{"_id":"691a310d1e0822dc8204105a","slug":"biomedical-waste-being-dumped-in-the-medical-college-campus-kushinagar-news-c-205-1-deo1003-149080-2025-11-17","type":"story","status":"publish","title_hn":"Kushinagar News: मेडिकल कॉलेज कैंपस में फेंका जा रहा बायो मेडिकल वेस्ट","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Kushinagar News: मेडिकल कॉलेज कैंपस में फेंका जा रहा बायो मेडिकल वेस्ट
विज्ञापन
अस्पताल परिसर में फेंका गया मेडिकल वेस्ट। संवाद
विज्ञापन
कुशीनगर। मेडिकल कॉलेज के कैंपस में दक्षिण तरफ बायो मेडिकल वेस्ट फेंका जा रहा है। इससे उठ रहे दुर्गंध से मरीज परेशान हैं। कैंपस में बने बायो मेडिकल स्टोर का फाटक बंद पड़ा है। इसकी दुर्गंध दो मंजिल पर संचालित आरआरसी सेंटर तक पहुंच रहा है। यहां आने वाले मरीजों को दुर्गंध के चलते नाक पर रूमाल रखना पड़ रहा है। जिस फर्म का ठेका है, वह समय से कूड़ा नहीं उठवा रहा है। कूड़े से खून से सने कपड़े लेकर कुत्ते इधर उधर भाग रहे हैं। इसके अलावा सीरिंज, प्लास्टिक और सीसी की बोतलें फेंकी जा रही हैं।
मेडिकल कॉलेज से निकलने से वाले बायो मेडिकल वेस्ट को उठवाकर ले जाने की जिम्मेदारी एक फर्म को मिली थी। उसका ठेका बीच में खत्म हो गया और रिनीवल नहीं किया गया। इसके बाद बायो मेडिकल वेस्ट कैंपस में इक्का होने लगा। इसके बाद तीन माह के लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने उसी फर्म को टेंडर किया है, बावजूद समय से बायो मेडिकल वेस्ट ले जाने के लिए गाड़ी नहीं पहुंच रही है। कूड़ा का ढेर कैंपस में लगने से दुर्गंध उठ रहा है। दूसरी मंजिल पर रैंप से जाने वाले तीमारदारों या मरीजों को नाक पर रूमाल रखकर जाना पड़ रहा है। सीएमएस डॉ. दिलीप कुमार ने बताया कि टेंडर खत्म हो गया था। तीन माह के लिए हाल ही में खलीलाबाद वाले फर्म को ही टेंडर किया गया है। बायो मेडिकल वेस्ट क्यों इक्कठा हुआ है। इसकी जानकारी कराता हूं।
जिले के अस्पतालों, पैथोलॉजी व एक्स-रे स्टोर से निकले वाला मेडिकल वेस्ट सड़कों के किनारे और खुले मैदानों में फेंका जा रहा है। कई स्थानों पर इसे जलाया भी जाता है। जिम्मेदार स्वास्थ्य व प्रदूषण विभाग के अधिकारी इस मनमानी पर मौन हैं। इससे लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर असर पड़ रहा है।
जिले में जिला अस्पताल, दस सीएचसी, करीब 40 पीएचसी, सौ के करीब निजी अस्पताल, क्लीनिक, डेढ़ सौ से अधिक पंजीकृत और गैर पंजीकृत पैथालॉजी सेंटर, एक्सरे सेंटर संचालित हैं। इन स्थानों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट मैटेरियल (खून, केमिकल्स से भींगे कॉटन-पट्टी से लेकर सीरिंज, दवाओं के रैपर) के निस्तारण में लापरवाही बरती जा रही है। इन्हें खुले मैदानों व सड़कों के किनारे फेंका जा रहा है। कुछ सेंटर तो इस मेडिकल वेस्ट को जलाकर पर्यावरण को क्षति पहुंचा रहे हैं। बावजूद स्वास्थ्य विभाग के साथ ही प्रदूषण विभाग के आला अधिकारी उदासीन बने हुए हैं। शासन के नियमानुसार अगर कोई नर्सिंग होम, अस्पताल या क्लीनिक इन नियमों का पालन नहीं करता है तो जुर्माने के साथ ही उसकी मान्यता व लाइसेंस निरस्त करने तक का प्रावधान है।
बजबजा रहा 15 क्विंटल कचरा
जिला अस्पताल में मांस के टुकड़े, खून से सने कपड़े, सीरिंज, प्लास्टिक और सीसी की बोतलें फेंकी जा रही हैं। यहां करीब 15 क्विंटल कचरा बजबजा रहा है, जबकि पूर्व में नोटिस भी मिल चुका है। अस्पताल के दवा भंडारण के सामने भी दवाएं और इंजेक्शन आग के हवाले किए गए थे। ब्लॉक पीएचसी केकराही और चतरा में भी मेडिकल कचरे को बॉक्स के बजाय खुले में फेंका जा रहा है।
बायो मेडिकल वेस्ट नोडल अधिकारी डॉ. सुमन ने कहा कि बाॅयो मेडिकल वेस्ट के उचित निस्तारण के लिए संगम मेडिसर्स को जिम्मेदारी सौंपी गई है। संस्था को ही अस्पतालों से कचरा उठाकर निस्तारण के लिए ले जाना है। सीएचसी अधीक्षकों को समय-समय पर निर्देश दिए जाते रहे हैं। अगर कहीं लापरवाही है तो निरीक्षण कर कार्रवाई की जाएगी।
Trending Videos
मेडिकल कॉलेज से निकलने से वाले बायो मेडिकल वेस्ट को उठवाकर ले जाने की जिम्मेदारी एक फर्म को मिली थी। उसका ठेका बीच में खत्म हो गया और रिनीवल नहीं किया गया। इसके बाद बायो मेडिकल वेस्ट कैंपस में इक्का होने लगा। इसके बाद तीन माह के लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने उसी फर्म को टेंडर किया है, बावजूद समय से बायो मेडिकल वेस्ट ले जाने के लिए गाड़ी नहीं पहुंच रही है। कूड़ा का ढेर कैंपस में लगने से दुर्गंध उठ रहा है। दूसरी मंजिल पर रैंप से जाने वाले तीमारदारों या मरीजों को नाक पर रूमाल रखकर जाना पड़ रहा है। सीएमएस डॉ. दिलीप कुमार ने बताया कि टेंडर खत्म हो गया था। तीन माह के लिए हाल ही में खलीलाबाद वाले फर्म को ही टेंडर किया गया है। बायो मेडिकल वेस्ट क्यों इक्कठा हुआ है। इसकी जानकारी कराता हूं।
विज्ञापन
विज्ञापन
जिले के अस्पतालों, पैथोलॉजी व एक्स-रे स्टोर से निकले वाला मेडिकल वेस्ट सड़कों के किनारे और खुले मैदानों में फेंका जा रहा है। कई स्थानों पर इसे जलाया भी जाता है। जिम्मेदार स्वास्थ्य व प्रदूषण विभाग के अधिकारी इस मनमानी पर मौन हैं। इससे लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर असर पड़ रहा है।
जिले में जिला अस्पताल, दस सीएचसी, करीब 40 पीएचसी, सौ के करीब निजी अस्पताल, क्लीनिक, डेढ़ सौ से अधिक पंजीकृत और गैर पंजीकृत पैथालॉजी सेंटर, एक्सरे सेंटर संचालित हैं। इन स्थानों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट मैटेरियल (खून, केमिकल्स से भींगे कॉटन-पट्टी से लेकर सीरिंज, दवाओं के रैपर) के निस्तारण में लापरवाही बरती जा रही है। इन्हें खुले मैदानों व सड़कों के किनारे फेंका जा रहा है। कुछ सेंटर तो इस मेडिकल वेस्ट को जलाकर पर्यावरण को क्षति पहुंचा रहे हैं। बावजूद स्वास्थ्य विभाग के साथ ही प्रदूषण विभाग के आला अधिकारी उदासीन बने हुए हैं। शासन के नियमानुसार अगर कोई नर्सिंग होम, अस्पताल या क्लीनिक इन नियमों का पालन नहीं करता है तो जुर्माने के साथ ही उसकी मान्यता व लाइसेंस निरस्त करने तक का प्रावधान है।
बजबजा रहा 15 क्विंटल कचरा
जिला अस्पताल में मांस के टुकड़े, खून से सने कपड़े, सीरिंज, प्लास्टिक और सीसी की बोतलें फेंकी जा रही हैं। यहां करीब 15 क्विंटल कचरा बजबजा रहा है, जबकि पूर्व में नोटिस भी मिल चुका है। अस्पताल के दवा भंडारण के सामने भी दवाएं और इंजेक्शन आग के हवाले किए गए थे। ब्लॉक पीएचसी केकराही और चतरा में भी मेडिकल कचरे को बॉक्स के बजाय खुले में फेंका जा रहा है।
बायो मेडिकल वेस्ट नोडल अधिकारी डॉ. सुमन ने कहा कि बाॅयो मेडिकल वेस्ट के उचित निस्तारण के लिए संगम मेडिसर्स को जिम्मेदारी सौंपी गई है। संस्था को ही अस्पतालों से कचरा उठाकर निस्तारण के लिए ले जाना है। सीएचसी अधीक्षकों को समय-समय पर निर्देश दिए जाते रहे हैं। अगर कहीं लापरवाही है तो निरीक्षण कर कार्रवाई की जाएगी।