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खास रिपोर्ट: चार वर्ष में निर्यात 50 से 125 करोड़ तक पहुंचा, यूरोपियन देशों ने चीन के माल से बनाई दूरी

आशुतोष भारद्वाज, अमर उजाला, मेरठ Published by: कपिल kapil Updated Fri, 03 Sep 2021 05:16 PM IST
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सार

विदेश नीति में सुधार होने से निर्यात बढ़ा है। बताया गया कि पिछले चार वर्ष में निर्यात 50 से 125 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उधर, यूरोपियन देशों ने चीन के माल से दूरी बनाई है।

Amar Ujala Special Report: Exports reached 50 to 125 crores in four years, European countries made distance from Chinese goods
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : amar ujala
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विस्तार
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चीन के साथ यूरोपियन देशों के रिश्तों में खटास और भारत की विदेश नीति में सुधार के कारण कोविड के बाद निर्यात को पंख लगे हैं। आईआईए के अनुसार चार वर्ष में उत्पादों का निर्यात 50 करोड़ से बढ़कर करीब 125 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इनमें मुख्य रूप से खेल का सामान, कारपेट, आभूषण, धातु के उत्पाद का निर्यात शामिल हैं। वहीं, घरेलू नीतियों, शिपिंग कंपनियों की मनमानी और परिवहन भाड़े में बढ़ोतरी सहित अन्य समस्याएं भी उनके सामने आ रही हैं। यदि ये दूर हो जाएं तो निर्यात और बढ़ सकता है।

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आईआईए के मेरठ चैप्टर के चेयरमैन सुमनेश अग्रवाल ने बताया विदेश नीति में सुधार के कारण भारतीय निर्यातकों के पास मांग आ रही है। हालांकि घरेलू नीतियों में सुधार की बड़ी आवश्यकता है। माल तैयार होने के बाद निश्चित स्थान पर माल पहुंचने में अब लंबा समय लग रहा है। रेमिशन ऑफ ड्यूटीज एवं टैक्सेस अगेनस्ट एक्सपोर्ट में अनुमान से कम रेट होने, कंटेनर की कमी और भाड़ा बढ़ने के हालात के बीच गंतव्य तक माल पहुंचने में 28 दिन के मुकाबले ढाई माह तक का समय लग रहा है।
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उन्होंने कहा कि अगर निर्यातक स्वयं रेलवे द्वारा कंटेनर भेजता है तो बंदरगाह पर उसे उतरने नहीं दिया जाता है। शिपिंग कंपनी पूरा कांट्रेक्ट अपने हाथ में लेना चाहती हैं। दिल्ली से मुंबई जो कंटेनल 40 हजार में पहुंचता था, अब उसके 72 हजार रुपये वसूले जा रहे हैं। इस संबंध में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी अवगत कराया गया है।

पहले से काफी ज्यादा हो गया कंटेनर का भाड़ा
सारू स्मैल्टिंग के एमडी संजीव जैन ने बताया कि जिले के उत्पादों का देश के राज्यों के अलावा अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, यूके सहित अन्य देशों में कारोबार होता है। वह मेरठ से धातु उत्पादों का निर्यात करते हैं। यूरोप में कोविड से पूर्व कंटेनल भेजने का भाड़ा 1500 डॉलर था, जो बढ़कर 6000 डॉलर तक हो गया है। वहीं, यूएसए में कंटेनर भेजने का भाड़ा 5000 से बढ़कर 12000 डॉलर तक पहुंच गया है। संजीव जैन ने बताया कि सरकार ने एमईआईएस स्कीम को खत्म कर दिया है। कुछ अन्य घरेलू नीतियां भी अभी परेशान कर रही हैं।

मांग पूरी करने में लगेगा तीन साल का समय
प्रीमियर लेग गार्ड के एमडी क्षितिज अग्रवाल ने बताया कि देश में 25 कंपनी कंटेनर बनाती हैं। पूरी क्षमता से भी अगर कंटेनर का निर्माण होगा तो भी मांग को पूरा करने में तीन वर्ष का समय लग जाएगा। उन्होंने कहा कि निर्यातकों के बाद ऑर्डर तो बढ़े हैं, लेकिन माल पहुंचाने में आ रही दिक्कतें अभी दूर नहीं हुई हैं।

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