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ऑक्सीजन के अभाव में मौत: घाटमपुर सीएचसी में तोड़फोड़, देर से पहुंची एंबुलेंस में था खाली सिलिंडर, परिजनों ने भरवाया
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, घाटमपुर
Published by: शिखा पांडेय
Updated Sat, 24 Apr 2021 11:45 AM IST
सार
परिजन ऑक्सीजन सिलिंडर मांगते रहे लेकिन नहीं दिया गया। परिजन खुद सिलिंडर लाए तो उन्हें कानपुर रेफर कर दिया गया।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
ऑक्सीजन के अभाव में युवक की मौत से गुस्साए परिजनों ने शुक्रवार को घाटमपुर सीएचसी में तोड़फोड़ कर दी। यहां मौजूद मेडिकल स्टाफ के साथ मारपीट की गई। डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों को इमरजेंसी से भागकर जान बचानी पड़ी। मौके पर पहुंची पुलिस ने मामला शांत कराया। परिजनों ने इलाज न करने और ऑक्सीजन सिलिंडर मुहैया न कराने का आरोप लगाया है।
जवाहर नगर पूर्वी निवासी दुकानदार योगेश सिंह पटेल (37) की दो अप्रैल को सड़क हादसे में पसलियां टूट गईं थीं। 19 अप्रैल तक कानपुर के निजी अस्पताल में भर्ती रहने के बाद वह घर लौट आए थे। शुक्रवार सुबह अचानक सांस लेने में तकलीफ होने लगी।
क्षेत्र के सभी अस्पतालों ने भर्ती करने से मना कर दिया तो सुबह सवा आठ बजे परिजन उन्हें घाटमपुर सीएचसी ले गए। साले हिमांशु सचान का आरोप है कि यहां किसी भी डॉक्टर ने उन्हें अटेंड नहीं किया। परिजन ऑक्सीजन सिलिंडर मांगते रहे लेकिन नहीं दिया गया।
परिजन खुद सिलिंडर लाए तो उन्हें कानपुर रेफर कर दिया गया। 40 मिनट बाद 108 एंबुलेंस आई। उसमें खाली सिलिंडर लगा था। परिजनों ने अपना सिलिंडर एंबुलेंस स्टाफ को दिया तब जाकर आधे घंटे बाद मरीज को लेकर एंबुलेंस रवाना हुई। लेकिन 500 मीटर दूर जाते ही योगेश ने दम तोड़ दिया।
गुस्साए परिजन शव को सीएचसी ले आए। यहां लापरवाही का आरोप लगा तोड़फोड़ शुरू कर दी। मेडिकल स्टाफ से हाथापाई भी की। पुलिस ने पहुंचकर मामला शांत कराया। सीएचसी प्रभारी ने पुलिस को अस्पताल में तोड़फोड़ की तहरीर दी है।
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जवाहर नगर पूर्वी निवासी दुकानदार योगेश सिंह पटेल (37) की दो अप्रैल को सड़क हादसे में पसलियां टूट गईं थीं। 19 अप्रैल तक कानपुर के निजी अस्पताल में भर्ती रहने के बाद वह घर लौट आए थे। शुक्रवार सुबह अचानक सांस लेने में तकलीफ होने लगी।
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क्षेत्र के सभी अस्पतालों ने भर्ती करने से मना कर दिया तो सुबह सवा आठ बजे परिजन उन्हें घाटमपुर सीएचसी ले गए। साले हिमांशु सचान का आरोप है कि यहां किसी भी डॉक्टर ने उन्हें अटेंड नहीं किया। परिजन ऑक्सीजन सिलिंडर मांगते रहे लेकिन नहीं दिया गया।
परिजन खुद सिलिंडर लाए तो उन्हें कानपुर रेफर कर दिया गया। 40 मिनट बाद 108 एंबुलेंस आई। उसमें खाली सिलिंडर लगा था। परिजनों ने अपना सिलिंडर एंबुलेंस स्टाफ को दिया तब जाकर आधे घंटे बाद मरीज को लेकर एंबुलेंस रवाना हुई। लेकिन 500 मीटर दूर जाते ही योगेश ने दम तोड़ दिया।
गुस्साए परिजन शव को सीएचसी ले आए। यहां लापरवाही का आरोप लगा तोड़फोड़ शुरू कर दी। मेडिकल स्टाफ से हाथापाई भी की। पुलिस ने पहुंचकर मामला शांत कराया। सीएचसी प्रभारी ने पुलिस को अस्पताल में तोड़फोड़ की तहरीर दी है।
सीएचसी में गंभीर मरीजों के लिए इमरजेंसी वार्ड में ऑक्सीजन व इलाज की पूरी व्यवस्था है। मृतक के परिवार वाले सरकारी एंबुलेंस से निजी अस्पताल रेफर करने की मांग करने के साथ ही ऑक्सीजन सिलिंडर देने का दबाव बना रहे थे। सीएचसी से ऑक्सीजन सिलिंडर भी मुहैया कराया गया था। लापरवाही का आरोप गलत है, फिर भी जांच की जा रही है। - डॉ. कैलाश चंद्र, चिकित्साधीक्षक सीएचसी घाटमपुर
