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Lalitpur News: फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट मामले में एसपी ने जानी जांच की प्रगति

Jhansi Bureau झांसी ब्यूरो
Updated Thu, 25 Dec 2025 12:42 AM IST
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The SP reviewed the progress of the investigation in the fake cardiologist case.
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दो जांच टीमें कोलकाता और हरियाणा में खंगाल रही अभिलेख
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संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। अमेरिका में रहने वाले बहनोई की चिकित्सकीय डिग्री और पहचान से जुड़े अभिलेखों को कूटरचित तरीके से तैयार कर मेडिकल कॉलेज में कार्डियोलॉजिस्ट की नौकरी करने वाले अभिनव सिंह मामले की जांच तेज कर दी गई है। प्रकरण की जांच में लगी दो पुलिस टीमें अभी भी कोलकाता और हरियाणा में अभिलेख खंगालने में जुटी हैं।
बुधवार को पुलिस अधीक्षक मोहम्मद मुश्ताक ने जांच में लगी पुलिस टीमों से मुलाकात कर अब तक की प्रगति की जानकारी ली और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। एसपी ने जांच का दायरा बढ़ाते हुए इस पूरे प्रकरण में शामिल सभी लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
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गौरतलब है कि बहनोई के नाम, पहचान और चिकित्सकीय अभिलेखों की कूटरचना कर वर्ष 2022 से मेडिकल कॉलेज में कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में नौकरी कर रहे अभिनव सिंह का भंडाफोड़ अमेरिका से आई उसकी बहन की डीएम से की गई शिकायत के बाद हुआ था। स्वास्थ्य विभाग की तहरीर पर कोतवाली सदर में आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
एसपी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सीओ सदर अजय कुमार के नेतृत्व में विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया था। टीम में कोतवाली प्रभारी निरीक्षक अनुराग अवस्थी, निरीक्षक नरेंद्र सिंह सहित दो उपनिरीक्षक शामिल हैं। एसआईटी ने आरोपी द्वारा तैयार किए गए कूटरचित दस्तावेजों को संग्रहित करने की प्रक्रिया शुरू की। जांच के दौरान पुलिस टीमें कोलकाता, अलीगढ़, रुड़की, पलवल, फर्रुखाबाद और मथुरा भेजी गई थीं। इनमें से तीन टीमें आवश्यक अभिलेखों के साथ लौट आई हैं, जबकि दो टीमें अब भी हरियाणा और कोलकाता में दस्तावेज जुटाने में लगी हैं। एसपी मोहम्मद मुश्ताक स्वयं पूरे प्रकरण की निगरानी कर रहे हैं।
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जेल से छूटने के बाद बुना धोखाधड़ी का तानाबाना
वर्ष 1999 में कस्टम विभाग द्वारा भ्रष्टाचार के एक मामले में अभियोग दर्ज होने के बाद अभिनव सिंह करीब 20 वर्षों तक अपनी पहचान छिपाकर रहा। वर्ष 2019 में सीबीआई ने उसे मथुरा के एक मेडिकल कॉलेज में चिकित्सक के रूप में कार्य करते हुए गिरफ्तार किया था। न्यायालय द्वारा सुनाई गई 16 माह की सजा और आठ लाख रुपये का अर्थदंड भुगतने के बाद वह जुलाई 2020 में जेल से रिहा हुआ। इसके बाद एनएचएम के तहत जिले के स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में कार्डियोलॉजी विभाग की भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुआ। कूटरचित दस्तावेजों के सहारे वह वर्ष 2022 में जिला अस्पताल की सीसीयू यूनिट में स्पेशलिस्ट के पद पर चयनित होकर नौकरी करने लगा।
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