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Etawah: सैफई की गलियों में गूंज रहे कुलकुला ढोलक मास्टर के गीत, मुलायम हो सके तो फिर से आ जाना..
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इटावा
Published by: हिमांशु अवस्थी
Updated Fri, 14 Oct 2022 11:29 AM IST
सार
सैफई में समाजवादी गीतों के जरिए चुनाव प्रचार से लेकर बड़ी रैलियों तक गीत गाने वाले कुलकुला ढोलक मास्टर नेताजी की फोटो को छाती से लगाए घूम रहे है। मुलायम हो सके तो फिर से आ जाना..जैसे गीत गलियों में गुंज रहे हैं।
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कुलकुला ढोलक मास्टर
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
इटावा जिले में प्रदीप यादव की शादी से लेकर समाजवादी पार्टी के प्रचार प्रसार में करीब एक दशक से जुड़े कुलकुला ढोलक मास्टर नेताजी की फोटो लेकर सैफई की गलियों में घूम रहे हैं। मुलायम हो सके तो फिर से आ जाना... गीत गुनगुना रहे हैं। उनकी फोटो को सीने से लगाए वह देखे जा सकते हैं।
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यह स्थिति कुलकुला जैसे कई लोगों की है। सैफई गांव के नौजवान, महिलाएं और बुजुर्ग तक मुलायम सिंह के जाने का गम नहीं भुला पा रहा है। लोगों का कहना है नेताजी के बिना सैफई अनाथ है। नेताजी की उन पर छप्पर सी छाया थी जो अब नहीं है। नेताजी हो सके तो वापस आ जाना।
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दरअसल, सैफई परिवार जितना राजनीति के लिए जाना जाता है, उतना ही परिवार की एकता के लिए भी उसकी पहचान है। आज भी सैफई में मुलायम सिंह के भाई, बेटे, भतीजे सब साथ रहते हैं। कुलकुला ढोलक मास्टर की तरह 2200 किलोमीटर दूर तमिलनाडु से भी कार्यकर्ता सैफई पहुंचे थे।
वहां से आए सेल्वम यादव ने बताया कि वह 15 घंटे की यात्रा तय करने के बाद यहां पहुंचा है। उनके साथ कन्नन यादव व सैलमन यादव ने भी नेताजी के प्रति अपना लगाव बयां किया। बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट, पंजाब,हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश तक से लोग आ रहे हैं। इन्हें नेताजी के अंतिम दर्शन न कर पाने का अफसोस भी है।