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Pilibhit News: राजकीय महाविद्यालय में स्टाफ का टोटा, 20 की जगह 13 प्राध्यापक
संवाद न्यूज एजेंसी, पीलीभीत
Updated Sun, 14 Sep 2025 12:58 AM IST
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बीसलपुर के राजकीय महाविद्यालय में हो रहा शिक्षण। संवाद
- फोटो : mathura
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बीसलपुर। नगर का राजकीय महाविद्यालय विद्यार्थियों की संख्या के मामले में मंडल में प्रथम स्थान पर है। जबकि प्रदेश की टॉप टेन सूची में भी शामिल है। लेकिन बात की जाए स्टाफ की तो यहां व्यवस्थाएं धराशायी हैं। इस महाविद्यालय में कम स्टाफ के साथ ही प्राचार्य तक नहीं हैं।
वर्ष 1976 से चल रहे इस राजकीय महाविद्यालय में मौजूदा समय में 2600 विद्यार्थी हैं। मानक के अनुसार इस महाविद्यालय में 20 प्राध्यापक और एक प्राचार्य होना चाहिए।
इस समय केवल 13 प्राध्यापक है। प्राचार्य न होने के कारण महाविद्यालय की एनसीसी ऑफिसर डॉ. अलका मेहरा को प्रभारी प्राचार्य बना रखा है। महाविद्यालय में पुस्तकालय अध्यक्ष और बुक लिफ्टर का पद कई दशकों से रिक्त पड़ा है। प्रभारी प्राचार्य ने एक प्राध्यापक को पुस्तकालय अध्यक्ष और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को बुक लिफ्टर का कार्य अतिरिक्त रूप से सौंप रखा है।
राजनीति शास्त्र में दो के स्थान पर केवल एक प्राध्यापक है। हिंदी विषय में चार के सापेक्ष केवल एक प्राध्यापक है। जंतु विज्ञान के दोनों प्राध्यापकों के पद खाली हैं। शारीरिक शिक्षक का पद काफी समय से रिक्त चल रहा। प्रयोगशाला सहायकों और कनिष्ठ लिपिकों के दो-दो पद रिक्त हैं।
स्नातकोत्तर स्तर में केवल भौतिक विज्ञान की पढ़ाई होती है। भौतिक विज्ञान स्नातकोत्तर स्तर में केवल एक प्राध्यापक है। जबकि मानक के अनुसार दो प्राध्यापक होने चाहिए। स्नातकोत्तर स्तर पर रसायन विज्ञान, गणित, जंतु विज्ञान और वनस्पति विज्ञान की मान्यता नहीं है। स्नातक स्तर पर मनोविज्ञान, गृह विज्ञान, सैन्य विज्ञान और भूगोल विषय की मान्यता तो है लेकिन शासन ने अभी तक इन विषयों के लिए पदों का सृजन नहीं किया है।
इस वजह से इन विषयों का शिक्षण नहीं हो पा रहा है। महाविद्यालय में ऑडिटोरियम न होने के कारण कार्यक्रम बरामदे में करवाए जाते हैं। मानक के अनुरूप डिस्पेंसरी भी होनी चाहिए। महाविद्यालय परिसर में स्टाफ के लिए आवास भी नहीं हैं। एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पिछले छह माह से बिना सूचना दिए हुए अनुपस्थित चल रहा है।
-- -- -- पिछले कई वर्षों से नहीं हुआ छात्र संघ का चुनाव
महाविद्यालय में पिछले कई वर्षों से छात्र संघ का चुनाव नहीं हुआ है। हालांकि महाविद्यालय के कुछ छात्र चुनाव कराने के पक्ष में हैं। लेकिन विभागीय स्तर से हरी झंडी न मिलने के कारण उनकी मंशा पूरी नहीं हो पा रही।
-- -- --
20 एकड़ क्षेत्रफल में है महाविद्यालय
यहां का राजकीय महाविद्यालय 20 एकड़ के क्षेत्रफल में है। कुछ हिस्से में भवन बना हुआ है। कुछ हिस्से में पौधारोपण है और शेष हिस्सा खाली पड़ा है।
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पूर्व मंत्री तेज बहादुर गंगवार के कार्यकाल में बना महाविद्यालय
इस महाविद्यालय को वर्ष 1976 में तत्कालीन कांग्रेस विधायक, पूर्व मंत्री बाबू तेज बहादुर गंगवार ने बनवाया था। प्रारंभिक दौर के कई वर्षों तक महाविद्यालय नगर पालिका द्वारा संचालित एसआरएम इंटर कॉलेज के कुछ कक्षों में चलता रहा। बाद में इस महाविद्यालय का अपना भवन बन गया। नवनिर्मित भवन का उद्घाटन वर्ष 1988 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने किया था।
राजकीय महाविद्यालय में मानक के अनुरूप स्टाफ तैनात होना बहुत जरूरी है।
स्नेहा, छात्रा
महाविद्यालय में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर सभी विषयों की मान्यता होना बहुत जरूरी है।
समीक्षा मौर्य, छात्रा
महाविद्यालय में मानक के रूप सभी संसाधन उपलब्ध होना अत्यंत आवश्यक है।
शमा, छात्रा
एनसीसी ऑफिसर और प्रभारी प्राचार्य के पद का पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निर्वहन कर रहे हैं। विभागीय उच्चाधिकारियों को समय-समय पर पत्र भेजकर महाविद्यालय में मानक के अनुरूप स्टाफ तैनात कराने की मांग कर रहे हैं।
डॉ. अलका मेहरा, प्रभारी प्राचार्य

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वर्ष 1976 से चल रहे इस राजकीय महाविद्यालय में मौजूदा समय में 2600 विद्यार्थी हैं। मानक के अनुसार इस महाविद्यालय में 20 प्राध्यापक और एक प्राचार्य होना चाहिए।
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इस समय केवल 13 प्राध्यापक है। प्राचार्य न होने के कारण महाविद्यालय की एनसीसी ऑफिसर डॉ. अलका मेहरा को प्रभारी प्राचार्य बना रखा है। महाविद्यालय में पुस्तकालय अध्यक्ष और बुक लिफ्टर का पद कई दशकों से रिक्त पड़ा है। प्रभारी प्राचार्य ने एक प्राध्यापक को पुस्तकालय अध्यक्ष और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को बुक लिफ्टर का कार्य अतिरिक्त रूप से सौंप रखा है।
राजनीति शास्त्र में दो के स्थान पर केवल एक प्राध्यापक है। हिंदी विषय में चार के सापेक्ष केवल एक प्राध्यापक है। जंतु विज्ञान के दोनों प्राध्यापकों के पद खाली हैं। शारीरिक शिक्षक का पद काफी समय से रिक्त चल रहा। प्रयोगशाला सहायकों और कनिष्ठ लिपिकों के दो-दो पद रिक्त हैं।
स्नातकोत्तर स्तर में केवल भौतिक विज्ञान की पढ़ाई होती है। भौतिक विज्ञान स्नातकोत्तर स्तर में केवल एक प्राध्यापक है। जबकि मानक के अनुसार दो प्राध्यापक होने चाहिए। स्नातकोत्तर स्तर पर रसायन विज्ञान, गणित, जंतु विज्ञान और वनस्पति विज्ञान की मान्यता नहीं है। स्नातक स्तर पर मनोविज्ञान, गृह विज्ञान, सैन्य विज्ञान और भूगोल विषय की मान्यता तो है लेकिन शासन ने अभी तक इन विषयों के लिए पदों का सृजन नहीं किया है।
इस वजह से इन विषयों का शिक्षण नहीं हो पा रहा है। महाविद्यालय में ऑडिटोरियम न होने के कारण कार्यक्रम बरामदे में करवाए जाते हैं। मानक के अनुरूप डिस्पेंसरी भी होनी चाहिए। महाविद्यालय परिसर में स्टाफ के लिए आवास भी नहीं हैं। एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पिछले छह माह से बिना सूचना दिए हुए अनुपस्थित चल रहा है।
महाविद्यालय में पिछले कई वर्षों से छात्र संघ का चुनाव नहीं हुआ है। हालांकि महाविद्यालय के कुछ छात्र चुनाव कराने के पक्ष में हैं। लेकिन विभागीय स्तर से हरी झंडी न मिलने के कारण उनकी मंशा पूरी नहीं हो पा रही।
20 एकड़ क्षेत्रफल में है महाविद्यालय
यहां का राजकीय महाविद्यालय 20 एकड़ के क्षेत्रफल में है। कुछ हिस्से में भवन बना हुआ है। कुछ हिस्से में पौधारोपण है और शेष हिस्सा खाली पड़ा है।
पूर्व मंत्री तेज बहादुर गंगवार के कार्यकाल में बना महाविद्यालय
इस महाविद्यालय को वर्ष 1976 में तत्कालीन कांग्रेस विधायक, पूर्व मंत्री बाबू तेज बहादुर गंगवार ने बनवाया था। प्रारंभिक दौर के कई वर्षों तक महाविद्यालय नगर पालिका द्वारा संचालित एसआरएम इंटर कॉलेज के कुछ कक्षों में चलता रहा। बाद में इस महाविद्यालय का अपना भवन बन गया। नवनिर्मित भवन का उद्घाटन वर्ष 1988 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने किया था।
राजकीय महाविद्यालय में मानक के अनुरूप स्टाफ तैनात होना बहुत जरूरी है।
स्नेहा, छात्रा
महाविद्यालय में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर सभी विषयों की मान्यता होना बहुत जरूरी है।
समीक्षा मौर्य, छात्रा
महाविद्यालय में मानक के रूप सभी संसाधन उपलब्ध होना अत्यंत आवश्यक है।
शमा, छात्रा
एनसीसी ऑफिसर और प्रभारी प्राचार्य के पद का पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निर्वहन कर रहे हैं। विभागीय उच्चाधिकारियों को समय-समय पर पत्र भेजकर महाविद्यालय में मानक के अनुरूप स्टाफ तैनात कराने की मांग कर रहे हैं।
डॉ. अलका मेहरा, प्रभारी प्राचार्य
बीसलपुर के राजकीय महाविद्यालय में हो रहा शिक्षण। संवाद- फोटो : mathura
बीसलपुर के राजकीय महाविद्यालय में हो रहा शिक्षण। संवाद- फोटो : mathura
बीसलपुर के राजकीय महाविद्यालय में हो रहा शिक्षण। संवाद- फोटो : mathura