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Meerut: यौन उत्पीड़न के मामले में फंसे LIC शाखा प्रबंधक को मिला न्याय, पुलिस ने जांच में निराधार पाए आरोप
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मेरठ
Published by: बशु जैन
Updated Fri, 26 Sep 2025 09:26 PM IST
सार
थाना पल्लवपुरम में 30 अगस्त 2025 को महिला विकास अधिकारी ने एलआईसी मोदीपुरम के शाखा प्रबंधक सुभाष चौहान के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने पहली शिकायत पर विस्तृत जांच पूरी कर 5 सितंबर 2025 को मामले को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया।
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पुलिस (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
यौन उत्पीड़न के आरोप में फंसे एलआईसी की मोदीपुरम शाखा के प्रबंधक सुभाष चौहान को न्याय मिला है। पुलिस ने महिला विकास अधिकारी की शिकायत को जांच के बाद निराधार पाया है। पुलिस ने मामले को बंद कर दिया है।
थाना पल्लवपुरम में 30 अगस्त 2025 को महिला विकास अधिकारी ने एलआईसी मोदीपुरम के शाखा प्रबंधक सुभाष चौहान के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने पहली शिकायत पर विस्तृत जांच पूरी कर 5 सितंबर 2025 को मामले को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया।
इसके बावजूद महिला ने 6 सितंबर 2025 को पुलिस में अपील दायर की। इसे उसी दिन समीक्षा करने के बाद पुलिस ने बिना आधार मानते हुए बंद कर दिया। इस प्रकार पुलिस ने दो स्तर पर जांच कर यह स्थापित किया कि आरोप मनगढंत हैं और किसी प्रकार का सबूत उपलब्ध नहीं है।
पुलिस स्रोतों के अनुसार इस शिकायत और अपील के पीछे महिला को कानपुर में तैनात उपनिरीक्षक संदीप कुमार तथा उनके भाजपा से जुड़े परिजनों का सहयोग प्राप्त था। उन्होंने झूठी एफआईआर दर्ज कराने और मामले पर प्रभाव डालने का प्रयास किया।
गौरतलब है कि महिला अधिकारी पूर्व में भी एलआईसी विभाग में इसी प्रकार की एक शिकायत कर चुकी हैं। इसे विभागीय स्तर पर गलत पाया गया था। फिर भी विभागीय प्रशासन ने उस समय उनके विरुद्ध कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की थी। इन झूठे आरोपों के कारण सुभाष चौहान को गहरे मानसिक आघात, सामाजिक अपमान और पेशेवर जीवन में बाधाओं का सामना करना पड़ा।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि बार-बार झूठे आरोप लगाने वालों पर कठोर कार्रवाई आवश्यक है। ऐसे प्रकरण न केवल निर्दोष अधिकारियों की प्रतिष्ठा को धूमिल करते हैं, बल्कि वास्तविक पीड़ितों के अधिकारों और न्याय व्यवस्था की गंभीरता को भी कमजोर करते हैं।
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थाना पल्लवपुरम में 30 अगस्त 2025 को महिला विकास अधिकारी ने एलआईसी मोदीपुरम के शाखा प्रबंधक सुभाष चौहान के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने पहली शिकायत पर विस्तृत जांच पूरी कर 5 सितंबर 2025 को मामले को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया।
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इसके बावजूद महिला ने 6 सितंबर 2025 को पुलिस में अपील दायर की। इसे उसी दिन समीक्षा करने के बाद पुलिस ने बिना आधार मानते हुए बंद कर दिया। इस प्रकार पुलिस ने दो स्तर पर जांच कर यह स्थापित किया कि आरोप मनगढंत हैं और किसी प्रकार का सबूत उपलब्ध नहीं है।
पुलिस स्रोतों के अनुसार इस शिकायत और अपील के पीछे महिला को कानपुर में तैनात उपनिरीक्षक संदीप कुमार तथा उनके भाजपा से जुड़े परिजनों का सहयोग प्राप्त था। उन्होंने झूठी एफआईआर दर्ज कराने और मामले पर प्रभाव डालने का प्रयास किया।
गौरतलब है कि महिला अधिकारी पूर्व में भी एलआईसी विभाग में इसी प्रकार की एक शिकायत कर चुकी हैं। इसे विभागीय स्तर पर गलत पाया गया था। फिर भी विभागीय प्रशासन ने उस समय उनके विरुद्ध कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की थी। इन झूठे आरोपों के कारण सुभाष चौहान को गहरे मानसिक आघात, सामाजिक अपमान और पेशेवर जीवन में बाधाओं का सामना करना पड़ा।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि बार-बार झूठे आरोप लगाने वालों पर कठोर कार्रवाई आवश्यक है। ऐसे प्रकरण न केवल निर्दोष अधिकारियों की प्रतिष्ठा को धूमिल करते हैं, बल्कि वास्तविक पीड़ितों के अधिकारों और न्याय व्यवस्था की गंभीरता को भी कमजोर करते हैं।