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Maharajganj News: बॉर्डर क्षेत्र में खाद की तस्करी.. अपना बताकर गुमराह करते कैरियर
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महराजगंज। तस्करों ने खाद की तस्करी का नया तरीका ढूंढ निकाला है। कैरियरों को एक या दो बोरी खाद दे दी जाती है। रास्ते में अगर कोई सुरक्षा कर्मी पूछता भी है, तो उसे अपने खेत में डालने की बात कर भावनात्मक रूप से गुमराह किया जाता है। कैरियर तस्करी का खेल रास्ता बदलकर करते रहते हैं।
सूत्रों की मानें तो सीमावर्ती क्षेत्र में खाद की तस्करी धड़ल्ले से हो रही है। निजी दुकानों से खाद लेकर तस्कर मोटा मुनाफा बना रहे हैं। इस खेल में दुकानदार व तस्कर दोनों को फायदा हो रहा है। प्रति बोरी 100 से 200 रुपये अधिक देकर खाद लेकर किनारा कस लेते हैं। भारतीय क्षेत्र में डीएपी 1350 रुपये प्रति बोरी है, यह नेपाल पहुंचते ही इसकी कीमत ढाई गुनी बढ़ जाती है। मांग के हिसाब से रेट घटता बढ़ता रहा है। कैरियरों ने अपना धंधा आसानी से करने के लिए भावनात्मक रुपये से गुमराह करना शुरू कर दिया है। इनको देखकर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है की ये खाद सीधे नेपाल पहुंचा रहे हैं। इन दिनों कैरियर सुबह ही साइकिल पर एक से दो बोरी डीएपी लेकर बार्डर की पगडंडी की ओर जाते हैं। इस बीच अगर कोई उनको रोक कर पूछा तो खेत ले जाने की बात कर धीरे से आगे बढ़ जाते हैं। सख्ती से पूछताछ में भी ये गिड़डिनाने लगते हैं। वैसे भी इन दिनों क्षेत्र में बुआई हो रही है। इसका फायदा कैरियर उठाते हैं। एक पगडंडी से एक बार ही खाद लेकर जाते हैं। ऐसे में इनको पकड़ पाना मुश्किल होता है।
सूत्रों की माने तो तस्कर मांग के हिसाब से डीएपी सरहद पार करने में जुट गए हैं। सख्ती होने पर ये कुछ दिन खामोश हो जाते हैं, इसके बाद अपना धंधा शुरू कर देते हैं। भारत नेपाल सीमा से सटे सोनौली कस्बा, दो नंबर गली, शेख फरेंदा, तिलहवा, सुंडी, खनुआ, भगवानपुर, श्यामकाट, अशोगवा, कनरी-चकरार, झिगटी, शिवतरी, पहाड़ी टोला, रेहरा-अहिरौली, पैसियां नाकों से खाद की तस्करी की बात कही जाती है।
इस पर रोकथाम के लिए सुरक्षा कर्मियों की तैनाती है, लेकिन मौका देखकर तस्कर अपना काम कर लेते हैं। नेपाल के करमहवा, मर्यादपुर, नौड़िहवा, गोनहा, बेथरी, बैरघाट, रायपुर, अमवा, मकरी, दुर्गवलिया, शिवपुर, बरेवा, आमा, परसा, हाटी बनगाई, भैरहवा, छपिया, धकधई, पिपरहिया आदि गांवों में तस्कर भारतीय खाद पहुंचाते हैं।
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सूत्रों की मानें तो सीमावर्ती क्षेत्र में खाद की तस्करी धड़ल्ले से हो रही है। निजी दुकानों से खाद लेकर तस्कर मोटा मुनाफा बना रहे हैं। इस खेल में दुकानदार व तस्कर दोनों को फायदा हो रहा है। प्रति बोरी 100 से 200 रुपये अधिक देकर खाद लेकर किनारा कस लेते हैं। भारतीय क्षेत्र में डीएपी 1350 रुपये प्रति बोरी है, यह नेपाल पहुंचते ही इसकी कीमत ढाई गुनी बढ़ जाती है। मांग के हिसाब से रेट घटता बढ़ता रहा है। कैरियरों ने अपना धंधा आसानी से करने के लिए भावनात्मक रुपये से गुमराह करना शुरू कर दिया है। इनको देखकर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है की ये खाद सीधे नेपाल पहुंचा रहे हैं। इन दिनों कैरियर सुबह ही साइकिल पर एक से दो बोरी डीएपी लेकर बार्डर की पगडंडी की ओर जाते हैं। इस बीच अगर कोई उनको रोक कर पूछा तो खेत ले जाने की बात कर धीरे से आगे बढ़ जाते हैं। सख्ती से पूछताछ में भी ये गिड़डिनाने लगते हैं। वैसे भी इन दिनों क्षेत्र में बुआई हो रही है। इसका फायदा कैरियर उठाते हैं। एक पगडंडी से एक बार ही खाद लेकर जाते हैं। ऐसे में इनको पकड़ पाना मुश्किल होता है।
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सूत्रों की माने तो तस्कर मांग के हिसाब से डीएपी सरहद पार करने में जुट गए हैं। सख्ती होने पर ये कुछ दिन खामोश हो जाते हैं, इसके बाद अपना धंधा शुरू कर देते हैं। भारत नेपाल सीमा से सटे सोनौली कस्बा, दो नंबर गली, शेख फरेंदा, तिलहवा, सुंडी, खनुआ, भगवानपुर, श्यामकाट, अशोगवा, कनरी-चकरार, झिगटी, शिवतरी, पहाड़ी टोला, रेहरा-अहिरौली, पैसियां नाकों से खाद की तस्करी की बात कही जाती है।
इस पर रोकथाम के लिए सुरक्षा कर्मियों की तैनाती है, लेकिन मौका देखकर तस्कर अपना काम कर लेते हैं। नेपाल के करमहवा, मर्यादपुर, नौड़िहवा, गोनहा, बेथरी, बैरघाट, रायपुर, अमवा, मकरी, दुर्गवलिया, शिवपुर, बरेवा, आमा, परसा, हाटी बनगाई, भैरहवा, छपिया, धकधई, पिपरहिया आदि गांवों में तस्कर भारतीय खाद पहुंचाते हैं।