UP: नशीले सिरप की तस्करी का कानपुर कनेक्शन, अग्रवाल ब्रदर्स सिंडिकेट में…फिर भी NDPS में नहीं हुई प्राथमिकी
Kanpur News: एफएसडीए की जांच में कानपुर की 12 मेडिकल फर्मों का मेरठ के सिंडिकेट से जुड़ाव मिला है। इनमें प्रमुख अग्रवाल ब्रदर्स पर 1.81 करोड़ रुपये की नशीली दवाएं मिलने के बावजूद एनडीपीएस एक्ट के बजाय बीएनएस की हल्की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है।
विस्तार
कानपुर में खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन की जांच में प्रदेश भर में 12 मेडिकल फर्मों का सीधा जुड़ाव नशीले सिरप की तस्करी कर रहे सिंडिकेट मेरठ के आसिम और वसीम से मिला है। इनमें बिरहाना रोड स्थित अग्रवाल ब्रदर्स फर्म का नाम भी शामिल है। हैरत भरी बात यह है कि ड्रग विभाग काफी पहले इस फर्म के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए तहरीर दे चुका है पर अभी तक बीएनएस की धाराओं में ही प्राथमिकी लिखी गई है। शहर में नौ मेडिकल स्टाेरों और फर्मों पर कोडीनयुक्त दवाएं बिकती मिली थीं।
इनमें से सिर्फ दो के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। छह पर बीएनएस की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है। एक फर्म के खिलाफ तहरीर ही नहीं दी गई है। नशीली दवाओं के कारोबार में अग्रवाल ब्रदर्स का पहली बार नाम जून में सामने आया था। जांच में लापरवाही के चलते नवंबर में तब मुकदमा दर्ज हो पाया था जब खुद आयुक्त डॉ. रोशन जैकब ने शहर आकर अग्रवाल ब्रदर्स के फर्म में छापा मारा था।
नशीली दवाएं मिली थीं, फर्म संचालक नहीं दे पाया था लेखाजोखा
जून में डीएम कार्यालय में सेन पश्चिम पारा में छापा मारने पर ड्रग इंस्पेक्टर ओमपाल व तत्कालीन ड्रग इंस्पेक्टर रेखा सचान को 1.81 करोड़ रुपये की नशीली दवाएं भंडारित मिली थीं। इन्हें भंडारित करने वाले व्यक्ति मुलायम सिंह से पता चला कि ये दवाएं अग्रवाल ब्रदर्स के यहां से आई थीं। अग्रवाल ब्रदर्स के यहां छापा मारा गया, तो नशीली दवाएं मिली थीं पर लेखाजोखा फर्म संचालक नहीं दे पाया था। फर्म ने विभाग को जानकारी नहीं दी तो 15 अक्तूबर को फिर से छापा मारकर और नशीली दवाएं बरामद की गई थीं। टीम ने नशीली दवाओं की खरीद और बिक्री पर रोक लगा दी।
तहरीर में एनडीपीएस एक्ट में एफआईआर दर्ज करने की बात लिखी गई थी
इसके बाद आयुक्त डॉ. रोशन जैकब ने छापा मारा तो उन्होंने बिरहाना रोड के अलावा कोपरगंज स्थित अग्रवाल ब्रदर्स के गोदाम में भी छापा मारा तो करोड़ों रुपये की नशीली दवाएं बरामद हुईं। कई ब्रांडों के कोडीनयुक्त कफ सिरप और नारकोटिक्स श्रेणी की दवाएं भी मिली थीं। डॉ. जैकब ने तुरंत ही एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। कहा था कि एनडीपीएस एक्ट में एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। 12 नवंबर को तहरीर दी गई और 13 नवंबर को पुलिस ने बीएनएस की धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की थी। ड्रग इंस्पेक्टर ओमपाल ने बताया कि सभी मेडिकल स्टोरों व फर्मों के खिलाफ दी गई तहरीर में इन पर एनडीपीएस एक्ट में एफआईआर दर्ज करने की बात लिखी गई थी।
बीएनएस की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई
इसके अलावा एफआईआर जब सभी जगह बीएनएस की धाराओं में दर्ज हो गई तो एक-एक प्रार्थना पत्र थानों में देकर धाराएं बढ़ाने की मांग भी की थी। कलक्टरगंज इंस्पेक्टर ललित कुमार ने बताया कि नवंबर में तीन मेडिकल फर्मों के खिलाफ औषधि निरीक्षक की तहरीर पर मुकदमा दर्ज हुआ था। तहरीर के आधार पर दो फर्मों के खिलाफ एनडीपीएस में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अग्रवाल ब्रदर्स के खिलाफ दी गई तहरीर में ऐसा कुछ तथ्य नहीं था, जिसके आधार पर एनडीपीएस एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाती। इसलिए बीएनएस की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
अग्रवाल ब्रदर्स के बेटे की फर्म के खिलाफ नहीं दी गई तहरीर
अग्रवाल ब्रदर्स के बेटे की फर्म वेदांश पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। तहरीर तक नहीं दी गई है। यहां से भी कोडीनयुक्त दवाएं जाती थीं। अग्रवाल ब्रदर्स के यहां से ही सामान जाता है और ऐसे ही आगे दूसरे जिलों व राज्यों में दवाएं बेची जा रही थीं। बता दें कि नशे वाली कोडीनयुक्त दवाएं बेचने पर श्रीबाला जी अनवरगंज, मां दुर्गा मेडिकोज महाराजपुर, सिसोदिया मेडिकल स्टोर नौबस्ता, वेदांश फार्मास्यूटिकल बिरहाना रोड, एएस हेल्थकेयर केशवपुरम, आरएस हेल्थकेयर लाल बंगला व अग्रवाल ब्रदर्स बिरहाना रोड व कोपरगंज के खिलाफ बीएनएस की धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई है। इन्हीं दवाओं की बिक्री पर मसाइको और मेडिसिना पर बीएनएस के साथ ही एनडीपीएस एक्ट में भी एफआईआर दर्ज की गई है।
इन फर्मों में मारा गया था छापा
- आरएस हेल्थकेयर में छापे में कोडीन युक्त औषधि फेंसिपिक-टी सिरप की 60271 बोतलें, फेंसिपिक टीपी सिरप की 4650 बोतलें मिली थीं। संचालक अनमाेल दवाओं के कागज नहीं दिखा सका था।
- केशवपुरम स्थित एएस हेल्थकेयर मेडिकल स्टोर में कोडीन युक्त 100 एमएल-केआर कफ सिरप फेंसिपिक टी की 2595 बोतल, फेंसिपिक-टीपी 100 एमएल की 4900 बोतल, एल्प्राजोलम युक्त काम्पिक 0.5 एमजी की 12 लाख 30 हजार टैबलेट मिली थीं। सत्यापन पर दवाओं का स्टॉक नहीं मिला था। संचालक विकास तिवारी पर एफआईआर करवाई गई थी।
- बालाजी मेडिकल स्टाेर में कोडीनयुक्त फेंसिपिक-टी सिरप की 2100 शीशियां और एल्प्राजोलम युक्त काम्पिक 0.5 एमजी की 10800 टैबलेट पाई गई थीं। संचालक सुमित उन दवाओं के क्रय-विक्रय का लेखाजोखा नहीं दिखा सका था। इसी तरह अन्य फर्मों में कोडीनयुक्त दवाएं मिली थीं।