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क्षमावाणी में निहित जीवन में मधुरता का संदेश
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- फोटो : jain mandir.jpg
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ललितपुर। क्षमा मांगना और क्षमा कर देना साहस का काम होता है। क्षमा से अंतस की शुद्धि होती है और बैर-भाव मिटता है। जैन दर्शन में पर्यूषण पर्व के दिनों में आध्यात्मिक तत्वों की हम आराधना करके अपना और अपने जीवन मूल्यों का स्पर्श करते हैं। इसकी समाप्ति के ठीक एक दिन बाद क्षमावाणी पर्व मनाया जाता है। क्षमावाणी के महत्व को करुणा इंटरनेशनल की आयोजित परिचर्चा के माध्यम से पदाधिकारियों ने अपने-अपने विचारों के माध्यम से बताया।
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करुणा इंटरनेशनल ललितपुर केंद्र के अध्यक्ष अक्षय अलया ने कहा कि दुनिया में यह पर्व अनूठा पर्व है। जिसमें क्षमा मांगी जाती है। प्रत्येक जीव से अपने जाने या अनजाने में किए गए अपराधों के प्रति क्षमा-याचना करता है। बधाइयों के पर्व बहुत होते हैं,लेकिन जीवन में एक ऐसा दिन भी आना चाहिए,जब हम अपनी आत्मा के बोझ को कुछ हल्का कर सकें। अपनी भूल का प्रायश्चित करना और यह प्रतिज्ञा करना कि दूसरी भूल नहीं करेंगे। यह हमारे आत्मविकास में सहयोगी होता है।
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संजीव सौंरया ने कहा कि हमें वर्ष में एक बार विचार जरूर करना चाहिए कि हमने वर्षभर में कितने लोगों को दुख पहुंचाया है। सदियों से चले आ रहे बैर-भाव की गांठ को बांधकर आखिर हम कहां जाएंगे। जब हम किसी से क्षमा मांगते हैं तो दरअसल अपने ऊपर ही उपकार करते हैं। अच्छाई की ओर प्रवृत्त होने की भावना जब हर मानव के चित्त में समा जाएगी, तब मानव जीवन की तस्वीर ही कुछ और होगी।
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संयोजक पुष्पेंद्र जैन ने कहा कि क्षमा का अर्थ किसी की गलती या अपराध का प्रतिकार नहीं करना। सहन करके अपनी सामर्थ्य के अनुसार क्षमा दें। क्षमा कर देना बहुत बड़ी क्षमता का परिचायक होता है। इसलिए नीति में भी कहा गया है क्षमा वीरस्य भूषणम अर्थात क्षमा वीरों का आभूषण है, कायरों का नहीं। कायर तो प्रतिकार करता है। प्रतिकार करना आम बात है, लेकिन क्षमा करना सबसे श्रेष्ठतम गुण है। क्षमा भाव अंतस का भाव है।
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नीलम सराफ ने कहा कि क्षमा तो देश की संस्कृति का पारंपरिक गुण हैं। यहां तो दुश्मनों तक को क्षमा कर दिया जाता है। हमारी संस्कृति में सभी जीवों में मैत्री-भाव और किसी से बैर-भाव न रखें। जैन संस्कृति ने इस सूक्ति को हमेशा दोहराया है। अनेक धर्मो और दार्शनिकों ने क्षमा की महिमा को निरूपित किया है। क्षमा दिवस आध्यात्मिक पर्व है। अंतस के मूलगुण किसी धर्म-संप्रदाय से बंधे नहीं होते, इसीलिए क्षमा पर्व सर्वधर्म समन्वय का आधार है।
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मधु खजुरिया ने कहा कि क्षमावाणी पर्व राग-द्वेष,अहंकार से भरे इस संसार में अपने-अपने हितों और अहंकारों की गठरी को दूर करने का मौका देता है। जाने-अनजाने में लोगों के दिलों को अथवा खुद की भावनाओं को भी ठेस पहुंचाते हैं। ऐसी बातों को अपने मन से दूर करने और दूसरों के दिलों को दुखाए जाने से जो कष्ट हमारे द्वारा उन्हें प्राप्त हुआ है,उन सब बातों को दूर करने का यही एक अच्छा मौका होता है। क्षमावाणी पर्व पर हम क्षमा का दान देकर जीवन में हुई बुराइयों को समाप्त कर सकते हैं।
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पर्यूषण पर्व: सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बांधा समा
ललितपुर। पर्यूषण पर्व पर नगर के नई बस्ती स्थित आदिनाथ मंदिर प्रांगण में श्रीस्याद्वाद वर्द्धमान सेवा संघ के तत्वावधान में आयोजित महाआरती में बच्चों और युवाओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर समां बाध दिया।
जैन पंचायत के अध्यक्ष अनिल अंचल, महामंत्री डॉ अक्षय टडैया, धार्मिक आयोजन समिति संयोजक मनोज बबीना, संजीव जैन, अरविंद जैन अंकुर, जिनेंद्र जैन, पार्षद महेंद्र जैन, राजकुमार, डॉ सुनील संचय,अक्षय अलया, आनंद जैन, मुकेश जैन, आलोक जैन, अशोक देलवारा, सचिन शास्त्री आदि ने आचार्य विद्यासागर महाराज के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्ज्वलन किया। मंगलाचरण अन्वी जैन के मनमोहक भक्ति नृत्य कर किया। युवाओं ने राजस्थानी परिधान में डांडिया के साथ रंगमा, रंगमा जैसे विभिन्न भक्ति गीतों पर खूब धमाल किया। अंशुल एंड ग्रुप ने बोल मेरी उलझन मिटा दो नाटक का मंचन कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
विभिन्न ग्रुपों द्वारा प्रस्तुत वन उपवन अभिनंदन करता, आयो रे आयो पर्व पर्यूषण आयो, पाप मिटाने पुण्य कमाने पर्यूषण है। उड़ी उड़ी जाय जैसे अनेक भक्ति नृत्यों ने अंत तक समा बांधे रखा। राजस्थानी, गुजराती, बुंदेली गीतों पर ग्रुपों ने प्रस्तुति दीं। इस मौके पर संस्था के अध्यक्ष सतेंद्र जैन अर्पित जैन अंशुल,शुभेंदु जैन, सत्येंद्र, संजय सिंघई, अंशुल जैन, आयुष जैन, अंकित जैन, कल्लू पहलवान, दीपक डोंगरा, अनुभव सनी, विकास विक्की, दीपक रानू, विशाल जैन, सुमत, सोहित बजाज, हर्ष, हनु, अभिषेक, अंकित , वैभव, रिदम, अनिकेत, आयुष नुना, शोभित, शशांक, स्वजय, अभि, सक्षम, गौरव खिरिया, आयुष सिरोंन, यशदीप आदि का सराहनीय योगदान रहा। ग्रुपों की प्रस्तुतियों के पूर्व नौ पुण्यार्जक परिवारों द्वारा भक्तांबर के 48 काव्यों पर मंत्रोच्चार पूर्वक दीपक प्रज्ज्वलित करने के बाद संगीतमयी आरती की गई। वहीं जैन सेवा समिति द्वारा बन रहे जनक जननी वृद्ध आश्रम में एक कमरे के निर्माण हेतु सुमन भागचंद जैन पूर्व प्रधानाचार्य राजकीय बालिका इंटर कॉलेज ने दान दिया।
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जैन शिक्षक सामाजिक समूह ने आर्यिका श्री से लिया आर्शीर्वाद
ललितपुर। जैन शिक्षक सामाजिक समूह के सदस्यों ने सोमवार को स्टेशन रोड स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन क्षेत्रपाल मंदिर में आर्यिका रत्न 105 आदर्शमति माता से आर्शीर्वाद लिया। उन्होंने शिक्षक व शिक्षिकाओं से कहा कि विद्यालयों में बच्चों को लौकिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा के संस्कार भी दें, जिससे बच्चे संस्कारवान बनें। शिक्षक बच्चों को जैसी शिक्षा देंगे वह उसी का अनुसरण करेंगे।
इस दौरान संरक्षक देवेंद्र जैन, सत्येंद्र जैन,अध्यक्ष जितेंद्र जैन राजू, संयोजक अंतिम जैन, राहुल जैन, प्रफुल्ल जैन, दीपक जैन, धीरेंद्र जैन, अमित जैन, राजीव बजाज,पुष्पेंद्र जैन,प्रदुम्न जैन,सुरेंद्र जैन,प्रतीक लोहिया,रीतेश जैन,सुशील जैन,असीम जैन,अंकित मोदी,अमन जैन,मनोज जैन,सचिन जैन,अंकित लोहिया,डॉ. सुनील संचय, आदेश जैन,नितिन कडंकी,सचिन जैन, गरिमा जैन,साधना जैन, अनामिका जैन,अमृता लोहिया, दीप्ति जैन, प्रिंसी जैन, वर्षा जैन, सोनाली जैन, सीमा जैन,रानी जैन, नीलम जैन, नेहा जैन, दीपारानी जैन, नीलम जैन, सीमा जैन, चंद्रकांता जैन आदि मौजूद रहे। इधर, नई बस्ती स्थित आदिनाथ जिनालय में समूह के सदस्यों ने दीप प्रज्वलित किए।
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11 दिन बाद खोला उपवास, समाज के लोगों ने आहार कराया
जाखलौन। कस्बा निवासी अजय जैन की पत्नी रानी जैन ने पर्यूषण पर्व पर 11 दिन के उपवास पूरे कर लिए। सोमवार को परिजनों व समाज के लोगों ने उनका उपवास खुलवाया। इस मौके पर जैन समाज के लोगों ने रानी जैन को फूल माला पहनाकर व गाजे बाजे के साथ धूमधाम से मंदिर में दर्शन करवाए और सभी ने नारियल भेंट कर जल आहार करवाया। इस मौके पर ममता जैन, सुनीता जैन, इंदिरा जैन, सरिता सिंघई, वर्षा जैन, भारती साहू, रेखा लिटोरिया, एकता जैन, भावना जैन, आदि लोग उपस्थित रहे। संवाद
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करुणा इंटरनेशनल ललितपुर केंद्र के अध्यक्ष अक्षय अलया ने कहा कि दुनिया में यह पर्व अनूठा पर्व है। जिसमें क्षमा मांगी जाती है। प्रत्येक जीव से अपने जाने या अनजाने में किए गए अपराधों के प्रति क्षमा-याचना करता है। बधाइयों के पर्व बहुत होते हैं,लेकिन जीवन में एक ऐसा दिन भी आना चाहिए,जब हम अपनी आत्मा के बोझ को कुछ हल्का कर सकें। अपनी भूल का प्रायश्चित करना और यह प्रतिज्ञा करना कि दूसरी भूल नहीं करेंगे। यह हमारे आत्मविकास में सहयोगी होता है।
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संजीव सौंरया ने कहा कि हमें वर्ष में एक बार विचार जरूर करना चाहिए कि हमने वर्षभर में कितने लोगों को दुख पहुंचाया है। सदियों से चले आ रहे बैर-भाव की गांठ को बांधकर आखिर हम कहां जाएंगे। जब हम किसी से क्षमा मांगते हैं तो दरअसल अपने ऊपर ही उपकार करते हैं। अच्छाई की ओर प्रवृत्त होने की भावना जब हर मानव के चित्त में समा जाएगी, तब मानव जीवन की तस्वीर ही कुछ और होगी।
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संयोजक पुष्पेंद्र जैन ने कहा कि क्षमा का अर्थ किसी की गलती या अपराध का प्रतिकार नहीं करना। सहन करके अपनी सामर्थ्य के अनुसार क्षमा दें। क्षमा कर देना बहुत बड़ी क्षमता का परिचायक होता है। इसलिए नीति में भी कहा गया है क्षमा वीरस्य भूषणम अर्थात क्षमा वीरों का आभूषण है, कायरों का नहीं। कायर तो प्रतिकार करता है। प्रतिकार करना आम बात है, लेकिन क्षमा करना सबसे श्रेष्ठतम गुण है। क्षमा भाव अंतस का भाव है।
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नीलम सराफ ने कहा कि क्षमा तो देश की संस्कृति का पारंपरिक गुण हैं। यहां तो दुश्मनों तक को क्षमा कर दिया जाता है। हमारी संस्कृति में सभी जीवों में मैत्री-भाव और किसी से बैर-भाव न रखें। जैन संस्कृति ने इस सूक्ति को हमेशा दोहराया है। अनेक धर्मो और दार्शनिकों ने क्षमा की महिमा को निरूपित किया है। क्षमा दिवस आध्यात्मिक पर्व है। अंतस के मूलगुण किसी धर्म-संप्रदाय से बंधे नहीं होते, इसीलिए क्षमा पर्व सर्वधर्म समन्वय का आधार है।
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मधु खजुरिया ने कहा कि क्षमावाणी पर्व राग-द्वेष,अहंकार से भरे इस संसार में अपने-अपने हितों और अहंकारों की गठरी को दूर करने का मौका देता है। जाने-अनजाने में लोगों के दिलों को अथवा खुद की भावनाओं को भी ठेस पहुंचाते हैं। ऐसी बातों को अपने मन से दूर करने और दूसरों के दिलों को दुखाए जाने से जो कष्ट हमारे द्वारा उन्हें प्राप्त हुआ है,उन सब बातों को दूर करने का यही एक अच्छा मौका होता है। क्षमावाणी पर्व पर हम क्षमा का दान देकर जीवन में हुई बुराइयों को समाप्त कर सकते हैं।
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पर्यूषण पर्व: सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बांधा समा
ललितपुर। पर्यूषण पर्व पर नगर के नई बस्ती स्थित आदिनाथ मंदिर प्रांगण में श्रीस्याद्वाद वर्द्धमान सेवा संघ के तत्वावधान में आयोजित महाआरती में बच्चों और युवाओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर समां बाध दिया।
जैन पंचायत के अध्यक्ष अनिल अंचल, महामंत्री डॉ अक्षय टडैया, धार्मिक आयोजन समिति संयोजक मनोज बबीना, संजीव जैन, अरविंद जैन अंकुर, जिनेंद्र जैन, पार्षद महेंद्र जैन, राजकुमार, डॉ सुनील संचय,अक्षय अलया, आनंद जैन, मुकेश जैन, आलोक जैन, अशोक देलवारा, सचिन शास्त्री आदि ने आचार्य विद्यासागर महाराज के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्ज्वलन किया। मंगलाचरण अन्वी जैन के मनमोहक भक्ति नृत्य कर किया। युवाओं ने राजस्थानी परिधान में डांडिया के साथ रंगमा, रंगमा जैसे विभिन्न भक्ति गीतों पर खूब धमाल किया। अंशुल एंड ग्रुप ने बोल मेरी उलझन मिटा दो नाटक का मंचन कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
विभिन्न ग्रुपों द्वारा प्रस्तुत वन उपवन अभिनंदन करता, आयो रे आयो पर्व पर्यूषण आयो, पाप मिटाने पुण्य कमाने पर्यूषण है। उड़ी उड़ी जाय जैसे अनेक भक्ति नृत्यों ने अंत तक समा बांधे रखा। राजस्थानी, गुजराती, बुंदेली गीतों पर ग्रुपों ने प्रस्तुति दीं। इस मौके पर संस्था के अध्यक्ष सतेंद्र जैन अर्पित जैन अंशुल,शुभेंदु जैन, सत्येंद्र, संजय सिंघई, अंशुल जैन, आयुष जैन, अंकित जैन, कल्लू पहलवान, दीपक डोंगरा, अनुभव सनी, विकास विक्की, दीपक रानू, विशाल जैन, सुमत, सोहित बजाज, हर्ष, हनु, अभिषेक, अंकित , वैभव, रिदम, अनिकेत, आयुष नुना, शोभित, शशांक, स्वजय, अभि, सक्षम, गौरव खिरिया, आयुष सिरोंन, यशदीप आदि का सराहनीय योगदान रहा। ग्रुपों की प्रस्तुतियों के पूर्व नौ पुण्यार्जक परिवारों द्वारा भक्तांबर के 48 काव्यों पर मंत्रोच्चार पूर्वक दीपक प्रज्ज्वलित करने के बाद संगीतमयी आरती की गई। वहीं जैन सेवा समिति द्वारा बन रहे जनक जननी वृद्ध आश्रम में एक कमरे के निर्माण हेतु सुमन भागचंद जैन पूर्व प्रधानाचार्य राजकीय बालिका इंटर कॉलेज ने दान दिया।
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जैन शिक्षक सामाजिक समूह ने आर्यिका श्री से लिया आर्शीर्वाद
ललितपुर। जैन शिक्षक सामाजिक समूह के सदस्यों ने सोमवार को स्टेशन रोड स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन क्षेत्रपाल मंदिर में आर्यिका रत्न 105 आदर्शमति माता से आर्शीर्वाद लिया। उन्होंने शिक्षक व शिक्षिकाओं से कहा कि विद्यालयों में बच्चों को लौकिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा के संस्कार भी दें, जिससे बच्चे संस्कारवान बनें। शिक्षक बच्चों को जैसी शिक्षा देंगे वह उसी का अनुसरण करेंगे।
इस दौरान संरक्षक देवेंद्र जैन, सत्येंद्र जैन,अध्यक्ष जितेंद्र जैन राजू, संयोजक अंतिम जैन, राहुल जैन, प्रफुल्ल जैन, दीपक जैन, धीरेंद्र जैन, अमित जैन, राजीव बजाज,पुष्पेंद्र जैन,प्रदुम्न जैन,सुरेंद्र जैन,प्रतीक लोहिया,रीतेश जैन,सुशील जैन,असीम जैन,अंकित मोदी,अमन जैन,मनोज जैन,सचिन जैन,अंकित लोहिया,डॉ. सुनील संचय, आदेश जैन,नितिन कडंकी,सचिन जैन, गरिमा जैन,साधना जैन, अनामिका जैन,अमृता लोहिया, दीप्ति जैन, प्रिंसी जैन, वर्षा जैन, सोनाली जैन, सीमा जैन,रानी जैन, नीलम जैन, नेहा जैन, दीपारानी जैन, नीलम जैन, सीमा जैन, चंद्रकांता जैन आदि मौजूद रहे। इधर, नई बस्ती स्थित आदिनाथ जिनालय में समूह के सदस्यों ने दीप प्रज्वलित किए।
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11 दिन बाद खोला उपवास, समाज के लोगों ने आहार कराया
जाखलौन। कस्बा निवासी अजय जैन की पत्नी रानी जैन ने पर्यूषण पर्व पर 11 दिन के उपवास पूरे कर लिए। सोमवार को परिजनों व समाज के लोगों ने उनका उपवास खुलवाया। इस मौके पर जैन समाज के लोगों ने रानी जैन को फूल माला पहनाकर व गाजे बाजे के साथ धूमधाम से मंदिर में दर्शन करवाए और सभी ने नारियल भेंट कर जल आहार करवाया। इस मौके पर ममता जैन, सुनीता जैन, इंदिरा जैन, सरिता सिंघई, वर्षा जैन, भारती साहू, रेखा लिटोरिया, एकता जैन, भावना जैन, आदि लोग उपस्थित रहे। संवाद
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