़ा को टैक्स फ्री कर दिया गया था। बाद में जब समान कराधान प्रणाली को लागू किया गया तो इन पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगा दी गई। अब वित्त मंत्री ने इत्र कारोबार से जुड़े प्राकृतिक मेंथा ऑयल पर जीएसटी की दर घटाकर 12 से पांच प्रतिशत कर दी। वहीं सिंथेटिक मेंथा ऑयल पर 12 से बढ़ाकर 18 प्रतिशत टैक्स कर दिया। इससे कोई राहत नहीं मिली। बल्कि इत्र उद्यमियों को हर माह इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) भरने में दिक्कत हो रही है।
बोले इत्र उद्यमी
खाद्य पदार्थों को टैक्स फ्री करे सरकार
इत्र उत्पादों में कई खाद्य पदार्थ भी शामिल होते हैं। इनमें गुलकंद, गुलाबजल व केवड़ा पहले वैट में टैक्स फ्री था। अब उस पर 18 प्रतिशत जीएसटी देनी पड़ रही है। संगठन ने इस संबंध में ज्ञापन भी दिया था। सरकार को चाहिए कि वह इत्र उत्पादों पर जीएसटी कम करे और खाद्य पदार्थों को टैक्स फ्री करे।
-पवन त्रिवेदी, अध्यक्ष, द अतर्स एंड परफ्यूमर्स एसोसिएशन
इत्र से बनी चीजों के बढ़ रहे दाम
इत्र का प्रयोग दवाइयों में भी होता है। ऐसे में सरकार को चाहिए था कि वह जीएसटी संशोधन में इत्र को प्राथमिकता देते, इससे कारोबार भी बढ़ता और कारोबारियों को भी फायदा होता है। इत्र से बनी चीजों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं।
-प्रमित मिश्रा, इत्र कारोबारी
विदेशी उत्पादों का हस्तक्षेप कम हो
आजकल देखा जा रहा है कि बाजार में कई विदेशी ब्रांडों के इत्र बिक रहे हैं, जिससे भारत में बने इत्रों की पहचान कम हो रही है। सरकार को चाहिए कि वह इत्र उत्पादों पर जीएसटी स्लैब कम करे और स्थानीय बाजारों और उत्पादों को प्रोत्साहित करे।
-बृजमोहन तिवारी, इत्र कारोबारी
निर्यात का घटना चिंता का विषय
इत्र उत्पादों के निर्यात का घटना चिंता का विषय है। पहले अमेरिका के टैरिफ की वजह से निर्यात प्रभावित हुआ । इसके बाद सरकार के जीएसटी प्लान से झटका लगा। सरकार ओडीओपी को बढ़ावा दे रही है, लेकिन इत्र कारोबार पर नजर नहीं है।
-अखिलेश पाठक, इत्र कारोबारी