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UP: सपा के लिए इस बार भी आसान नहीं डगर... यहां पर भाजपा से होगी सीधी टक्कर; रालोद भी है 'कमल' के साथ
अमर उजाला नेटवर्क, मुरादाबाद
Published by: शाहरुख खान
Updated Thu, 23 Oct 2025 09:19 AM IST
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सार
बरेली-मुरादाबाद खंड शिक्षक निर्वाचन में सपा के लिए इस बार भी डगर कठिन होगी। एक साल पहले प्रत्याशी घोषित कर सपा ने दांव खेला है, भाजपा से सीधी टक्कर होगी। संभावना है कि भाजपा से एक बार फिर मौजूदा एमएलसी डॉ. हरि सिंह ढिल्लों मैदान में उतर सकते हैं।

सपा के लिए इस बार भी डगर कठिन
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
बरेली-मुरादाबाद खंड शिक्षक निर्वाचन में सपा ने भले ही सबसे पहले मैदान में उतरकर राजनीतिक हलचल बढ़ा दी हो लेकिन हालात यह संकेत दे रहे हैं कि इस बार भी सपा के लिए मुकाबला आसान नहीं होगा।
सपा ने बिजनौर के रहने वाले हाजी दानिश अख्तर को प्रत्याशी घोषित किया है जबकि भाजपा की ओर से अभी आधिकारिक नाम नहीं आया लेकिन संभावना यही हैं कि मौजूदा एमएलसी डॉ. हरि सिंह ढिल्लों एक बार फिर मैदान में उतर सकते हैं।
2020 में हुए शिक्षक निर्वाचन में भाजपा समर्थित डॉ. हरि सिंह ढिल्लों ने सपा प्रत्याशी संजय मिश्रा को बड़े अंतर से हराया था। कुल 36 हजार मतदाताओं में से ढिल्लों को 12,827 वोट प्राप्त हुए थे जबकि सपा को 4,864 मत पर संतोष करना पड़ा था।
दिलचस्प बात यह है कि इस बार सपा ने जिस हाजी दानिश को टिकट दिया है उन्होंने पिछला चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ा था और महज 723 वोट ही प्राप्त कर सके थे। ऐसे में हाजी दानिश सपा के पीडीए फार्मूले के दम पर कितना सफल हो पाएंगे यह एक बड़ा सवाल है।

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सपा ने बिजनौर के रहने वाले हाजी दानिश अख्तर को प्रत्याशी घोषित किया है जबकि भाजपा की ओर से अभी आधिकारिक नाम नहीं आया लेकिन संभावना यही हैं कि मौजूदा एमएलसी डॉ. हरि सिंह ढिल्लों एक बार फिर मैदान में उतर सकते हैं।
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2020 में हुए शिक्षक निर्वाचन में भाजपा समर्थित डॉ. हरि सिंह ढिल्लों ने सपा प्रत्याशी संजय मिश्रा को बड़े अंतर से हराया था। कुल 36 हजार मतदाताओं में से ढिल्लों को 12,827 वोट प्राप्त हुए थे जबकि सपा को 4,864 मत पर संतोष करना पड़ा था।
दिलचस्प बात यह है कि इस बार सपा ने जिस हाजी दानिश को टिकट दिया है उन्होंने पिछला चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ा था और महज 723 वोट ही प्राप्त कर सके थे। ऐसे में हाजी दानिश सपा के पीडीए फार्मूले के दम पर कितना सफल हो पाएंगे यह एक बड़ा सवाल है।
भाजपा ने अभी औपचारिक घोषणा नहीं की है लेकिन संगठन के भीतर यह माना जा रहा है कि मौजूदा एमएलसी डॉ. ढिल्लो को ही दोबारा टिकट मिल सकता है। वह शिक्षक वर्ग में लंबे समय से सक्रिय भी हैं और बरेली-मुरादाबाद सीट पर सिख और जाट सिख समुदाय में काफी अच्छी पकड़ भी रखते हैं।
डॉ. ढिल्लो का पलड़ा भारी
इसके अलावा वह वित्तविहीन शिक्षकों के भी बड़े नेता माने जाते हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के समधी होने के नाते उनका पलड़ा और भी मजबूत नजर आता है।
इसके अलावा वह वित्तविहीन शिक्षकों के भी बड़े नेता माने जाते हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के समधी होने के नाते उनका पलड़ा और भी मजबूत नजर आता है।
डॉ. ढिल्लो को मिल सकता है रालोद का भी खुला समर्थन
पूर्व में राष्ट्रीय लोकदल ने उन्हें एमएलसी बनाया था। इस बार रालोद भी भाजपा के साथ गठबंधन में है। ऐसे में माना जा रहा है कि डॉ. ढिल्लो को रालोद का भी खुला समर्थन मिल सकता है। इससे भाजपा खेमे को लाभ मिल सकता है।
पूर्व में राष्ट्रीय लोकदल ने उन्हें एमएलसी बनाया था। इस बार रालोद भी भाजपा के साथ गठबंधन में है। ऐसे में माना जा रहा है कि डॉ. ढिल्लो को रालोद का भी खुला समर्थन मिल सकता है। इससे भाजपा खेमे को लाभ मिल सकता है।
सपा ने एक साल पहले ही प्रत्याशी का नाम घोषित कर राजनीतिक माहौल जरूर तैयार किया है लेकिन चुनाव नवंबर-2026 में होने हैं और डॉ. ढिल्लो का कार्यकाल दिसंबर-2026 तक है।
वहीं दूसरी ओर सपा और कांग्रेस इंडिया गठबंधन में जरूर शामिल है लेकिन दोनों ही पार्टियों ने एमएलसी चुनाव अकेले लड़ने का ही एलान किया है। सपा के लिए शिक्षक और स्नातक चुनाव इसलिए भी अहम है क्योंकि यह वोट बैंक सपा का परंपरागत वोटर नहीं माना जाता है। सपा ने टिकट देते समय इस बार सक्रिय और शिक्षित उम्मीदवारों का चयन किया है। हाजी दानिश भी उन्हीं में से एक हैं।
सपा प्रत्याशी टिकट मिलने के बाद ही सक्रिय
सपा प्रत्याशी टिकट मिलने के बाद ही सक्रिय भी हो गए हैं। उन्होंने सभी 12 लोकसभा और 52 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर मतदाता सूची में नाम जुड़वाने का अभियान शुरू कर दिया है। प्रत्याशी का कहना है कि बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक संस्थानों के वोटरों का नाम मतदाता सूची में नहीं है। वह अभियान चलाकर नाम जुड़वाने का प्रयास कर रहे हैं।
सपा प्रत्याशी टिकट मिलने के बाद ही सक्रिय भी हो गए हैं। उन्होंने सभी 12 लोकसभा और 52 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर मतदाता सूची में नाम जुड़वाने का अभियान शुरू कर दिया है। प्रत्याशी का कहना है कि बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक संस्थानों के वोटरों का नाम मतदाता सूची में नहीं है। वह अभियान चलाकर नाम जुड़वाने का प्रयास कर रहे हैं।
36 साल तक रहा शर्मा गुट का कब्जा
बरेली-मुरादाबाद खंड शिक्षक निर्वाचन सीट पर लंबे समय तक शिक्षक संगठन माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) का ही कब्जा रहा। 1972 से 2008 तक लगातार इसी गुट ने इस सीट पर कब्जा जमाया। 2014 में पहली बार सपा समर्थित संजय मिश्रा ने इस सीट पर जीत हासिल की। लेकिन 2020 में ही भाजपा ने यह सीट अपने कब्जे में ले ली।
बरेली-मुरादाबाद खंड शिक्षक निर्वाचन सीट पर लंबे समय तक शिक्षक संगठन माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) का ही कब्जा रहा। 1972 से 2008 तक लगातार इसी गुट ने इस सीट पर कब्जा जमाया। 2014 में पहली बार सपा समर्थित संजय मिश्रा ने इस सीट पर जीत हासिल की। लेकिन 2020 में ही भाजपा ने यह सीट अपने कब्जे में ले ली।
सपा के लिए गहरी चुनौती
शिक्षक निर्वाचन पारंपरिक राजनीतिक वोटिंग पर नहीं बल्कि व्यक्तिगत छवि, भरोसे और शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर टिका होता है। सपा को इस वर्ग में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए ठोस एजेंडा तय करना होगा। सपा प्रत्याशी ने पुरानी पेंशन, वित्तविहीन शिक्षकों के मानदेय, मदरसा शिक्षकों का मानदेय, पदोन्नति जैसे मुद्दों को अपनी प्राथमिकताओं में गिनाए हैं। हालांकि सपा प्रत्याशी के पास अभी लंबा समय है और वह शिक्षक वर्ग से ही जुड़े हुए हैं। ऐसे में वह शिक्षक संगठनों, कॉलेज प्रबंधन समितियों और आरटीई से जुड़े मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभाकर अपने पक्ष में माहौल तैयार कर सकते हैं।
शिक्षक निर्वाचन पारंपरिक राजनीतिक वोटिंग पर नहीं बल्कि व्यक्तिगत छवि, भरोसे और शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर टिका होता है। सपा को इस वर्ग में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए ठोस एजेंडा तय करना होगा। सपा प्रत्याशी ने पुरानी पेंशन, वित्तविहीन शिक्षकों के मानदेय, मदरसा शिक्षकों का मानदेय, पदोन्नति जैसे मुद्दों को अपनी प्राथमिकताओं में गिनाए हैं। हालांकि सपा प्रत्याशी के पास अभी लंबा समय है और वह शिक्षक वर्ग से ही जुड़े हुए हैं। ऐसे में वह शिक्षक संगठनों, कॉलेज प्रबंधन समितियों और आरटीई से जुड़े मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभाकर अपने पक्ष में माहौल तैयार कर सकते हैं।
पिछले बार थे 36 हजार मतदाता
बरेली-मुरादाबाद खंड शिक्षक निर्वाचन का पिछला चुनाव 2020 में हुआ था। इस चुनाव में कुल 36703 मतदाता थे। इसमें बरेली में 6230, बदायूं में 3275, शाहजहांपुर में 3896, रामपुर में 2742, बिजनौर में 6352, मुरादाबाद में 5475, पीलीभीत में 1967, अमरोहा में 3779 और संभल में 2987 मतदाता थे।
बरेली-मुरादाबाद खंड शिक्षक निर्वाचन का पिछला चुनाव 2020 में हुआ था। इस चुनाव में कुल 36703 मतदाता थे। इसमें बरेली में 6230, बदायूं में 3275, शाहजहांपुर में 3896, रामपुर में 2742, बिजनौर में 6352, मुरादाबाद में 5475, पीलीभीत में 1967, अमरोहा में 3779 और संभल में 2987 मतदाता थे।
यह था परिणाम
2020 के चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार डॉ. हरी सिंह ढल्लो को कुल 12827 वोट प्राप्त हुए थे और वह विजेता बने थे। दूसरे नंबर पर सपा के संजय कुमार मिश्रा रहे जिन्हें कुल 4864 वोट प्राप्त हुए। कांग्रेस प्रत्याशी मेहंदी हसन को 276 मत मिले थे। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में रामबाबू शास्त्री ने 2016, सुभाष चंद्र शर्मा ने 1283, सुनीत गिरि ने 1258, डॉ. राजेंद्र गंगवार ने 1162, हाजी दानिश अख्तर ने 723, विनय खंडेलवाल ने 705, आशुतोष शर्मा ने 213, पीयूष राठौर ने 61, बालकृष्ण ने 54, महताब अली ने 54, अभिषेक द्विवेदी ने 04, पुष्पेंद्र कुमार ने 04 मत प्राप्त किए थे। इसके अलावा 1290 वोट अमान्य करार दिए गए थे।
2020 के चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार डॉ. हरी सिंह ढल्लो को कुल 12827 वोट प्राप्त हुए थे और वह विजेता बने थे। दूसरे नंबर पर सपा के संजय कुमार मिश्रा रहे जिन्हें कुल 4864 वोट प्राप्त हुए। कांग्रेस प्रत्याशी मेहंदी हसन को 276 मत मिले थे। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में रामबाबू शास्त्री ने 2016, सुभाष चंद्र शर्मा ने 1283, सुनीत गिरि ने 1258, डॉ. राजेंद्र गंगवार ने 1162, हाजी दानिश अख्तर ने 723, विनय खंडेलवाल ने 705, आशुतोष शर्मा ने 213, पीयूष राठौर ने 61, बालकृष्ण ने 54, महताब अली ने 54, अभिषेक द्विवेदी ने 04, पुष्पेंद्र कुमार ने 04 मत प्राप्त किए थे। इसके अलावा 1290 वोट अमान्य करार दिए गए थे।
ये हैं 1972 से अब तक के शिक्षक विधायक
1972 - रमेश चंद्र शर्मा उर्फ विकट, उप्र माशिसं (शर्मा गुट)
1978 - रमेश चंद्र शर्मा उर्फ विकट, उप्र माशिसं (शर्मा गुट)
1984 - केशव कुमार शर्मा, उप्र माशिसं (शर्मा गुट)
1990 - केशव कुमार शर्मा, उप्र माशिसं (शर्मा गुट)
1995 - रामबाबू शास्त्री, उप्र माशिसं (शर्मा गुट)
1996 - रामबाबू शास्त्री, उप्र माशिसं (शर्मा गुट)
2002 - सुभाष चंद्र शर्मा, उप्र माशिसं (शर्मा गुट)
2008 - सुभाष चंद्र शर्मा, उप्र माशिसं (शर्मा गुट)
2014 - संजय कुमार मिश्रा (सपा समर्थित)
2020 - डॉ. हरि सिंह ढिल्लो (भाजपा समर्थित)
नोट - वर्ष 1995 में उपचुनाव हुआ था।
1972 - रमेश चंद्र शर्मा उर्फ विकट, उप्र माशिसं (शर्मा गुट)
1978 - रमेश चंद्र शर्मा उर्फ विकट, उप्र माशिसं (शर्मा गुट)
1984 - केशव कुमार शर्मा, उप्र माशिसं (शर्मा गुट)
1990 - केशव कुमार शर्मा, उप्र माशिसं (शर्मा गुट)
1995 - रामबाबू शास्त्री, उप्र माशिसं (शर्मा गुट)
1996 - रामबाबू शास्त्री, उप्र माशिसं (शर्मा गुट)
2002 - सुभाष चंद्र शर्मा, उप्र माशिसं (शर्मा गुट)
2008 - सुभाष चंद्र शर्मा, उप्र माशिसं (शर्मा गुट)
2014 - संजय कुमार मिश्रा (सपा समर्थित)
2020 - डॉ. हरि सिंह ढिल्लो (भाजपा समर्थित)
नोट - वर्ष 1995 में उपचुनाव हुआ था।
यह सीट समाजवादियों की रही है और हम इसे दोबारा वापस लाने के लिए हर स्तर पर मेहनत कर रहे हैं। इस बार संगठन, शिक्षक और कार्यकर्ता सभी एकजुट हैं। इस बार नतीजा हमारे ही पक्ष में होगा। - जयवीर सिंह यादव, जिलाध्यक्ष, सपा