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Mukhtar Ansari: मुख्तार मामले में मेडिकल कॉलेज पहुंची जांच टीम, अफजाल के बयानों से बढ़ सकती है मुश्किलें

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बांदा Published by: शिखा पांडेय Updated Thu, 11 Apr 2024 05:15 PM IST
सार

Banda News: मुख्तार की मौत के मामले में न्यायिक टीम ने अपनी जांच भी तेज कर दी है। जांच टीम मेडिकल कॉलेज पहुंचीं। टीम ने इमरजेंसी और आईसीयू कक्ष की जानकारी की।

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Mukhtar Ansari: Investigation team reached medical college in Mukhtar case
मंडल कारागार बांदा - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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माफिया मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी के गाजीपुर पहुंचते ही न्यायिक टीम ने अपनी जांच भी तेज कर दी है। बुधवार देर शाम न्यायिक अधिकारी गरिमा सिंह टीम के साथ मेडिकल कॉलेज पहुंचीं। उन्होंने इमरजेंसी और आईसीयू कक्ष में जहां पर मुख्तार को रखा गया था और क्या इलाज दिया गया, इसकी जानकारी की। इसके अलावा न्यायिक अधिकारी ने मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल से मुख्तार का बेड हेड टिकट (बीएचटी) रिकाॅर्ड भी तलब किया है।

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सूत्रानुसार टीम का प्रमुख सवाल प्रिंसिपल से यही रहा कि 26 मार्च को किस इलाज के आधार पर आखिर मुख्तार को मेडिकल कॉलेज से सीधे कारागार भेजा गया। हालत खराब थी तो जेल के अस्पताल या फिर किसी और अस्पताल के लिए क्यों नहीं रेफर किया गया।
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बता दें कि 26 मार्च को तड़के मुख्तार को कारागार से मेडिकल कॉलेज लाया गया था, जहां से 14 घंटे बाद उसी दिन उसे कारागार वापस भेज दिया गया। इसके बाद 28 मार्च को दोबारा हालत बिगड़ने पर उसे देर शाम मेडिकल कॉलेज भेजा गया। जहां देर रात हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई थी।

मुख्तार के परिजन अभी उसे खाने में जहर दिए जाने का आरोप लगा रहे हैं। मामले में न्यायिक जांच समेत तीन जांचे की जा रही हैं। कारागार में हुई जांच के बाद बुधवार को अचानक देर शाम न्यायिक अधिकारी की टीम मेडिकल कॉलेज पहुंची तो वहां के प्रशासन में खलबली मच गई। टीम करीब एक से डेढ़ घंटे तक मेडिकल कॉलेज में रही। टीम ने 26 से 28 मार्च तक किस किस कक्ष में क्या- क्या इलाज मिला, सभी की जानकारी की। बीएचटी रिपोर्ट भी तलब कि ताकि पता चल सके कि शुरुआत से लेकर आखिर तक माफिया को किस तरह का इलाज उपलब्ध कराया गया है।

 

अफजाल के बयानों से बढ़ सकती है मुश्किलें
मुख्तार की मौत के बाद हाल ही में गाजीपुर में माफिया के बड़े भाई अफजाल ने मीडिया के सामने आरोप लगाया कि 26 मार्च को हालत बिगड़ने की सूचना पर जब वे लोग बांदा पहुंचे तो वहां के डॉक्टरों ने उनसे कहा था कि आप लोग जाएं, दो-तीन दिन के इलाज में मुख्तार ठीक हो जाएगा। अफजाल के मुताबिक अभी उन्हें व उमर को निकले दो घंटे ही हुए थे, कि मुख्तार को आईसीयू से निकालकर सीधे मंडलीय कारागार भेज दिया गया। जबकि उन लोगों ने कहा कि मुख्तार को किसी भी बड़े इलाज की जरूरत हो तो वह लोग खर्च करने को भी तैयार हैं, लेकिन मेडिकल कॉलेज ने उन्हें जेल की बैरक में वापस भिजवा दिया।

 

सर्जन से इलाज भी बन सकता है फांस
बुधवार को मुख्तार का इलाज करने वाले डॉक्टरों से पूछताछ तो नहीं हो सकी, लेकिन सवाल है कि आखिर 26 मार्च को इलाज के दौरान दो फार्मासिस्ट के अलावा एक सर्जन को क्यों रखा गया। सूत्रों की मानें तो जब मुख्तार के परिजनों से सर्जन से इलाज के बारे में जानकारी की तो उन्हें पता चला कि मुख्तार को सर्जन की कोई आवश्यकता नहीं है। सिर्फ पेट फूलने व गैस पास न होने की शिकायत है। सूत्रों का यह भी दावा है कि मौजूद सर्जन भी अपने सीनियर से फोन पर पूछकर ही मुख्तार का इलाज कर रहे थे। यह भी इलाज में लापरवाही की ओर ही इशारा करता है।
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