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Survey: परिवार नियोजन का जिम्मा महिलाओं पर, तीन साल की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, नसबंदी कराने में पुरुष पीछे

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मेरठ Published by: Dimple Sirohi Updated Wed, 29 Mar 2023 11:57 AM IST
सार

मेरठ जिले में परिवार नियोजन की भागीदारी में पुरुष फिसड्डी हैं। तीन साल की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। 95 प्रतिशत से ज्यादा महिलाओं ने नसबंदी के ऑपरेशन कराए हैं, जबकि पुरुष पांच प्रतिशत का आंकड़ा भी नहीं छू पाए हैं। 

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Survey: responsibility of family planning is on women, revealed in the report of three years
परिवार नियोजन
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विस्तार
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मेरठ में जिस तरह महिलाएं अब हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे निकलती जा रही हैं, उसी तरह परिवार नियोजन का जिम्मा भी उन्होंने अपने कंधों पर लिया हुआ है। जिले में परिवार नियोजन की भागीदारी में पुरुष फिसड्डी हैं। यहां महिलाएं ही जिम्मेदारी निभा रही हैं। ऐसा हम नहीं बल्कि स्वास्थ्य विभाग के पिछले तीन साल के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। 

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कुल नसबंदी ऑपरेशन में से 95 प्रतिशत से ज्यादा महिलाओं ने कराए हैं, जबकि पुरुष पांच प्रतिशत का आंकड़ा भी नहीं छू पाए हैं। तकनीक उपलब्ध होने के बाद भी परिवार नियोजन का भार महिलाएं ही ज्यादा उठा रही हैं। साल 2020 में अप्रैल से लेकर मार्च 2023 तक जिले में कुल 12503 नसबंदी ऑपरेशन हुए हैं। इनमें से 11973 महिलाओं ने कराए हैं, जबकि 530 पुरुषों ने कराए हैं। 
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नसबंदी ऑपरेशन का हाल
 वर्ष        महिलाएं     पुरुष 

 2020-21    3684     074 
 2021-22     3545     254 
 2022-23     4744      202 
(आंकड़े तीनों साल के अप्रैल से मार्च तक के हैं।)

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गलतफहमी 
-नसबंदी कराने से शारीरिक कमजोरी आती है 
-भूख कम लगती है 
-सिर्फ सर्दियों में करवानी चाहिए 

हकीकत 
-शारीरिक कमजोरी नहीं आती है
-भूख और वजन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है 

महिलाओं, पुरुषों से ज्यादा जागरूक 
परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डाॅ. विश्वास चौधरी ने बताया कि महिलाएं, पुरुषों से ज्यादा जागरूक हैं। नसबंदी के अलावा बच्चों में अंतर रखने की विधि पीपीआईयूसीडी को अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक 9526 महिलाओं ने अपनाया। वर्ष 2021-22 में 8243 महिलाओं ने अपनाया था। इस साल अभी तक 12057 महिलाओं ने अपनाया है। अब तक 22270 महिलाओं ने अंतरा इंजेक्शन को अपनाया है। 

-स्वास्थ्य विभाग लक्ष्य नहीं कर पा रहा पूरा : स्वास्थ्य विभाग अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रहा है। मेरठ में हर साल का लक्ष्य 16 हजार नसबंदी का है, मगर यह किसी भी साल पूरा नहीं हुआ है। इसके लिए लाभार्थी को तीन हजार रुपये और प्रेरक को चार सौ रुपये दिए जाते हैं। पहले यह क्रमश: दो हजार रुपये और तीन सौ रुपये दिए जाते थे। 

-जागरूकता का अभाव है वजह : सीएमओ डॉ. अखिलेश मोहन का कहना है कि महिला चिकित्सालय, मेडिकल कॉलेज, मवाना, सरधना और दौराला सीएचसी पर नसबंदी कराई जाती है। इसके लिए जागरूकता अभियान भी समय समय पर चलाए जाते हैं, मगर पुरुषों में इसे लेकर उत्साह नहीं है। 

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