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Kaushambi News: कौशाम्बी के शाहरुख का शेर पढ़ सदन में सरकार को घेरा
संवाद न्यूज एजेंसी, कौशांबी
Updated Sun, 21 Dec 2025 02:43 AM IST
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कौशाम्बी के युवा हिंदी कवि शाहरुख सिद्दीकी का शेर देश के सर्वोच्च सदन संसद में गूंजा। बुधवार को बिल का नाम बदलने को लेकर चल रही चर्चा के दौरान कौशाम्बी के सांसद पुष्पेंद्र सरोज ने शाहरुख का शेर पढ़ते हुए सरकार पर तीखा प्रहार किया। सांसद के संबोधन का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ तो जनपदवासियों ने इसे गौरव का क्षण बताया।
सदन में चर्चा के दौरान सांसद ने कहा कि जिनसे हालात बदलने की उम्मीद थी, वह केवल नाम बदलने में लगे हैं। इसके समर्थन में उन्होंने कौशाम्बी के छोटे से गांव उस्मानपुर बिगहरा निवासी कवि शाहरुख सिद्दीकी का शेर पढ़ा। शेर सुनते ही सदन का ध्यान उनकी ओर आकर्षित हो गया। सांसद का वीडियो वायरल होने के बाद जिले में खुशी की लहर दौड़ गई। वहीं कवि शाहरुख सिद्दीकी ने कहा कि वह यह शेर पहले भी देश के कई मंचों पर पढ़ चुके हैं और इसका उद्देश्य किसी सरकार की बुराई करना नहीं है। उन्होंने कहा कि वे युवाओं की भावना और पसंद को शब्दों में पिरोते हैं।
सदन में पढ़ा गया शेर
वो हर एक पहलू का अंजाम बदलने में मस्त हैं,
कहीं चुपके से कहीं खुलेआम बदलने में मस्त हैं।
जिन्हें चुना था देश ने हालात बदलने के लिए,
वो आज सिर्फ और सिर्फ नाम बदलने में मस्त हैं।
देश के कई मंचों पर यह शेर पढ़ चुका हूं। मेरा उद्देश्य किसी सरकार की आलोचना करना नहीं है, बल्कि युवाओं की भावनाओं को व्यक्त करना है।
- शाहरुख सिद्दीकी, कवि
शेर का हर शब्द सरकार की सच्चाई बयां करता है। कवियों का दायित्व है कि वे शब्दों के माध्यम से सच सामने रखें।
- पुष्पेंद्र सरोज, सांसद
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सदन में चर्चा के दौरान सांसद ने कहा कि जिनसे हालात बदलने की उम्मीद थी, वह केवल नाम बदलने में लगे हैं। इसके समर्थन में उन्होंने कौशाम्बी के छोटे से गांव उस्मानपुर बिगहरा निवासी कवि शाहरुख सिद्दीकी का शेर पढ़ा। शेर सुनते ही सदन का ध्यान उनकी ओर आकर्षित हो गया। सांसद का वीडियो वायरल होने के बाद जिले में खुशी की लहर दौड़ गई। वहीं कवि शाहरुख सिद्दीकी ने कहा कि वह यह शेर पहले भी देश के कई मंचों पर पढ़ चुके हैं और इसका उद्देश्य किसी सरकार की बुराई करना नहीं है। उन्होंने कहा कि वे युवाओं की भावना और पसंद को शब्दों में पिरोते हैं।
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सदन में पढ़ा गया शेर
वो हर एक पहलू का अंजाम बदलने में मस्त हैं,
कहीं चुपके से कहीं खुलेआम बदलने में मस्त हैं।
जिन्हें चुना था देश ने हालात बदलने के लिए,
वो आज सिर्फ और सिर्फ नाम बदलने में मस्त हैं।
देश के कई मंचों पर यह शेर पढ़ चुका हूं। मेरा उद्देश्य किसी सरकार की आलोचना करना नहीं है, बल्कि युवाओं की भावनाओं को व्यक्त करना है।
- शाहरुख सिद्दीकी, कवि
शेर का हर शब्द सरकार की सच्चाई बयां करता है। कवियों का दायित्व है कि वे शब्दों के माध्यम से सच सामने रखें।
- पुष्पेंद्र सरोज, सांसद
