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प्रशासनिक टकराव: कानपुर पुलिस ने राज्य महिला आयोग को हद में रहने का भेजा नोटिस, पढ़ें मामला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: शिखा पांडेय
Updated Wed, 26 Nov 2025 10:07 PM IST
सार
थाना निरीक्षण को लेकर तकरार तेज हो गई है। महिला आयोग सदस्य और पुलिस आमने-सामने हैं। महिला आयोग की सदस्य ने ज्वाइंट सीपी को मानसिक रूप से असंतुलित बताया।
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राज्य महिला आयोग की सदस्य अनीता गुप्ता को नोटिस भेजने का मामला
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
राज्य महिला आयोग की सदस्य अनीता गुप्ता का बर्रा थाने में रजिस्टर पलट कर देखना पुलिस को अखर गया। इसी बात को लेकर संयुक्त पुलिस आयुक्त मुख्यालय एवं अपराध विनोद कुमार सिंह ने आयोग की सदस्य अनीता गुप्ता को नोटिस जारी किया है। उन्हें ताकीद की गई है कि महिला आयोग के सदस्यों को सीधे थानों का निरीक्षण करने का अधिकार प्राप्त नहीं है। नोटिस में प्रयोग भाषा को लेकर आयोग सदस्य ने आयोग अध्यक्ष को पत्र भेजा। अध्यक्ष ने मामले में डीजीपी से शिकायत की है।
अनीता को दिए गए नोटिस में लिखा है कि उनसे दृढ़तापूर्वक अपेक्षा की जाती है कि वह अपने प्रदत्त अधिकारों और शक्तियों के अंतर्गत ही कार्य करें। इस तरह के निरीक्षण से पुलिस के दैनिक कार्य में अनावश्यक व्यवधान उत्पन्न होता है। नोटिस में इन सभी बातों को बोल्ड अक्षरों में लिखा गया है। नोटिस 24 नवंबर को जारी किया गया था लेकिन नोटिस का पत्र बुधवार को अचानक से सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इसकी चर्चा हर जगह शुरू हो गई है। अनीता का कहना है कि राज्य महिला आयोग अधिनियम 2004 के माध्यम से उन्हें इस तरह के निरीक्षण का अधिकार प्राप्त है।
उनका कहना है कि वह बर्रा थाना निरीक्षण करने नहीं बल्कि एक पीड़ित महिला की शिकायत पर उस मामले के संबंध में जानकारी लेने गई थीं। इंस्पेक्टर की अनुमति से उन्होंने रजिस्टर में महिला के संबंध में जो लिखा गया था, उसके बारे जानकारी ली थी। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि कुछ समय रेल बाजार थाने में आए एक मामले में पुलिस ने यह लिखकर केस बंद कर दिया कि दोनों के बीच समझाैता हो गया। इसके बाद पीड़ित महिला ने आयोग की सुनवाई में बताया कि पुलिस ने उसकी कोई बात सुने बिना ही समझाैता होने की बात लिख दी है। विपक्षी दलों ने भी मामले को तूल दिया है। अनीता भाजपा की क्षेत्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। उनका कहना है कि विपक्षी पार्टियों के लोग राजनीतिक रंग देने के लिए सोशल मीडिया पर मुद्दे को उछाल रहे हैं।
अभद्र भाषा से झलक रही अफसर की मानसिकता
नोटिस में महिला आयोग की सदस्य को जिस तरह अभद्र भाषा में पत्र लिखा गया है, इससे यह समझ में आता है कि उस पुलिस अधिकारी की महिलाओं के प्रति मानसिकता क्या है। वे मुझे नोटिस देने के लिए अधिकृत ही नहीं हैं। जब मुझे नोटिस मिला तो हमने अध्यक्ष को बताया और नोटिस की काॅपी उन्हें भेज कर अपनी शिकायत दर्ज कराई। -अनीता गुप्ता, महिला आयोग सदस्य
पुलिस ने नोटिस नहीं पत्र दिया है
पुलिस की ओर से उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया है, केवल एक पत्र लिखा गया है। उसमें यही लिखा है कि यह पुलिस का कार्य क्षेत्र है, उसमें किसी तरह का हस्तक्षेप न करें। इससे पुलिस की कार्यप्रणाली में व्यवधान आता है। केंद्र सरकार की वीपीआरएंडी टीम कुछ दिन पहले थाने का निरीक्षण करने आई थी, उसे भी मना कर दिया गया था। कहा गया था कि पहले निरीक्षण के लिए पुलिस मुख्यालय से अनुमति लेकर आएं। - विनोद कुमार सिंह, संयुक्त पुलिस आयुक्त, क्राइम व हेडक्वार्टर
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अनीता को दिए गए नोटिस में लिखा है कि उनसे दृढ़तापूर्वक अपेक्षा की जाती है कि वह अपने प्रदत्त अधिकारों और शक्तियों के अंतर्गत ही कार्य करें। इस तरह के निरीक्षण से पुलिस के दैनिक कार्य में अनावश्यक व्यवधान उत्पन्न होता है। नोटिस में इन सभी बातों को बोल्ड अक्षरों में लिखा गया है। नोटिस 24 नवंबर को जारी किया गया था लेकिन नोटिस का पत्र बुधवार को अचानक से सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इसकी चर्चा हर जगह शुरू हो गई है। अनीता का कहना है कि राज्य महिला आयोग अधिनियम 2004 के माध्यम से उन्हें इस तरह के निरीक्षण का अधिकार प्राप्त है।
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उनका कहना है कि वह बर्रा थाना निरीक्षण करने नहीं बल्कि एक पीड़ित महिला की शिकायत पर उस मामले के संबंध में जानकारी लेने गई थीं। इंस्पेक्टर की अनुमति से उन्होंने रजिस्टर में महिला के संबंध में जो लिखा गया था, उसके बारे जानकारी ली थी। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि कुछ समय रेल बाजार थाने में आए एक मामले में पुलिस ने यह लिखकर केस बंद कर दिया कि दोनों के बीच समझाैता हो गया। इसके बाद पीड़ित महिला ने आयोग की सुनवाई में बताया कि पुलिस ने उसकी कोई बात सुने बिना ही समझाैता होने की बात लिख दी है। विपक्षी दलों ने भी मामले को तूल दिया है। अनीता भाजपा की क्षेत्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। उनका कहना है कि विपक्षी पार्टियों के लोग राजनीतिक रंग देने के लिए सोशल मीडिया पर मुद्दे को उछाल रहे हैं।
अभद्र भाषा से झलक रही अफसर की मानसिकता
नोटिस में महिला आयोग की सदस्य को जिस तरह अभद्र भाषा में पत्र लिखा गया है, इससे यह समझ में आता है कि उस पुलिस अधिकारी की महिलाओं के प्रति मानसिकता क्या है। वे मुझे नोटिस देने के लिए अधिकृत ही नहीं हैं। जब मुझे नोटिस मिला तो हमने अध्यक्ष को बताया और नोटिस की काॅपी उन्हें भेज कर अपनी शिकायत दर्ज कराई। -अनीता गुप्ता, महिला आयोग सदस्य
पुलिस ने नोटिस नहीं पत्र दिया है
पुलिस की ओर से उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया है, केवल एक पत्र लिखा गया है। उसमें यही लिखा है कि यह पुलिस का कार्य क्षेत्र है, उसमें किसी तरह का हस्तक्षेप न करें। इससे पुलिस की कार्यप्रणाली में व्यवधान आता है। केंद्र सरकार की वीपीआरएंडी टीम कुछ दिन पहले थाने का निरीक्षण करने आई थी, उसे भी मना कर दिया गया था। कहा गया था कि पहले निरीक्षण के लिए पुलिस मुख्यालय से अनुमति लेकर आएं। - विनोद कुमार सिंह, संयुक्त पुलिस आयुक्त, क्राइम व हेडक्वार्टर