खास रिपोर्ट: सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश कर रहे सुक्खा-इलियास और फुरकान, बचा चुके हैं 500 लोगों की जिंदगी
Meerut News : गोताखोर सुक्खा, इलियास और फुरकान धर्म और जाति की परवाह किए बिना सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं। ये तीनों अभी तक 500 लोगों की जान बचा चुके हैं।
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खुद की जान जोखिम डालकर दूसरों की जिंदगी बचाने वाले युवा किसी से कम नहीं हैं। वह धर्म और जाति की परवाह किए बिना सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं। ऐसे ही सरधना के गोताखोर सुक्खा, इलियास और फुरकान हैं। वे पिछले 11 सालों से गंगनहर के गहरे पानी में उतरकर गणपति की मूर्ति को विसर्जित कर एकता की मिसाल पेश करते आ रहे हैं। ताकि गणपति को विसर्जित करने आए श्रद्धालु गंगनहर के गहरे पानी में उतरने से बच सकें। वह खुद खतरे का मुकाबला करते हुए दोनों धर्मों का सम्मान करने का संदेश दे रहे हैं।
अनंत चतुर्थी के मौके पर मेरठ में सरधना गंगनहर पुल पर धार्मिक सौहार्द की एक अनूठी मिसाल सामने आई है, जिसने सबका दिल जीत लिया। दरअसल, सरधना के मोहल्ला जुल्हेड़ा पीर निवासी सुक्खा, इलियास, फुरकान अनंत चतुर्दशी हो या कांवड़ यात्रा प्रशासन का सहयोग करते हुए इंसानियत का फर्ज अदा करते हैं।
बृहस्पतिवार को मुस्लिम समाज के लोग ईद मिलादुन्नबी की इबादत करते हुए मना रहे थे। वहीं, कुछ इंसानियत और आपसी सौहार्द के रहनुमा गणपति का विसर्जन कराने में मशगूल थे। फर्क बस इतना था कि कुछ लोग अपने धर्मस्थल में खुदा की इबादत कर रहे थे। वहीं, यह इंसानियत के फरिश्ते इसीलिए विसर्जन करा रहे थे कि कहीं गंगनहर के तेज बहाव के साथ पानी में कोई अप्रिय घटना ना घट जाए।
गोताखोर सुक्खा, फुरकान, इलियास का कहना है कि वह सभी धर्मों के भगवान का सम्मान करते हैं। ईद, होली, दिवाली के त्योहार में एक-दूसरे से गले मिलते हैं। उनका कहना है कि कुछ लोग भाईचारे को बिगाड़ने में लगे रहते हैं। जबकि आज तक उन्हें किसी धर्म में कोई कमी नहीं दिखी। बस लोग अपने फायदे के लिए भड़काने का काम करते हैं।
कभी यदि कोई नहर में डूब जाता है तो उसे बचाने या उसकी तलाश में सुबह से शाम हो जाती है। सफलता मिलने पर ही मन को सुकून मिलता है। पता नहीं लोग कैसे एक-दूसरे के धर्म की भावनाओं से खेलते हैं। जो समझ से परे है।
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500 लोगों की बचा चुके जान
सुक्खा के मुताबिक, वह तीनों 11 सालों में करीब 500 लोगों की जान बचा चुके हैं। वहीं, गंगनहर में डूबे लोगों की तलाश करने में भी मदद करते हैं। काफी संख्या में डूबे लोगों के शव भी उन्होंने गंगनहर से बरामद किए हैं। वह बताते हैं कि 2014 में एक कार गंगनहर में गिर गई थी, जिसमें सात लोग सवार थे, जिनमें से पांच लोगों को उन्होंने बचा लिया था। जबकि दो की मौत हो गई थी। हर साल सरधना गंगनहर से रोहटा तक होने वाले हादसों में लोगों की जान बचाने के लिए यह लोग खुद की परवाह न करते हुए जान बचाने में मददगार साबित होते हैं।
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