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Kanpur News: बैक्टीरिया की मदद से 15 दिन में पराली से तैयार होगी बायो गैस
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एचबीटीयू में पुस्तक का विमोचन करते अधिकारी।
- फोटो : अमर उजाला
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कानपुर। प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण पराली अब बायोगैस में प्रयोग हो रहा है। अभी तक पराली और गोबर को मिलाकर बायोगैस तैयार करने में करीब 60 दिन लगता था। अब बैक्टीरिया की मदद से 15 से 20 दिन में इसे तैयार किया जाएगा। यह जानकारी एचबीटीयू में बायोगैस पर आयोजित राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में केमिकल टेक्नोलॉजी के डॉ. सचिन कुमार ने दी।
उन्होंने बताया कि अभी पांच टन कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) तैयार होने में 50 टन पराली का इस्तेमाल होता था लेकिन अब बैक्टीरिया के प्रयोग से इसे 30 टन पराली में तैयार कर लिया जाएगा। बायोगैस प्लांट से पराली की समस्या को कम कर प्रदूषण से राहत दी जा सकती है।
जैव रासायनिक अभियंत्रण विभाग की ओर से अपशिष्ट से बायोगैस-बायोमीथेन के सतत विकास पर आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो. समशेर, डीन स्कूल ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी प्रो. पीके एस यादव, इंडियन फेडरेशन ऑफ बायोगैस एसोसिएशन के एवं पूर्व सलाहकार डॉ. एआर शुक्ल ने किया।
इसमें डॉ. सचिन के अलावा गगनप्रीत कौर, इंडियन फेडरेशन ऑफ ग्रीन एनर्जी की डिप्टी जनरल मैनेजर डॉ. निधि साहू, अतुल कुमार तिवारी, डॉ. कृष्णेंदु कुंडू ने अपने विचार रखे। इस दौरान बायोगैस से संबंधित किताब का विमोचन किया गया।
इंडियन फेडरेशन ऑफ बायोगैस एसोसिएशन की डिप्टी जनरल मैनेजर डॉ. निधि साहू ने कहा कि बायोगैस प्लांट को लेकर गंभीर रहने की आवश्यकता है। पॉलिसी में काफी हद तक बदलाव चाहिए। 2023 तक देश भर में पांच हजार से अधिक बायोगैस प्लांट लगने थे लेकिन अभी तक 164 ही लगे हैं।
इनको संचालित करने के लिए कौशल लोगों की कमी है। बड़े बड़े प्लांट संचालकों ने तो व्यवस्था कर ली है लेकिन छोटे स्तर के प्लांट योग्य कर्मचारियों की किल्लत से जूझ रहे हैं। कार्यक्रम का आयोजन डॉ. सचिन कुमार और गौरव केडिया ने किया।
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उन्होंने बताया कि अभी पांच टन कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) तैयार होने में 50 टन पराली का इस्तेमाल होता था लेकिन अब बैक्टीरिया के प्रयोग से इसे 30 टन पराली में तैयार कर लिया जाएगा। बायोगैस प्लांट से पराली की समस्या को कम कर प्रदूषण से राहत दी जा सकती है।
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जैव रासायनिक अभियंत्रण विभाग की ओर से अपशिष्ट से बायोगैस-बायोमीथेन के सतत विकास पर आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो. समशेर, डीन स्कूल ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी प्रो. पीके एस यादव, इंडियन फेडरेशन ऑफ बायोगैस एसोसिएशन के एवं पूर्व सलाहकार डॉ. एआर शुक्ल ने किया।
इसमें डॉ. सचिन के अलावा गगनप्रीत कौर, इंडियन फेडरेशन ऑफ ग्रीन एनर्जी की डिप्टी जनरल मैनेजर डॉ. निधि साहू, अतुल कुमार तिवारी, डॉ. कृष्णेंदु कुंडू ने अपने विचार रखे। इस दौरान बायोगैस से संबंधित किताब का विमोचन किया गया।
इंडियन फेडरेशन ऑफ बायोगैस एसोसिएशन की डिप्टी जनरल मैनेजर डॉ. निधि साहू ने कहा कि बायोगैस प्लांट को लेकर गंभीर रहने की आवश्यकता है। पॉलिसी में काफी हद तक बदलाव चाहिए। 2023 तक देश भर में पांच हजार से अधिक बायोगैस प्लांट लगने थे लेकिन अभी तक 164 ही लगे हैं।
इनको संचालित करने के लिए कौशल लोगों की कमी है। बड़े बड़े प्लांट संचालकों ने तो व्यवस्था कर ली है लेकिन छोटे स्तर के प्लांट योग्य कर्मचारियों की किल्लत से जूझ रहे हैं। कार्यक्रम का आयोजन डॉ. सचिन कुमार और गौरव केडिया ने किया।