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नसीमुद्दीन पर डाले जा रहे डोरे, अगले कदम का इंतजार
टीम डिजिटल, अमर उजाला, कानपुर
Updated Sun, 14 May 2017 09:40 PM IST
सार
गृह जनपद के लोगों की टिकी हैं निगाहें
सलाहकारों से सलाह का चल रहा है सिलसिला
बुंदेलखंड में अब दिनकर ही बसपा का चेहरा और मोहरा
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नसीमुद्दीन सिद्दीकी (फाइल फोटो)
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विस्तार
निष्कासन के बाद बसपा मुखिया मायावती के विरुद्ध आक्रामक तेवरों के साथ मोर्चा खोले पूर्व काबीना मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के अब अगले कदम का लोगों को बेताबी से इंतजार है। खासकर यहां उनके गृह जनपद और बुंदेलखंड में लोगों की खास निगाहें टिकी हुई हैं। चर्चा है कि सिद्दीकी पर अन्य दलों से डोरे डाले जा रहे हैं। बुंदेलखंड में अब गयाचरन दिनकर ही बसपा का चेहरा और मोहरा बचे हैं। एक-एक करके यहां के तीन दिग्गजों को बसपा निकाल चुकी है। इनमें एक दद्दू प्रसाद को फिर इंट्री मिल गई है।
बसपा के अस्तित्व में आने के दौरान से ही बांदा के बाशिंदे नसीमुद्दीन सिद्दीकी इससे जुड़ गए थे। धीरे-धीरे उन्होंने अपना कद काफी ऊंचा कर लिया। यहां तक कि उन्हें पार्टी में दो नंबर का मुकाम वाला कहा जाने लगा। बसपा के तमाम दिग्गजों के निकाले या पार्टी छोड़ देने के बाद भी नसीमुद्दीन की नैय्या नहीं डगमगाई।
वह बसपा में डटे रहे। अब विधान सभा चुनाव के डेढ़ माह बाद ही उन्हें पार्टी मुखिया मायावती द्वारा पार्टी से निकाल दिए जाने के बाद सूबे के साथ उनके गृह जनपद में भी राजनीतिक सरगर्मियां काफी बढ़ गई हैं। मायावती के प्रति उनके बागी तेवरों को भी गंभीरता और दिलचस्पी से देखा और सुना जा रहा है। साथ ही उनके अगले कदम पर लोगों की निगाहें टिकी हैं।
चर्चा है कि बाबू सिंह कुशवाहा या दद्दू प्रसाद की तर्ज पर श्री सिद्दीकी फिलहाल कोई नई पार्टी नहीं बनाएंगे। हालांकि यह भी पता चला है कि नसीमुद्दीन पर प्रदेश के कई बड़े दलों ने डोरे डालना शुरू कर दिया है। खासकर तीन पार्टियों की चर्चा है। हालांकि श्री सिद्दीकी फिलहाल ऐसी किसी भी बात से इनकार कर रहे हैं। साथ ही वह अपने नजदीकी और सलाहकारों से सलाह भी ले रहे हैं।
उधर, बुंदेलखंड में अब बसपा के बड़े नेताओं में गयाचरन दिनकर ही बचे हैं। इसके पहले की विधान सभा में वह नेता विरोधी दल भी थे। बसपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। बसपा के कोआर्डिनेटर भी हैं। दलितों में भी उनकी खासी पकड़ है। उधर, बसपा के एक अन्य संस्थापक नेता के रूप में पहचाने जाने वाले दद्दू प्रसाद भी बांदा जिले के हैं। उन्हें भी मायावती ने वर्ष 2014 में उन्हें बसपा से निकाल दिया था। लेकिन इसी वर्ष फरवरी माह में उनकी वापसी हो गई है। फिलहाल उन्हें मध्य प्रदेश के दो जिलों छतरपुर व टीकमगढ़ का जिम्मा सौंपा गया है। वह वहीं डेरा डाले हुए हैं।
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बसपा के अस्तित्व में आने के दौरान से ही बांदा के बाशिंदे नसीमुद्दीन सिद्दीकी इससे जुड़ गए थे। धीरे-धीरे उन्होंने अपना कद काफी ऊंचा कर लिया। यहां तक कि उन्हें पार्टी में दो नंबर का मुकाम वाला कहा जाने लगा। बसपा के तमाम दिग्गजों के निकाले या पार्टी छोड़ देने के बाद भी नसीमुद्दीन की नैय्या नहीं डगमगाई।
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वह बसपा में डटे रहे। अब विधान सभा चुनाव के डेढ़ माह बाद ही उन्हें पार्टी मुखिया मायावती द्वारा पार्टी से निकाल दिए जाने के बाद सूबे के साथ उनके गृह जनपद में भी राजनीतिक सरगर्मियां काफी बढ़ गई हैं। मायावती के प्रति उनके बागी तेवरों को भी गंभीरता और दिलचस्पी से देखा और सुना जा रहा है। साथ ही उनके अगले कदम पर लोगों की निगाहें टिकी हैं।
चर्चा है कि बाबू सिंह कुशवाहा या दद्दू प्रसाद की तर्ज पर श्री सिद्दीकी फिलहाल कोई नई पार्टी नहीं बनाएंगे। हालांकि यह भी पता चला है कि नसीमुद्दीन पर प्रदेश के कई बड़े दलों ने डोरे डालना शुरू कर दिया है। खासकर तीन पार्टियों की चर्चा है। हालांकि श्री सिद्दीकी फिलहाल ऐसी किसी भी बात से इनकार कर रहे हैं। साथ ही वह अपने नजदीकी और सलाहकारों से सलाह भी ले रहे हैं।
उधर, बुंदेलखंड में अब बसपा के बड़े नेताओं में गयाचरन दिनकर ही बचे हैं। इसके पहले की विधान सभा में वह नेता विरोधी दल भी थे। बसपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। बसपा के कोआर्डिनेटर भी हैं। दलितों में भी उनकी खासी पकड़ है। उधर, बसपा के एक अन्य संस्थापक नेता के रूप में पहचाने जाने वाले दद्दू प्रसाद भी बांदा जिले के हैं। उन्हें भी मायावती ने वर्ष 2014 में उन्हें बसपा से निकाल दिया था। लेकिन इसी वर्ष फरवरी माह में उनकी वापसी हो गई है। फिलहाल उन्हें मध्य प्रदेश के दो जिलों छतरपुर व टीकमगढ़ का जिम्मा सौंपा गया है। वह वहीं डेरा डाले हुए हैं।