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Pilibhit News: पर्चे पर दवा नहीं अपना कमीशन लिख रहे डॉक्टर साहब
संवाद न्यूज एजेंसी, पीलीभीत
Updated Fri, 12 Sep 2025 11:58 PM IST
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जिला अस्पताल परिसर में रखा प्राइवेट मेडिकल स्टोर का बोर्ड। संवाद
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पीलीभीत। जिला अस्पताल के चिकित्सकों का बाहर प्राइवेट मेडिकल स्टोर संचालकों से सांठगांठ का रिश्ता दिन की रोशनी में खुले आम जोरों से चल रहा है। जो दवाएं अस्पताल में नहीं मिलती उन दवाओं की अस्पताल फार्मेसी में डिमांड भेजने की बजाए चिकित्सक दूर दराज से आने वाले मरीजों को बाहर के मेडिकल स्टोरों का रास्ता दिखा रहे हैं। इतना ही नहीं चिकित्सक की मोहर लगी पर्ची जब मेडिकल पर पहुंचती है, तब कमीशन तय होने का खेल शुरू हो जाता है।
जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली सरकार में जिला अस्पताल के चिकित्सकों की कमीशनखोरी रुकने का नाम नहीं ले रही है। जिला अस्पताल में नियमित दो हजार मरीजों से ज्यादा की ओपीडी रहती है। शुक्रवार को मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं की पड़ताल की गई तो हकीकत सामने आई। देखने को मिला कि जिला अस्पताल में आने वाले अधिकांश मरीजों को परामर्श के दौरान चिकित्सक द्वारा पर्चे पर करीब पांच प्रकार की दवाओं में दो बाहर मेडिकल की लिख रहे हैं।
बाकायदा मरीजों को जल्दी ठीक होने का भरोसा देकर बाहर के मेडिकल स्टोर से खरीदने पर मजबूर किया जा रहा है। अब कमीशन को पुष्ट करने के लिए पर्चे पर चिकित्सक की विभागीय मोहर भी लगी होती है, जिससे मेडिकल स्टोर संचालक चिकित्सक के पर्चे का अंदाजा लगा सके।
पर्चे में चिकित्सक की विभागीय मोहर लगी होने के कारण बाहरी प्राइवेट मेडिकलों में चिकित्सक का नाम नोट हो जाता है। इसके बाद मरीज को भी कुछ कम कीमत में दवा उपलब्ध कराई जा रही है। यह खेल लंबे समय से चलता आ रहा है लेकिन कभी जिम्मेदारों ने इसको संज्ञान लेना तक उचित नहीं समझा।
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जन औषधि केंद्र की आड़ में भारतीय औषधि केंद्र को पहुंचाया जा रहा फायदा
- मरीजों को कम दामों में दवा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र का संचालन कराया जा रहा है, लेकिन यहां भी खेल निकलकर सामने आया। जन औषधि केंद्र के पास में ही एक भारतीय औषधि केंद्र का बोर्ड रखा गया है। मरीजों से जानकारी करने पर पता चला कि बोर्ड के पास से ही एक अघोषित गली में इसका संचालन किया जा रहा है। बाकायदा बोर्ड में गली में जाने का रास्ता भी दर्शाया गया है। ऐसे में लोग असली और नकली औषधि केंद्र की जानकारी के अभाव में वहां जाकर दवा खरीदने पर मजबूर हैं। इसपर भी जिम्मेदारों की नजर नहीं पड़ रही है।
अघोषित गली में बढ़ रही मेडिकल स्टोर की संख्या
जिला अस्पताल में जन औषधि केंद्र के पास में एक छोटी सी गली निकली हुई है। कई सालों से इस गली से लोगों का आना-जाना बना हुआ है। अब इस गली में मेडिकल स्टोर की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। दिन भर इन मेडिकल स्टोरों पर मरीजों की भीड़ उमड़ रही है। लोगों का कहना है कि अस्पताल के चिकित्सकों की सांठगांठ से ही इन मेडिकल स्टोरों की खूब बिक्री होती है।
दीवारों पर प्रचार प्रसार, रोकथाम क्यों नहीं
जिला अस्पताल के अंदर प्राइवेट मेडिकल स्टोर की दीवारों पर जमकर प्रचार-प्रसार होता है। जबकि पूर्व में भी प्राइवेट प्रचार प्रसार को लेकर विभागीय बैठक में कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन कमीशन के इस खेल में किसी को कोई समस्या नही होती है।
जिला अस्पताल के चिकित्सक ने जो दवाएं लिखी हैं वह बाहर मेडिकल से लेने को बताया है। दवाएं महंगी हैं, जन औषधि केंद्र से लेंगे।
वीरेंद्र
सारी दवाएं तो अस्पताल में नहीं मिली, बाहर मेडिकल पर मिलेंगी। चिकित्सक ने बताया दो दवाएं बाहर से मिलनी है।
गुड्डी
सांस लेने की दिक्कत को लेकर दवाएं लेने आया था। चिकित्सक की लिखी दवाएं बाहर मेडिकल से खरीदने के लिए कहा गया है।
परवेंद्र
अस्पताल में जिन दवाओं को लिखा गया वह सारी दवाएं मेडिकल पर नहीं मिली। मजबूरी में यह दवाएं बाहर से ली जाएगी।
अरविंद
जिला अस्पताल में चिकित्सकों को साफ तौर पर अस्पताल के अंदर मिलने वाली दवाएं लिखने को बताया गया है। अगर ऐसी कोई बात सामने आती है तो जांच कराई जाएगी। - डॉ. रमाकांत सागर, अधीक्षक जिला अस्पताल

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बाकायदा मरीजों को जल्दी ठीक होने का भरोसा देकर बाहर के मेडिकल स्टोर से खरीदने पर मजबूर किया जा रहा है। अब कमीशन को पुष्ट करने के लिए पर्चे पर चिकित्सक की विभागीय मोहर भी लगी होती है, जिससे मेडिकल स्टोर संचालक चिकित्सक के पर्चे का अंदाजा लगा सके।
पर्चे में चिकित्सक की विभागीय मोहर लगी होने के कारण बाहरी प्राइवेट मेडिकलों में चिकित्सक का नाम नोट हो जाता है। इसके बाद मरीज को भी कुछ कम कीमत में दवा उपलब्ध कराई जा रही है। यह खेल लंबे समय से चलता आ रहा है लेकिन कभी जिम्मेदारों ने इसको संज्ञान लेना तक उचित नहीं समझा।
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- मरीजों को कम दामों में दवा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र का संचालन कराया जा रहा है, लेकिन यहां भी खेल निकलकर सामने आया। जन औषधि केंद्र के पास में ही एक भारतीय औषधि केंद्र का बोर्ड रखा गया है। मरीजों से जानकारी करने पर पता चला कि बोर्ड के पास से ही एक अघोषित गली में इसका संचालन किया जा रहा है। बाकायदा बोर्ड में गली में जाने का रास्ता भी दर्शाया गया है। ऐसे में लोग असली और नकली औषधि केंद्र की जानकारी के अभाव में वहां जाकर दवा खरीदने पर मजबूर हैं। इसपर भी जिम्मेदारों की नजर नहीं पड़ रही है।
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जिला अस्पताल में जन औषधि केंद्र के पास में एक छोटी सी गली निकली हुई है। कई सालों से इस गली से लोगों का आना-जाना बना हुआ है। अब इस गली में मेडिकल स्टोर की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। दिन भर इन मेडिकल स्टोरों पर मरीजों की भीड़ उमड़ रही है। लोगों का कहना है कि अस्पताल के चिकित्सकों की सांठगांठ से ही इन मेडिकल स्टोरों की खूब बिक्री होती है।
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जिला अस्पताल के चिकित्सक ने जो दवाएं लिखी हैं वह बाहर मेडिकल से लेने को बताया है। दवाएं महंगी हैं, जन औषधि केंद्र से लेंगे।
वीरेंद्र
सारी दवाएं तो अस्पताल में नहीं मिली, बाहर मेडिकल पर मिलेंगी। चिकित्सक ने बताया दो दवाएं बाहर से मिलनी है।
गुड्डी
सांस लेने की दिक्कत को लेकर दवाएं लेने आया था। चिकित्सक की लिखी दवाएं बाहर मेडिकल से खरीदने के लिए कहा गया है।
परवेंद्र
अस्पताल में जिन दवाओं को लिखा गया वह सारी दवाएं मेडिकल पर नहीं मिली। मजबूरी में यह दवाएं बाहर से ली जाएगी।
अरविंद
जिला अस्पताल में चिकित्सकों को साफ तौर पर अस्पताल के अंदर मिलने वाली दवाएं लिखने को बताया गया है। अगर ऐसी कोई बात सामने आती है तो जांच कराई जाएगी। - डॉ. रमाकांत सागर, अधीक्षक जिला अस्पताल
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