घटी गुणवत्ता: मेरठ मंडल की मिट्टी की सेहत खराब, नाइट्रोजन और जिंक की भारी कमी, उर्वरता तेजी से गिर रही
अमर उजाला की जांच में मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, बुलंदशहर, हापुड़ और गौतमबुद्धनगर की मिट्टी के नमूनों में नाइट्रोजन, जिंक और ऑर्गेनिक कार्बन की भारी कमी सामने आई है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि असंतुलित रासायनिक खादों का उपयोग, मिट्टी की नियमित जांच न कराना और जैविक खादों का कम उपयोग प्रमुख कारण हैं। मृदा परीक्षण विभाग के अनुसार अगर यही स्थिति जारी रही तो आने वाले वर्षों में भूमि बंजर होने का खतरा है।
विस्तार
मेरठ मंडल के सभी जिलों की मिट्टी उर्वरता कम होती जा रही है। मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा गिरती जा रही है। जिंक समेत सभी सूक्ष्म तत्वों की भारी मात्रा में कमी पाई गई है। इसका असर इस मिट्टी पर उगने वाली फसलों के उत्पादन पर नहीं, बल्कि इन फसलों के उपयोग से लोगों की सेहत पर भी पड़ रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए किसानों को समय जांच करानी होगी। जो भी तत्व कम पाए जा रहे हैं, उसका उपयोग खेतों में करना होगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर किसानों ने मिट्टी की जांच कराकर संतुलित रासायनिक खादाें का उपयोग नहीं किया तो आने वाले समय में भूमि बंजर हो जाएगी।
यह भी पढ़ें: UP: 'आकिब ने लाइव आकर दिखाई थी एके-47', साउथ अफ्रीका में हथियारों का प्रदर्शन करने पर मैजुल ने दी ये सफाई
अमर उजाला ने मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, हापुड़, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद के खेतों की सेहत की जानकारी हासिल की। कृषि वैज्ञानिक और मृदा परीक्षण विभाग के सहायक निदेशक अरुण कुमार से मिट्टी की जांच की मिली रिपोर्ट चौंकाने वाली सामने आयी है। मिट्टी के मुख्य पोषक तत्वों में जहां नाइट्रोजन की कमी है वहीं ऑर्गेनिक कार्बन की हालत भी बेहद खराब है। कहीं पर पोटाश का स्तर कम है तो कहीं पर शूक्ष्म तत्वों की स्थिति भी चिंताजनक है।
मिट्टी की सेहत खराब होने के ये हैं कारण
-किसान अपने खेतों की मिट्टी की जांच कराने में लापरवाही बरत रहे हैं।
-अधिक पैदावार लेने के लिए किसान संतुलित रासायनिक खादों का उपयोग नहीं कर रहे हैं।
-किसानों ने खेतों में गोबर और हरी खाद का काम उपयोग करना शुरू कर दिया है।
एक नजर में जिलेवार मिट्टी में पोषक तत्वों की स्थिति
जिला मेरठ
नाइट्रोजन बहुत कम
फास्फेट मीडियम
पोटाश अधिक
आर्गेनिक कार्बन बहुत कम
जिला बागपत
नाइट्रोजन बहुत कम
फास्फेट बहुत कम
पोटाश मीडियम
आर्गेनिक कार्बन बहुत कम
जिला गाजियाबाद
नाइट्रोजन बहुत कम
फास्फेट मीडियम
पोटाश अधिक
आर्गेनिक कार्बन बहुत कम
किसी भी फसल की अच्छी पैदावार लेने के लिए किसान को सबसे पहले मिटटी की जांच करानी चाहिए। मिटटी की सेहत रिपोर्ट कार्ड के आधार पर खाद का उपयोग होना चाहिए। पूरे मंडल की मिटटी में मुख्य और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी सामने आ रही है। किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार ने इस वर्ष भी कृषि विभाग को खेतों से मिटटी के 90 हजार नमूने लेकर जांच करने का टारगेट दिया हुआ है। 12 पैरामीटर पर मिटटी की जांच की जा रही है। काफी जागरूक किसान हैं जिन्होंने मिटटी की जांच कराकर फसलों का उत्पादन बढ़ाया है। - अरुण कुमार, सहायक निदेशक मृदा परीक्षण एवं कल्चर मेरठ।