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ठंड का कहर: नसें सिकुड़ने से पड़ रहा ब्रेन स्ट्रोक, कानपुर में आठ की मौत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर Published by: शिखा पांडेय Updated Fri, 19 Dec 2025 10:20 PM IST
सार

बढ़ी ठंड में डायबिटीज, गुर्दा, लिवर के रोगियों को खतरा अधिक है। कार्डियोलॉजी और हैलट इमरजेंसी में रोगियों की संख्या बढ़ गई है।
 

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Blood vessels constrict, leading to more brain strokes; eight deaths reported in Kanpur
कार्डियोलॉजी - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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ठंड में नसें सिकुड़ने से खून में थक्का जम रहा है। इससे हार्ट और ब्रेन अटैक पड़ रहा है। शुक्रवार को कार्डियोलॉजी की ओपीडी में 10 रोगी हार्ट अटैक के लक्षण लेकर आए। इसके साथ ही 40 रोगी इमरजेंसी में भर्ती हुए। इसी तरह ब्रेन स्ट्रोक के 10 रोगी हैलट इमरजेंसी में पहुंचे। आठ रोगी ब्रॉट डेड स्थिति में अस्पताल में लाए गए।
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कार्डियोलॉजी की ओपीडी में 1078 रोगियों ने स्वास्थ्य परीक्षण कराया। इनमें 10 रोगी हार्ट अटैक के लक्षण वाले पहुंचे उन्हें तुरंत भर्ती कर लिया गया। इसके साथ ही 87 रोगी इमरजेंसी में आए। कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. अवधेश कुमार शर्मा ने बताया कि रोगी शुरुआती लक्षण को नजरअंदाज कर रहे हैं। इससे स्थिति बिगड़ जाती है। ठंड में नसें सिकुड़ जाती हैं। इससे हृदय को शरीर गर्म रखने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। कार्डियोलॉजी में शाम तक सात रोगी ब्रॉट डेड स्थिति में लाए गए। इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रोफेसर राकेश कुमार वर्मा का कहना है कि हार्ट अटैक के लक्षण उभरने पर रोगी सीधे अस्पताल आ जाए। लक्षणों को नजरअंदाज न करे और इधर-उधर न भटके। गोल्डन आवर में पहुंचने पर जान पर खतरा बचाया जा सकता है।
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हैलट इमरजेंसी में ब्रेन स्टोक के 10 रोगी भर्ती किए गए। मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. बीपी प्रियदर्शी ने बताया कि सबसे अधिक ब्रेन स्ट्रोक के रोगी आ रहे हैं। हाइपरटेंशन की दवा छोड़ने से दिक्कत हो रही है। हैलट इमरजेंसी में ब्रेन हेमरेज का एक रोगी ब्रॉट डेड स्थिति में आया। इसके अलावा सीओपीडी और अस्थमा के रोगियों को गंभीर हालत में भर्ती किया गया है।

बीपी ने गुर्दा रोगियों की हालत बिगाड़ी
ठंड में ब्लड प्रेशर अधिक होने से गुर्दा रोगियों की हालत बिगड़ रही है। मल्टी सुपर स्पेशियिलटी हॉस्पिटल के गुर्दा रोग विभागाध्यक्ष डॉ. युवराज गुलाटी ने बताया कि हाई बीपी से गुर्दे में खराबी बढ़ती है। गुर्दे की खराबी से बीपी बढ़ता है। इस तरह दुष्चक्र बन जाता है। क्रोनिक किडनी डिजीज के पुराने रोगियों की डायलिसिस करनी पड़ रही है। गुर्दा रोगी ठंडक में बीपी और डायबिटीज नियंत्रित रखें।
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