{"_id":"691f7fd45eecac677f0fbc49","slug":"make-daughters-self-reliant-educate-them-about-their-rights-muzaffarnagar-news-c-29-1-mng1004-159142-2025-11-21","type":"story","status":"publish","title_hn":"Muzaffarnagar News: बेटियों को बनाएं आत्मनिर्भर, कराएं उनके अधिकारों का ज्ञान","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Muzaffarnagar News: बेटियों को बनाएं आत्मनिर्भर, कराएं उनके अधिकारों का ज्ञान
विज्ञापन
विज्ञापन
मुजफ्फरनगर। अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से नई मंडी स्थित कीर्तन भवन में संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। महिला सशक्तिकरण के दौर में बेटियां बन रही प्रेरणा विषय पर महिलाओं ने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ उनके अधिकारों का ज्ञान कराना भी जरूर कराएं ताकि वे कहीं कमजोर न पड़ें और हर तरह से आत्मनिर्भर बनें।
कार्यक्रम में गृहिणी, कामकाजी और बुजुर्ग महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए। सभी ने एक सुर में बेटियों को पढ़ाने और अपने पैरों पर खड़े होने का समर्थन किया। इस दौरान डोली मित्तल, सुमन कंसल, पारूल कुच्छल, संतोष शर्मा, बबीता जिंदल, सरस्वती शर्मा, बीना, शिल्पी, सविता, रेखा वर्मा, अंजू सिंघल शामिल हुईं।
लेडीज क्लब की सदस्य रेखा मित्तल ने कहा कि हमारे दौर में महिलाओं को उतनी आजादी नहीं थी, जितनी आज हम अपनी बेटियों को दे रहीं है। यह सब इसलिए कर रहे हैं ताकि वह भी व्योमिका और सोफिया की तरह आगे बढ़ सकें।
समाज सेवी निरुपमा गोयल ने कहा कि आज के दौर के माता-पिता अपनी बेटियों को पढ़ने लिखने की सारी सुविधाएं दे रहे हैं लेकिन उनको आत्मरक्षा के गुर भी सिखाने चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपनी रक्षा खुद कर सकें।
एडवोकेट अर्चना मित्तल ने कहा कि सामुदायिक स्थलों पर शिविरों का आयोजन कर महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी देनी चाहिए। हम उनको काबिल बनाते हैं लेकिन कानूनी सीख भी आज के समय की जरूरत है।
उषा वर्मा ने कहा कि वह उनकी तीसरी पीढ़ी की बेटियां आगे बढ़ने की तैयारी में है। आत्मनिर्भर बनाना आज के समय की मांग और सोच है। हम बुजुर्गों की जिम्मेदारी है कि उनके आगे बढ़ने में सहयोग करें न कि पुरानी सोच से बंधे रहें।
संतोष सिंघल ने कहा कि बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए आजादी ही जरूरी नहीं बल्कि संस्कार भी जरूरी है। समाज बहुत तेजी से बदल रहा है। आगे की पीढ़ी में मानवीय मूल्यों का विकास परिजनों की जिम्मेदारी है।
Trending Videos
कार्यक्रम में गृहिणी, कामकाजी और बुजुर्ग महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए। सभी ने एक सुर में बेटियों को पढ़ाने और अपने पैरों पर खड़े होने का समर्थन किया। इस दौरान डोली मित्तल, सुमन कंसल, पारूल कुच्छल, संतोष शर्मा, बबीता जिंदल, सरस्वती शर्मा, बीना, शिल्पी, सविता, रेखा वर्मा, अंजू सिंघल शामिल हुईं।
विज्ञापन
विज्ञापन
लेडीज क्लब की सदस्य रेखा मित्तल ने कहा कि हमारे दौर में महिलाओं को उतनी आजादी नहीं थी, जितनी आज हम अपनी बेटियों को दे रहीं है। यह सब इसलिए कर रहे हैं ताकि वह भी व्योमिका और सोफिया की तरह आगे बढ़ सकें।
समाज सेवी निरुपमा गोयल ने कहा कि आज के दौर के माता-पिता अपनी बेटियों को पढ़ने लिखने की सारी सुविधाएं दे रहे हैं लेकिन उनको आत्मरक्षा के गुर भी सिखाने चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपनी रक्षा खुद कर सकें।
एडवोकेट अर्चना मित्तल ने कहा कि सामुदायिक स्थलों पर शिविरों का आयोजन कर महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी देनी चाहिए। हम उनको काबिल बनाते हैं लेकिन कानूनी सीख भी आज के समय की जरूरत है।
उषा वर्मा ने कहा कि वह उनकी तीसरी पीढ़ी की बेटियां आगे बढ़ने की तैयारी में है। आत्मनिर्भर बनाना आज के समय की मांग और सोच है। हम बुजुर्गों की जिम्मेदारी है कि उनके आगे बढ़ने में सहयोग करें न कि पुरानी सोच से बंधे रहें।
संतोष सिंघल ने कहा कि बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए आजादी ही जरूरी नहीं बल्कि संस्कार भी जरूरी है। समाज बहुत तेजी से बदल रहा है। आगे की पीढ़ी में मानवीय मूल्यों का विकास परिजनों की जिम्मेदारी है।