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यूपी का मौसम: गुलाबी चक्रवात के असर से बूंदों की बौछार, मानसून के मिजाज में दिखा जलवायु परिवर्तन का असर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: प्रभापुंज मिश्रा
Updated Thu, 07 Oct 2021 06:58 PM IST
सार
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि इस बार मानसून के मिजाज में जलवायु परिवर्तन का असर अधिक दिखा है। बारिश इसी वजह बेतरतीब तरीके से हुई है। तेज धूप निकलने पर नमी के माहौल में उमस बढ़ गई।
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यूपी का मौसम
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
यूपी से मानसून की विदाई वक्त आ गया है लेकिन अभी गुलाबी चक्रवात के असर से कानपुर परिक्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में बारिश की बौछारें भिगो रही हैं। बंगाल की खाड़ी से आए गुलाबी चक्रवात का रुख प्रदेश के पूर्वी हिस्से की तरफ लेकिन असर सेंट्रल यूपी पर भी आ रहा है।
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि इस बार मानसून के मिजाज में जलवायु परिवर्तन का असर अधिक दिखा है। बारिश इसी वजह बेतरतीब तरीके से हुई है। तेज धूप निकलने पर नमी के माहौल में उमस बढ़ गई। इससे गुरुवार को अधिकतम तापमान सामान्य औसत से 1.1 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 2.9 डिग्री सेल्सियस अधिक हो गया।
दिन की तुलना में रात को तापमान अधिक बढ़ा है। सीएसए के मौसम विभाग के तकनीकी अधिकारी अधिकारी अजय मिश्रा ने बताया कि अभी गुलाबी चक्रवात का कानपुर परिक्षेत्र में हल्का सा असर है। इससे बौछार पड़ रही है। ग्रामीण इलाकों में असर ज्यादा है।
इस वक्त अधिक बारिश हुई तो विभिन्न फसलों को नुकसान हो सकता है। उन्होंने बताया कि इस बार बारिश बेतरतीब रही है। किसी स्थान पर बहुत अधिक बारिश हुई और कहीं बहुत कम। इसे जलवायु परिवर्तन का असर माना जा रहा है। अब मानसून की वापसी का वक्त आ गया है।
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मौसम विज्ञानियों का कहना है कि इस बार मानसून के मिजाज में जलवायु परिवर्तन का असर अधिक दिखा है। बारिश इसी वजह बेतरतीब तरीके से हुई है। तेज धूप निकलने पर नमी के माहौल में उमस बढ़ गई। इससे गुरुवार को अधिकतम तापमान सामान्य औसत से 1.1 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 2.9 डिग्री सेल्सियस अधिक हो गया।
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दिन की तुलना में रात को तापमान अधिक बढ़ा है। सीएसए के मौसम विभाग के तकनीकी अधिकारी अधिकारी अजय मिश्रा ने बताया कि अभी गुलाबी चक्रवात का कानपुर परिक्षेत्र में हल्का सा असर है। इससे बौछार पड़ रही है। ग्रामीण इलाकों में असर ज्यादा है।
इस वक्त अधिक बारिश हुई तो विभिन्न फसलों को नुकसान हो सकता है। उन्होंने बताया कि इस बार बारिश बेतरतीब रही है। किसी स्थान पर बहुत अधिक बारिश हुई और कहीं बहुत कम। इसे जलवायु परिवर्तन का असर माना जा रहा है। अब मानसून की वापसी का वक्त आ गया है।