{"_id":"e55e90ce-2b02-11e2-9941-d4ae52bc57c2","slug":"now-fracture-will-improve-speedily","type":"story","status":"publish","title_hn":"अब जल्द जुड़ सकेंगी टूटी हड्डियां","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
अब जल्द जुड़ सकेंगी टूटी हड्डियां
लखनऊ/ब्यूरो
Updated Sat, 10 Nov 2012 12:20 PM IST
विज्ञापन

विज्ञापन
सड़क हादसों, खेलों से लेकर रोजमर्रा की दुर्घटनाओं में कई बार चोटें इतनी गंभीर होती हैं कि शरीर को संभालने वाली हड्डियां भी टूट जाती हैं। इन्हें कई सप्ताह तक प्लास्टर चढ़ाकर प्राकृतिक रूप से इसके ठीक होने का इंतजार किया जाता है। लेकिन अब इस प्रक्रिया को केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) लखनऊ द्वारा खोजे गए फ्रेक्चर हीलिंग तत्व तेज करेंगे।

Trending Videos
वैज्ञानिकों के अनुसार इस खोज को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस खोज से भारत ही नहीं दुनिया में हर रोज हड्डी टूटने के शिकार होने वाले लाखों लोगों को फायदा होगा। सीडीआरआई ने इन एजेंट्स से फ्रैक्चर का इलाज करने के लिए अमेरिकी फार्मा कंपनी कैमेक्स्ट्री एलएलसी से लाइसेंसी करार किया है।
विज्ञापन
विज्ञापन
उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल के लोग हड्डी टूटने पर कुछ वृक्षों की छाल से बनाए जाने वाले लेप का उपयोग करते आए हैं। ये वृक्ष उत्तराखंड में समुद्र तल से 800 से 3,000 मीटर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हैं। शोधकर्ताओं की जानकारी में यह तथ्य आने पर वे इस ओर शोध के लिए खासे आकर्षित हुए।
शोध में सामने आया कि लेप में मौजूद फ्रेक्चर हीलिंग तत्व न केवल हड्डियों का क्षय रोक रहे थे, बल्कि हमारे हड्डियों के सिस्टम को नई हड्डी बनाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सक्रिय भी कर रहे थे। इससे फ्रेक्चर जल्दी ठीक हो रहे थे। शोधकर्ताओं ने मीनोपॉज के बाद हड्डियां के इलाज में इन एजेंट्स का उपयोग प्रयोगशाला में जीवों पर किया और सफलता मिली।
अब तक ये था
फ्रेक्चर ठीक करने के लिए नई हड्डी बनाने की कृत्रिम प्रक्रिया को बोन एनाबॉलिक थैरेपी नाम से जाना जाता है। यह ह्यूमन पैराथायरॉयड हार्मोन का हिस्सा है, लेकिन यह न केवल आम लोगों की पहुंच से बाहर है बल्कि इलाज प्रक्रिया बेहद जटिल और कम सफल कही जाती है।