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अनोखी परंपरा: लखीमपुर खीरी में इमली बनी दुल्हन और कुआं दूल्हा, धूमधाम से निकली बरात, ग्रामीणों ने कराया विवाह

संवाद न्यूज एजेंसी, लखीमपुर खीरी Published by: मुकेश कुमार Updated Mon, 24 Nov 2025 02:31 PM IST
सार

लखीमपुर खीरी जिले के गांव भेरमपुर में रविवार को अनोखी शादी हुई। ग्रामीणों ने इमली के पौधे को दुल्हन बनाकर कुएं के साथ विवाह कराया। विधि-विधान से विवाह की सारी रस्में पूरी की गईं।   

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villagers performed the marriage of tamarind tree and well in Lakhimpur kheri
इमली और कुआं का कराया गया विवाह - फोटो : संवाद
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विस्तार
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लखीमपुर खीरी जिले के बेलरायां क्षेत्र के गांव भेरमपुर में कुआं संग इमली का विवाह रविवार को धूमधाम से किया गया। बरातियों ने डीजे साउंड पर जमकर डांस किया। शादी के भोज में सभी ने सब्जी, दाल-चावल, पूड़ी, मीठा ग्रहण किया। इस अनूठी परंपरा को लेकर ग्रामीणों में खासा उत्साह बना रहा।

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गांव भेरमपुर के पंडित कृपा शंकर ने आम लकड़ी से वर स्वरूप कुएं का पुतला बनाया। उसको वस्त्र, माला, पगड़ी से सजाकर धागा बांधा। धागे के छोर को चार सौ मीटर दूर आम बाग में वधू इमली (इमली का पौधा) का बंधन किया। इमली पक्ष ने इमली को सुहाग देकर सोने का नाक फूल, टॉप्स, चांदी, मंगलसूत्र, पायल, साड़ी ब्लाउज, चूड़ी चुनरी पहनाई। कुआं पक्ष के बरातियों ने गांव में धूमधाम से बरात निकाली। 
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आम बाग में पहुंची बरात में वर स्वरूप कुएं के पुतले का वैदिक मंत्रोच्चार से द्वाराचार किया गया। घरातियों ने बरातियों को चाय, नमकीन, लड्डू का नाश्ता कराया। इसके बाद भोज कराया गया। पंडित कृपा शंकर ने बाग में कुआं संग इमली के प्रतीकात्मक फेरे कराकर कलेवा कराया। 

villagers performed the marriage of tamarind tree and well in Lakhimpur kheri
बाग में इमली पक्ष के लोग - फोटो : संवाद

क्या है परंपरा 
गांव भेरमपुर निवासी जगन्नाथ प्रसाद यादव बताते हैं कि सन 1960 में गांव निवासी खुशीराम यादव के कुआं का विवाह इमली के संग हुआ था। इसके बाद साल 1995 में यह परंपरा फिर निभाई गई। बाद में खुशीराम यादव के पुत्रों के बंटवारे में कुआं एक पुत्र के हिस्से में आ गया था। बाग में इमली का पेड़ दीमक लगने से खत्म हो गया था। इससे परिवार के लोगों को विवाह की रस्म पूरी करने में दिक्कत होती थी। 

लोक परंपरा के अनुसार विवाह में उस कुएं का पूजन कराया जाता है, जिसका इमली के साथ विवाह कराया गया हो। ऐसे में साल 2024 में इमली पौधा आम के बाग में लगाकर गांव के चौराहे पर स्थित कुआं से शादी करने का निर्णय लिया था। परंपरा के अनुसार महिलाओं ने बुधवार को छेई, बृहस्पतिवार को रतिजगा, शुक्रवार को तेल पूजन, रविवार को आम बाग में इमली का विवाह कुआं संग कराया गया। इस मौके पर गांव के वीरेंद्र कुमार यादव, अवधेश कुमार यादव, राकेश यदुवंशी, परमानन्द कश्यप, कुलदीप कुमार, गोपाल, रोहन कश्यप समेत सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे। 

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