पल-पल बदलते रहे आंकड़े: आखिर में सपा के हाथ से गई ये चर्चित सीट, पढ़िए सुनीता वर्मा की हार की बड़ी वजह
UP Chunav Results 2024 : सपा ने भले ही पूरे प्रदेश में 37 सीटें जीती हैं। लेकिन देशभर में चर्चित इस सीट पर पार्टी प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा है। जानिए आखिर सपा उम्मीदवार सुनीता वर्मा की हार के पीछे क्या बड़ी वजह रही है।
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समाजवादी पार्टी (सपा) गठबंधन की प्रत्याशी सुनीता वर्मा की जीत के बीच टिकट को लेकर हुई खींचतान और गुटबाजी आ गई। यही कारण रहा कि मेरठ-हापुड़ लोकसभा की चार विधानसभाओं से बढ़त लेने और आखिरी राउंड तक कड़ा मुकाबला करने के बावजूद उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
शहर विधानसभा से सुनीता वर्मा अरुण गोविल से 37 हजार 915 वोटों से आगे रहीं, मेरठ दक्षिण विधानसभा में वह 20 हजार 473 वोटों से आगे रहीं, किठौर विधानसभा में 16 हजार 717 और हापुड़ विधानसभा में 11 हजार 622 वोटों से उन्हें बढ़त मिलीं। कैंट विधानसभा से वह 96113 मतों से पीछे रहीं और पोस्टल बैलेट में 1219 मतों से। सुनीता वर्मा महापौर रही हैं और उनके पति योगेश वर्मा हस्तिनापुर से विधायक रहे हैं। उन्होंने टिकट के लिए दावेदारी की, लेकिन उन्हें शुरू में टिकट नहीं हुआ।
टिकट को लेकर लंबी खींचतान रही। टिकट के दावेदारों में सरधना से सपा विधायक अतुल प्रधान और शहर विधायक रफीक अंसारी भी थे। सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता भानु प्रताप सिंह का टिकट फाइनल हुआ। उन्होंने प्रचार भी किया, लेकिन इसके बाद भी टिकट को लेकर जोर आजमाइश होती रही। फिर अतुल प्रधान का टिकट तय कर दिया गया। उन्होंने नामांकन भी कर दिया, लेकिन अगले ही दिन उनका टिकट काट दिया गया और सुनीता वर्मा को नामांकन से एक दिन पहले रात में टिकट दे दिया गया। इसके बाद अतुल प्रधान ने टिकट न होने पर नाराजगी जताई। हालांकि, बाद में वह बैकफुट पर आ गए और टिकट का समर्थन किया। योगेश वर्मा सुबह लखनऊ से हेलिकॉप्टर से हिंडन गाजियाबाद और फिर कार से मेरठ आए और नामांकन किया।
टिकट को लेकर सपा में खींचतान इतनी थी कि सुनीता वर्मा और अतुल प्रधान के अलावा पांच और दावेदारों ने नामांकन पत्र लिए थे। सुनीता वर्मा को शहर विधायक रफीक अंसारी और किठौर विधायक व पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर ने मजबूती से चुनाव लड़ाया, लेकिन अतुल प्रधान प्रचार में ज्यादा नजर नहीं आए। योगेश वर्मा ने हार के बाद किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन अपनी ही पार्टी से जुड़े एक नेता पर टिप्पणी की, जो गुटबाजी की तरफ इशारा करती है।
किठौर और हापुड़ में जितनी बढ़त की उम्मीद थी उतनी नहीं मिली
सपा गठबंधन प्रत्याशी और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि किठौर और हापुड़ से बढ़त काफी ज्यादा होगी। बढ़त तो मिली, मगर वह इतनी नहीं थी, जितनी उम्मीद की जा रही थी। सपाइयों का अनुमान था कि किठौर से करीब 30 हजार और हापुड़ से 20 हजार से ज्यादा की बढ़त उन्हें मिलेगी। अगर ऐसा हो जाता तो नतीजा कुछ अलग होता।
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अखिलेश यादव की रैली को लेकर भी हुई थी कलह
मतदान से पहले हापुड़ रोड पर सपाइयों ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की रैली कराई थी। इसमें ज्यादा भीड़ नहीं आई थी और न ही व्यवस्था अच्छी थी। पार्टी के सूत्रों का कहना था कि इस पर अखिलेश यादव नाराज हुए थे। जिलाध्यक्ष को रिपोर्ट देने के लिए कहा था। रैली करा रहे सपा के नेताओं ने भीड़ न आने पर एक-दूसरे पर इसका ठीकरा फोड़ा था।
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