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HMPV: ये लापरवाही पड़ेगी भारी, ऑक्सीजन का पड़ जाएगा टोटा, अभी ये है अस्पतालों में इंतजाम
संंवाद न्यूज एजेंसी, मैनपुरी
Published by: अरुन पाराशर
Updated Sat, 11 Jan 2025 05:18 PM IST
सार
कोरोना काल में स्थापित कराए गए ऑक्सीजन प्लांट देखरेख के अभाव में निष्कि्रय पड़े हैं। ऐसे में एचएमपीवी के मामलों में बढ़ोत्तरी होती है तो ऑक्सीजन का संकट खड़ा हो सकता है।
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ऑक्सीजन प्लांट।
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
एचएमपीवी (ह्यूमन मेटा न्यूमो वायरस) को लेकर प्रदेश के साथ जिले में भी अलर्ट जारी किया गया है। लेकिन वायरस से लड़ने के लिए कोरोना काल में जिले में की गईं व्यवस्थाएं निष्क्रिय दिख रही हैं। संक्रमण के बाद सबसे महत्वपूर्ण जरूरत ऑक्सीजन की होती है। कोरोना काल में सबसे अधिक मरीजों की मौत समय से ऑक्सीजन न मिलने के कारण हुई। नये वायरस का अलर्ट हो चुका है लेकिन जिले में स्थापित ऑक्सीजन प्लांट के संचालन के लिए विभाग के पास विशेषज्ञ ऑपरेटर तक नहीं है।
ऑक्सीजन की समस्या से जूझना पड़ा था
वर्ष 2020 में अचानक हुए कोरोना अटैक के दौरान मरीजों को सबसे पहले ऑक्सीजन की समस्या से जूझना पड़ा था। जिले में कोरोना काल में 92 लोगों की मौत हुई थी। इनमें 60 प्रतिशत मरीज ऐसे थे जिनकी मौत समय से ऑक्सीजन न मिलने के कारण हुई थी। सरकारी अस्पतालों की तो बात दूर निजी संस्थान भी ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं करा सके थे।
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ऑक्सीजन की समस्या से जूझना पड़ा था
वर्ष 2020 में अचानक हुए कोरोना अटैक के दौरान मरीजों को सबसे पहले ऑक्सीजन की समस्या से जूझना पड़ा था। जिले में कोरोना काल में 92 लोगों की मौत हुई थी। इनमें 60 प्रतिशत मरीज ऐसे थे जिनकी मौत समय से ऑक्सीजन न मिलने के कारण हुई थी। सरकारी अस्पतालों की तो बात दूर निजी संस्थान भी ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं करा सके थे।
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चार ऑक्सीजन प्लांट बनवाए थे
इसके बाद सरकार ने वर्ष 2021 में जिले में एक के बाद एक चार ऑक्सीजन प्लांट स्थापित कराए। चार करोड़ की लागत से सौ शैया अस्पताल, महाराजा तेज सिंह जिला अस्पताल और कोविड लेवल-2 अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए तीन प्लांट स्थापित कराए गए। इसके साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भोगांव जो कोरोना काल में कोविड लेवल-1 अस्पताल रहा था वहां भी एक ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना कराई गई।
देखभाल में बरती लापरवाही
कोरोना महामारी समाप्त होने के साथ ही विभाग ने इन सभी की देखभाल में ढिलाई कर दी। जिले में स्थापित ऑक्सीजन प्लांट के ऑपरेटरों को विभाग ने बाहर कर दिया। अब स्थिति है यह है कि जिले में चार-चार प्लांट तो हैं लेकिन उन्हें संचालित करने के लिए ऑपरेटर नहीं है।
इसके बाद सरकार ने वर्ष 2021 में जिले में एक के बाद एक चार ऑक्सीजन प्लांट स्थापित कराए। चार करोड़ की लागत से सौ शैया अस्पताल, महाराजा तेज सिंह जिला अस्पताल और कोविड लेवल-2 अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए तीन प्लांट स्थापित कराए गए। इसके साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भोगांव जो कोरोना काल में कोविड लेवल-1 अस्पताल रहा था वहां भी एक ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना कराई गई।
देखभाल में बरती लापरवाही
कोरोना महामारी समाप्त होने के साथ ही विभाग ने इन सभी की देखभाल में ढिलाई कर दी। जिले में स्थापित ऑक्सीजन प्लांट के ऑपरेटरों को विभाग ने बाहर कर दिया। अब स्थिति है यह है कि जिले में चार-चार प्लांट तो हैं लेकिन उन्हें संचालित करने के लिए ऑपरेटर नहीं है।
जल्द करनी होगी ऑपरेटर की व्यवस्था
ऐसे में यदि एचएमपीवी का अटैक तेजी से होता है और जिले मेंं फिर से संक्रमण फैलता है तो ऑक्सीजन का संकट खड़ा होगा। फिर से लोगों की सांसों पर संकट आने का खतरा है। अधिकारियों को ऑक्सीजन प्लांट के संचालन के लिए ऑपरेटर की जल्द व्यवस्था करनी चाहिए।
इमरजेंसी में आज तक नहीं बिछाई जा सकी लाइन
महाराजा तेज सिंह जिला अस्पताल परिसर में ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना है। मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत इमरजेंसी में ही होती है। लेकिन तीन साल बाद भी मात्र 50 मीटर दूरी पर स्थापित ऑक्सीजन प्लांट से इमरजेंसी के लिए ऑक्सीजन लाइन बिछाने का कार्य जिम्मेदार पूरा नहीं करा सके। महामारी तो दूर यहां आम दिनों में भी मरीजों को सिलिंडर से ही ऑक्सीजन देनी पड़ती है। ये सिलिंडर भी पूर्व में कार्यरत रहे एक कर्मचारी की मानवता पर भरे जा रहे हैं।
ऐसे में यदि एचएमपीवी का अटैक तेजी से होता है और जिले मेंं फिर से संक्रमण फैलता है तो ऑक्सीजन का संकट खड़ा होगा। फिर से लोगों की सांसों पर संकट आने का खतरा है। अधिकारियों को ऑक्सीजन प्लांट के संचालन के लिए ऑपरेटर की जल्द व्यवस्था करनी चाहिए।
इमरजेंसी में आज तक नहीं बिछाई जा सकी लाइन
महाराजा तेज सिंह जिला अस्पताल परिसर में ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना है। मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत इमरजेंसी में ही होती है। लेकिन तीन साल बाद भी मात्र 50 मीटर दूरी पर स्थापित ऑक्सीजन प्लांट से इमरजेंसी के लिए ऑक्सीजन लाइन बिछाने का कार्य जिम्मेदार पूरा नहीं करा सके। महामारी तो दूर यहां आम दिनों में भी मरीजों को सिलिंडर से ही ऑक्सीजन देनी पड़ती है। ये सिलिंडर भी पूर्व में कार्यरत रहे एक कर्मचारी की मानवता पर भरे जा रहे हैं।
विभाग को उठाना पड़ रहा लाखों का आर्थिक नुकसान
वर्ष 2021 में जब ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना कराई गई थी। उस समय निर्णय लिया गया था कि प्लांट से जिले भर के सरकारी अस्पतालों के साथ ही निजी अस्पतालों को भी सिलिंडर की सप्लाई दी जाएगी। इससे लाखो रुपये का विभाग को आर्थिक लाभ भी होता। जिले में निजी ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाले लोगों को फिरोजाबाद और आगरा में संचालित प्लांटों से ऑक्सीजन की आपूर्ति लेनी पड़ रही है।
विभाग को लिखा गया है पत्र
सीएमओ डॉ. आरसी गुप्ता ने बताया कि ऑक्सीजन प्लांट पूरी तरह से सक्रिय हैं। समय-समय पर उनकी जांच के लिए मॉकडि्रल भी कराया जाता है। किसी प्रकार की महामारी से लड़ने के लिए हम तैयार हैं। एचएमपीवी को लेकर किसी प्रकार से परेशान होने की जरूरत नहीं है। ऑपरेटर की तैनाती के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है। प्रयास जारी हैं। जल्द ही स्थाई रूप से ऑपरेटर की तैनाती कराई जाएगी। तब तक वैकल्पिक व्यवस्था से काम चलाया जा रहा है।
वर्ष 2021 में जब ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना कराई गई थी। उस समय निर्णय लिया गया था कि प्लांट से जिले भर के सरकारी अस्पतालों के साथ ही निजी अस्पतालों को भी सिलिंडर की सप्लाई दी जाएगी। इससे लाखो रुपये का विभाग को आर्थिक लाभ भी होता। जिले में निजी ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाले लोगों को फिरोजाबाद और आगरा में संचालित प्लांटों से ऑक्सीजन की आपूर्ति लेनी पड़ रही है।
विभाग को लिखा गया है पत्र
सीएमओ डॉ. आरसी गुप्ता ने बताया कि ऑक्सीजन प्लांट पूरी तरह से सक्रिय हैं। समय-समय पर उनकी जांच के लिए मॉकडि्रल भी कराया जाता है। किसी प्रकार की महामारी से लड़ने के लिए हम तैयार हैं। एचएमपीवी को लेकर किसी प्रकार से परेशान होने की जरूरत नहीं है। ऑपरेटर की तैनाती के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है। प्रयास जारी हैं। जल्द ही स्थाई रूप से ऑपरेटर की तैनाती कराई जाएगी। तब तक वैकल्पिक व्यवस्था से काम चलाया जा रहा है।
