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मुख्तार का कानपुर कनेक्शन: छात्र नेता के जरिये शहर में पैठ बनाना चाहता था अंसारी, जानिए क्या था रिश्ता

मनीष निगम, अमर उजाला, कानपुर Published by: शिखा पांडेय Updated Fri, 05 Apr 2024 12:02 PM IST
सार

कानपुर के क्राइस्ट चर्च कॉलेज का अध्यक्ष मोहम्मद ताहिर मुख्तार का रिश्ते में भांजा लगता था। पुलिस ने मुठभेड़ में अभय सिंह, संदीप सिंह, ताहिर और विनोद सिंह को गिरफ्तार किया था।

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Kanpur connection of mafia Mukhtar Ansari
मुख्तार का कानपुर कनेक्शन - फोटो : अमर उजाला
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मुख्तार अंसारी कानपुर में भी अपनी पैठ बनाने के लिए प्रयासरत रहा। इसके लिए उसने रिश्ते में लगने वाले भांजे क्राइस्ट चर्च डिग्री कालेज के अध्यक्ष रहे मोहम्मद ताहिर को मोहरा बनाया। इसके जरिए वह कानपुर और आसपास के जिलों में अपना नेटवर्क तैयार कर अपनी गतिविधियां तेज करना चाहता था। उस दौरान मुख्तार अंसारी के गैंग के लोगों का शहर में खूब आना-जाना हुआ था। लेकिन पुलिस ने एक मुठभेड़ में गैंग के चार लोगों को गिरफ्तार कर इरादे धराशायी कर दिए थे।

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कर्नलगंज इलाके में स्थित लाल इमली चौराहे के पास से 13 अक्तूबर 2002 को मुठभेड़ में वाराणसी के माफिया अभय सिंह, उसके साले जौनपुर निवासी संदीप सिंह, चकेरी में रहने वाले क्राइस्ट चर्च डिग्री कालेज के अध्यक्ष व युवक कांग्रेस के शहर अध्यक्ष रहे मोहम्मद ताहिर, महाराजगंज फैजाबाद के विनोद सिंह को गिरफ्तार किया था। इनके पास से तीन पिस्तौल, टेलीस्कोपिक रायफल व काफी मात्रा कारतूस बरामद किए थे।

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तत्कालीन एसओजी प्रभारी ऋषिकांत शुक्ला, इंस्पेक्टर बृजवीर सिंह की टीम को गिरफ्तार करने में सफलता मिली थी। अभय सिंह और उसके साथियों को दबोचने वाली टीम में रहे एक पुलिस अफसर ने बताया कि माफिया मुख्तार अंसारी का पूर्वांचल में स्क्रैप लेकर से कोयला कारोबार में सिक्का चलता था। उसकी जड़ें बिहार तक फैली थी। वह कानपुर में भी पर फैलाना चाहता था। उसने इसके लिए छात्र राजनीति का सहारा लिया। लेकिन गिरफ्तारी से मोहम्मद ताहिर व मुख्तार अंसारी के रिश्तों का खुलासा हो गया था।

धनंजय सिंह व अभय जुड़े थे मुख्तार से
पुलिस अफसर के मुताबिक, जौनपुर के बाहुबली धनंजय सिंह और वाराणसी के अभय सिंह दोनों माफिया मुख्तार अंसारी से जुड़े थे। दोनों आपस में जिगरी दोस्त थे, लेकिन एक तीसरे दोस्त की बहन से रिश्तों को लेकर अभय सिंह की धनंजय से दुश्मनी हो गई थी। उसने धनंजय पर जौनपुर में जानलेवा हमला किया था। कहा गया था कि धनंजय सिंह पर हमले में प्रयुक्त जीप मोहम्मद ताहिर की थी। यह जीप पुलिस के हाथ लग गई थी। इस जीप के जरिये पुलिस ने रानीगंज काकादेव से ताहिर को एक साथी के साथ दबोच लिया था। ताहिर से पूछताछ के बाद ही पुलिस को अभय के बारे में जानकारी मिल गई। यह भी पता चला था कि धनंजय पर हमले के बाद अभय ने शहर में शरण ली थी।

डी-टू गैंग के रफीक के तार भी मुख्तार से जुड़े होने की बात आई थी सामने
डी-टू गैंग के रफीक के तार भी पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी से जुड़े होने की बात पुलिस की जांच में सामने आई थी। तब पुलिस अफसरों ने कानपुर जेल में तैनात जेल अधीक्षक राजेश कुमार केसरवानी से इन दोनों के साथ ही अभय सिंह से खुन्नस होने की बात कही थी। एक मामले में लखनऊ जेल में बंद मुख्तार अंसारी की वहां तैनात रहे जेल अधीक्षक केसरवानी से झड़प हो गई थी।

इसके बाद केसरवानी की कानपुर जेल में तैनाती हुई। तब डी टू गैंग के अतीक, शफीक, रफीक और अफजाल जेल में बंद थे और उनका जेल में सिक्का चलता था। जेल से ही पूरा गैंग संचालित होता था। केसरवानी के कार्यभार संभालने के बाद डी टू के अतीक गैंग पर नकेल कस गई थी। इसी बात से रफीक नाराज था। लखनऊ जेल में बंद रहने वाले दौरान अभय की अंदर लगने वाली पंचायतों पर भी केसरवानी ने रोक लगा दी थी। इसके चलते केसरवानी से मुख्तार, रफीक और अभय तीनों की खुन्नस होने की बात सामने आई थी। इनके टारगेट पर केसरवानी थे, इसलिए उन्हें एक गनर भी मिला था।

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