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Mainpuri News: संगत ने साहिबजादों की शहादत को किया याद
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फोटो 39 सिंधी गली में स्थित गुरुद्वारे में अरदास करते सिख समुदाय के लोग। संवाद
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मैनपुरी। शहर के पंजाबी कॉलोनी स्थित श्री गुरुद्वारा साहिब में रविवार को सफर-ए-शहादत कार्यक्रम की शुरुआत हो गई। गुरुद्वारा साहिब में विशेष कीर्तन दरबार सजाकर साहिबजादों की शहादत को याद किया गया।
मुख्य ग्रंथी हरि सिंह ने बताया कि सिखों के दसवें गुरु श्री गुरुगोविंद सिंह के चार साहिबजादों और माता गुजर कौर की शहादत को नमन करने के लिए 28 दिसंबर तक गुरुद्वारा में कार्यक्रम होंगे। प्रतिदिन शाम को आठ बजे विशेष दीवान सजाया जाएगा। इसमें शबद कीर्तन और आरती का पाठ किया जाएगा। बच्चों की ओर से विशेष शबद-कीर्तन किए जाएंगे। मुख्य ग्रंथी ने बताया कि धर्म प्रचार कमेटी अमृतसर के मंजीत सिंह की ओर से सुखमनी साहिब और चौपई साहिब जी का पाठ करेंगे। नरेंद्र कालरा ने बताया कि 1704 ई. में मुगलों के जुल्म के आगे न झुकते हुए सिखों के दसवें गुरु जी ने अपने परिवार की शहादत दी, लेकिन अपने धर्म से नहीं झुके।
फोटो 39 सिंधी गली में स्थित गुरुद्वारे में अरदास करते सिख समुदाय के लोग। संवाद
धर्म की रक्षा के साहिबजादों ने किया त्याग
मैनपुरी। नगर के सिंधी गली में स्थित गुरुद्वारा में चार साहिबजादों के बलिदान सप्ताह के दूसरे दिन सुखमणि साहब का पाठ किया गया। इसके बाद संगत ने वाहेगुरु मूल मंत्र का स्मरण किया। मुख्यग्रंथी अर्शदीप कौर ने बताया कि धर्म की रक्षा के लिए दसवें गुरु गोविंद सिंह ने मुगल शासकों के साथ युद्ध लड़ते हुए आनंदपुर साहिब के किला को 20 दिसंबर 1704 ई़ में छोड़ा। इसके बाद 21 दिसंबर को उनके बड़े बेटे अजीत सिंह, जुझार सिंह को मुगल शासकों की फौज ने घेर लिया और वह चमकौर साहिब चले गये। सरदार सोहन सिंह, सतनाम सिंह, हरवंस लाल, जोगिंदर लाल, सहेंद्र लाल अरोड़ा, दलजीत कौर, सिमरनजीत सिंह, शालू सलूजा आदि मौजूद रहे। संवाद
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धर्म की रक्षा के साहिबजादों ने किया त्याग
मैनपुरी। नगर के सिंधी गली में स्थित गुरुद्वारा में चार साहिबजादों के बलिदान सप्ताह के दूसरे दिन सुखमणि साहब का पाठ किया गया। इसके बाद संगत ने वाहेगुरु मूल मंत्र का स्मरण किया। मुख्यग्रंथी अर्शदीप कौर ने बताया कि धर्म की रक्षा के लिए दसवें गुरु गोविंद सिंह ने मुगल शासकों के साथ युद्ध लड़ते हुए आनंदपुर साहिब के किला को 20 दिसंबर 1704 ई़ में छोड़ा। इसके बाद 21 दिसंबर को उनके बड़े बेटे अजीत सिंह, जुझार सिंह को मुगल शासकों की फौज ने घेर लिया और वह चमकौर साहिब चले गये। सरदार सोहन सिंह, सतनाम सिंह, हरवंस लाल, जोगिंदर लाल, सहेंद्र लाल अरोड़ा, दलजीत कौर, सिमरनजीत सिंह, शालू सलूजा आदि मौजूद रहे। संवाद
