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Muzaffarnagar News: सैनिक पति के लिए लिखी किताब, स्मारक बनाने का है ख्वाब
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मुजफ्फरनगर। खतौली के अंतवाड़ा की रहने वाली शिवी आशीष स्वामी की शादी शुक्रताल स्थित फिरोजपुर गांव के रहने वाले सेना के जवान आशीष स्वामी से फरवरी 2024 में हुई।
शादी के मात्र पांच महीने बाद ही एक सड़क हादसे में उनके पति ने जान गवां दी। नई नवेली दुल्हन को जब अपने सारे श्रृंगार उतारकर विधवा का जीवन मिला तो उन्होंने इस दर्द को शब्दों में व्यक्त किया।
एक किताब आशिवी का रूप देकर कुछ सवाल पति से, समाज से, प्रशासन से और सेना के पेचीदे कानून से किए। अपने पति को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए वह प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर किताब से प्राप्त धनराशि से पति के नाम पर स्मारक बनाने की प्रार्थना कर रही हैं।
शिवी ने किताब के अंत में समाज की सच्चाई को कविता के माध्यम से बताया है कि समाज की प्रथाएं और परंपराएं आज भी विधवा को अपशगुनी की की नजर से ही देखती हैं। उन्होंने कविता में पति के जाने के बाद की हर व्यथा को छंदों में पिरोया।
एक छंद में वह कहती हैं कि पति की आश्रित की तौर पर हर किसी ने तानों से बींधा। सबसे बड़ा सवाल कि जिस जवान ने देश की सेवा के लिए अपनी मां, पिता, बेटा, बहन और पत्नी को छोड़ दिया, उसके नाम पर स्मारक बनवाने के लिए वह अकेली खड़ी हैं।
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शादी के मात्र पांच महीने बाद ही एक सड़क हादसे में उनके पति ने जान गवां दी। नई नवेली दुल्हन को जब अपने सारे श्रृंगार उतारकर विधवा का जीवन मिला तो उन्होंने इस दर्द को शब्दों में व्यक्त किया।
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एक किताब आशिवी का रूप देकर कुछ सवाल पति से, समाज से, प्रशासन से और सेना के पेचीदे कानून से किए। अपने पति को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए वह प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर किताब से प्राप्त धनराशि से पति के नाम पर स्मारक बनाने की प्रार्थना कर रही हैं।
शिवी ने किताब के अंत में समाज की सच्चाई को कविता के माध्यम से बताया है कि समाज की प्रथाएं और परंपराएं आज भी विधवा को अपशगुनी की की नजर से ही देखती हैं। उन्होंने कविता में पति के जाने के बाद की हर व्यथा को छंदों में पिरोया।
एक छंद में वह कहती हैं कि पति की आश्रित की तौर पर हर किसी ने तानों से बींधा। सबसे बड़ा सवाल कि जिस जवान ने देश की सेवा के लिए अपनी मां, पिता, बेटा, बहन और पत्नी को छोड़ दिया, उसके नाम पर स्मारक बनवाने के लिए वह अकेली खड़ी हैं।
