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बफर जोन में बाघों की गणना शुरू
न्यूज डेस्क,अमर उजाला,लखीमपुर खीरी
Updated Mon, 05 Mar 2018 08:23 PM IST
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टाइगर
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दुधवा नेशनल पार्क समेत खीरी के जंगलों में बाघों की गणना का काम तेजी से शुरू हो चुका है। दुधवा नेशनल पार्क और किशनपुर सेंक्चुरी में गणना के लिए कैमरे लगाने का काम पूरा हो चुका है। अब दुधवा टाइगर रिजर्व के बफर जोन में कैमरे लगाने का काम शुरू हुआ है। बफर जोन में पहले चरण में मझगईं, उत्तर निघासन और दक्षिण निघासन वन रेंज में 24 जोड़ी कैमरे लगाए जा रहे हैं। 45 से 60 दिनों तक कैमरे लगे रहने के बाद इन कैमरों को दूसरी जगह लगाया जाएगा।
इस बार इन कैमरों के जरिए कैमरों की जद में आने वाले शाकाहारी पशुओं की गणना भी हो सकेगी। इन कैमरों में हाथी, हिरन, भालू, जंगली सुअर आदि शाकाहारी जीव ही कैमरे की नजर में आ पाएंगे। हालांकि शाकाहारी पशुओं की यह गणना संपूर्ण नहीं मानी जाएगी, लेकिन इससे जंगल की पारिस्थितिकी और बाघ के भोजन की उपलब्धता का आंकलन हो सकेगा। दुधवा टाइगर रिजर्व के बफर जोन में शामिल मैलानी, भीरा, पलिया, संपूर्णानगर, मझगईं, उत्तर निघासन, दक्षिण निघासन और धौरहरा रेंज के साथ साथ दक्षिण खीरी वन प्रभाग के गोला और महेशपुर रेंज में बाघों की गणना के लिए कैमरे लगाए जाएंगे। पहले चरण में मझगईं, उत्तर निघासन और दक्षिण निघासन को लिया गया है।
एक ही जगह पर 45 दिनों से 60 दिनों तक एक ही स्थान पर कैमरे लगे रहने के बाद कार्ड बदलकर यह कैमरे दूसरी जगह शिफ्ट किए जाएंगे। कार्ड की तस्वीरों को विश्लेषण के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून भेजा जाएगा। जहां बाघों की धारियों से उनकी पहचान की जाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि बाघों की धारियां कभी आपस में मेल नहीं खाती। बाघों की धारियों को देखकर तकनीकी विशेषज्ञ बाघों की संख्या का पता लगाते हैं।
कैमरा ट्रैपिंग है शुद्ध गणना तकनीक
पहले बाघों की गणना पगमार्क के जरिए होती थी। कभी-कभी पगमार्क स्पष्ट न होने से बाघों की गिनती में त्रुटियां रह जाती थीं, जबकि कैमरा ट्रैपिंग के जरिए होने वाली गणना में किसी तरह की त्रुटियां होने की आशंका नहीं रह जाती। कैमरा ट्रैपिंग के जरिए होने वाली गणना को तकनीकी रूप से शुद्ध माना जाता है।
बाघ गणना के लिए दुधवा टाइगर रिजर्व के बफर जोन में चरणबद्ध तरीके से कैमरे लगाए जा रहे हैं। बफर जोन में बाघों की गणना के लिए कैमरे लगाने का काम पूरा होने के बाद दक्षिण खीरी वन प्रभाग में भी कैमरे लगेंगे। - डॉ. अनिल पटेल, उपनिदेशक, दुधवा टाइगर रिजर्व बफर जोन
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इस बार इन कैमरों के जरिए कैमरों की जद में आने वाले शाकाहारी पशुओं की गणना भी हो सकेगी। इन कैमरों में हाथी, हिरन, भालू, जंगली सुअर आदि शाकाहारी जीव ही कैमरे की नजर में आ पाएंगे। हालांकि शाकाहारी पशुओं की यह गणना संपूर्ण नहीं मानी जाएगी, लेकिन इससे जंगल की पारिस्थितिकी और बाघ के भोजन की उपलब्धता का आंकलन हो सकेगा। दुधवा टाइगर रिजर्व के बफर जोन में शामिल मैलानी, भीरा, पलिया, संपूर्णानगर, मझगईं, उत्तर निघासन, दक्षिण निघासन और धौरहरा रेंज के साथ साथ दक्षिण खीरी वन प्रभाग के गोला और महेशपुर रेंज में बाघों की गणना के लिए कैमरे लगाए जाएंगे। पहले चरण में मझगईं, उत्तर निघासन और दक्षिण निघासन को लिया गया है।
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एक ही जगह पर 45 दिनों से 60 दिनों तक एक ही स्थान पर कैमरे लगे रहने के बाद कार्ड बदलकर यह कैमरे दूसरी जगह शिफ्ट किए जाएंगे। कार्ड की तस्वीरों को विश्लेषण के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून भेजा जाएगा। जहां बाघों की धारियों से उनकी पहचान की जाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि बाघों की धारियां कभी आपस में मेल नहीं खाती। बाघों की धारियों को देखकर तकनीकी विशेषज्ञ बाघों की संख्या का पता लगाते हैं।
कैमरा ट्रैपिंग है शुद्ध गणना तकनीक
पहले बाघों की गणना पगमार्क के जरिए होती थी। कभी-कभी पगमार्क स्पष्ट न होने से बाघों की गिनती में त्रुटियां रह जाती थीं, जबकि कैमरा ट्रैपिंग के जरिए होने वाली गणना में किसी तरह की त्रुटियां होने की आशंका नहीं रह जाती। कैमरा ट्रैपिंग के जरिए होने वाली गणना को तकनीकी रूप से शुद्ध माना जाता है।
बाघ गणना के लिए दुधवा टाइगर रिजर्व के बफर जोन में चरणबद्ध तरीके से कैमरे लगाए जा रहे हैं। बफर जोन में बाघों की गणना के लिए कैमरे लगाने का काम पूरा होने के बाद दक्षिण खीरी वन प्रभाग में भी कैमरे लगेंगे। - डॉ. अनिल पटेल, उपनिदेशक, दुधवा टाइगर रिजर्व बफर जोन