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UP: आंबेडकर, संविधान और जातिवाद से लेकर आरक्षण तक, जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कई मुद्दों पर बेबाकी से रखी राय

अमर उजाला नेटवर्क, मुरादाबाद Published by: आकाश दुबे Updated Sun, 07 Dec 2025 05:02 PM IST
सार

जगद्गुरु रामभद्राचार्य की यह टिप्पणियां अक्सर चर्चा का विषय भी बनती हैं। अमर उजाला के लिए शिवम वर्मा से बातचीत में उन्होंने अपने चिरपरिचित अंदाज में विचार साझा किए।

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Jagadguru Rambhadracharya expressed his opinion freely on many issues
जगद्गुरु रामभद्राचार्य - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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रामचरितमानस में तुलसीदास ने लिखा है, 'उमा कहहुं मैं अनुभव अपना, सत हरि भजन जगत सब सपना...' लेकिन तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ऐसे धर्मगुरु हैं जो केवल हरि भजन की बात नहीं करते बल्कि भौतिक मुद्दों पर भी अपनी राय बेबाकी से रखते हैं। वह धार्मिक विषयों के साथ समसामयिक विषयों पर भी समय-समय पर टिप्पणी करते रहते हैं।

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राजनीतिक विषयों पर बोलने से उन्हें कोई संकोच नहीं होता। जगद्गुरु रामभद्राचार्य की यह टिप्पणियां अक्सर चर्चा का विषय भी बनती हैं। अमर उजाला के लिए शिवम वर्मा से बातचीत में उन्होंने अपने चिरपरिचित तेवर में विचार व्यक्त किए। आंबेडकर, संविधान, जातिवाद सहित तमाम मुद्दों पर अपनी राय बेबाकी से रखी।

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सवाल : कल्कि के जन्म को लेकर अब तक संभल में अलग मान्यता थी। लोग नाम पंचमी के दिन कल्कि के अवतरित होने की बात कहते हैं। जन्म स्थान भी नियत नहीं था लेकिन आपने इतना सटीक कैसे कहा?
जवाब : कथा में पीठ पर आसीन होकर काफी बातें कही थीं, उनमें से कुछ चीजें ध्यान में नहीं हैं। मैं फिर कहता हूं कि बैसाख मास में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को अभिजीत मुहूर्त में भगवान कल्कि अवतरित होंगे। यह बात शास्त्र सम्मत है।

सवाल : आपसे जुड़े कई विषय ऐसे हैं जो अकसर विवादों में रहते हैं। इनमें से आंबेडकर पर आपकी क्या राय है, वह संविधान निर्माता थे या नहीं?
जवाब : नहीं, आंबेडकर संविधान निर्माता नहीं थे। उस समिति में 100 लोग थे। आंबेडकर ने अकेले संविधान का निर्माण नहीं किया।

सवाल : आपकी नजर में संविधान बड़ा है या मनुस्मृति?
जवाब : मनुस्मृति ही बड़ी है। वही संविधान है। आंबेडकर यदि संस्कृत जानते तो मनुस्मृति जलाने का पाप न करते जिसकी इस ग्रंथ में आस्था हो, जिसने 12 अध्याय पढ़े हों वह बताए कि कहां राष्ट्रविरोधी बात की गई है।

सवाल : आपने कहा कि वाइफ आनंद की वस्तु है, इसका काफी विरोध हो रहा है।
जवाब : कई लोगों ने मेरी पूरी बात नहीं सुनी है। पत्नी और वाइफ में मैंने अंतर बताया है। बाकी जिसे जो समझना है वह अपनी तरह समझता रहे।

सवाल : भारत का आदर्श वाक्य है वसुधैव कटुंबकम फिर किसी वर्ग के लिए घृणा क्यों?
जवाब : जो हमारी मां को मां कहता हो वही भाई है। जो मां को डायन कहे, जिसे वंदेमातरम धार्मिक और वर्ग विरोधी लगता हो वह परिवार या भाई नहीं हो सकता।

सवाल : आपको ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है। धार्मिक पुस्तकों से अलग कौन से लेखक और किताबें हैं जिनका आपने अध्ययन किया है?
जवाब : जयशंकर प्रसाद और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का साहित्य मैंने पढ़ा है। कामायनी और सरोज स्मृति मेरी प्रिय पद्य रचनाएं हैं।

सवाल : जाति प्रथा सही है या गलत?
जवाब : जाति प्रथा प्रारंभ से है और रहेगी लेकिन जातिवाद गलत है। मैं कहता हूं कि सरकार का साहस हो तो जाति के आधार पर आरक्षण देना बंद कर दे।

सवाल : आपने कहा था कि त्रिगुणायत, उपाध्याय और दीक्षित छोटे ब्राह्मण होते हैं, वह कैसे?
जवाब : नहीं, नहीं... यह बात मैंने सरयू परायण परंपरा के अनुसार कही कि जब वह बच्चों से धन लेकर उन्हें पढ़ाते थे तो छोटे ब्राह्मण कहलाते थे। अब धन लेकर नहीं पढ़ाते तो छोटे नहीं हैं।


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