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Rampur News: एआरटीओ कार्यालय में नहीं खुला काउंटर, टीम सर्वर का डाटा लेकर गई
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रामपुर। एआरटीओ सहित तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद एआरटीओ कार्यालय में सन्नाटा छाया रहा। उप परिवहन आयुक्त बरेली क्षेत्र कमल कुमार गुप्ता और आरटीओ मुरादाबाद राजेश सिंह एक बजे एआरटीओ कार्यालय पहुंचे। उधर टीम सर्वर के डाटा को पेन ड्राइव में अपने साथ ले गईं। सोमवार को एआरटीओ कार्यालय में वाहनों की आरसी बदलने के लिए नया काउंटर नहीं खुला।
सरकारी वाहनों के लिए आरक्षित यूपी 22 बीजी सीरीज के नंबर निजी वाहन स्वामियों को देने के मामले में कार्रवाई के बाद विभागीय जांच भी तेज हो गई है। सोमवार को एआरटीओ कार्यालय पहुंचे उप परिवहन आयुक्त ने बताया कि जांच में सामने आया है कि यूपी 22 बीजी सीरीज के 9469 नंबर निजी वाहन स्वामियों को बांटे गए हैं। इसमें सबसे अधिक 8266 वाहन दोपहिया, 658 कार, 445 कृषि ट्रैक्टर, 60 मोपेड और 40 हार्वेस्टर को इस सीरीज के नंबर दिए गए हैं।
कहा कि अभी तक एआरटीओ और डीबीए की संलिप्तता सामने आई है। दो कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध मिली है। इसकी विस्तृत जांच की जा रही है।
एआरटीओ नहीं होने के कारण वाहनों के नहीं हुए रजिस्ट्रेशन
परिवहन विभाग की ओर से रामपुर एआरटीओ कार्यालय में एआरटीओ की नियुक्ति नहीं होने के कारण सोमवार को नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन नहीं हुए। उधर, पुराने वाहन ट्रांसफर की प्रक्रिया भी बंद रही। इसके अलावा अन्य विभागीय काम भी ठप रहे। सोमवार को सिर्फ लाइसेंस बनने और फिटनेस का काम ही हुआ।
नए काउंटर खुलते ही भेजे जाएंगे वाहन स्वामियों को नंबर
नोडल अधिकारी आरटीओ मुरादाबाद राजेश सिंह ने बताया कि मुख्यालय से नई सीरीज अभी जारी नहीं की गई है। नई सीरीज जारी होने और नए एआरटीओ की नियुक्ति के बाद ही नए काउंटर खोले जाएंगे। इसके बाद वाहन स्वामियों के मोबाइल नंबर में मैसेज भेजे जाएंगे। साथ ही उन्हें फोन करके बुलाया भी जाएगा। 60 दिन के भीतर यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
एआरटीओ को दी गई थी गलती की जानकारी
जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि एआरटीओ की ओर से जब सरकारी वाहनों की सीरीज के नंबर जारी हुए तो डीबीएम ने इसकी जानकारी एआरटीओ को दी। एआरटीओ ने इसके बाद भी इस सीरीज पर रोक नहीं लगाई। बचने के लिए एआरटीओ ने सीरीज जारी करने के आदेशों में अपने हस्ताक्षर भी नहीं किए। जांच में यह भी सामने आया है कि नई सीरीज जारी करने से पहले अखबारों में विज्ञापन देना अनिवार्य है। इसके बाद भी नई सीरीज जारी करने का विज्ञापन अखबारों में नहीं दिया गया।
आरटीओ ने उप परिवहन आयुक्त को भेजी रिपोर्ट में उठाए सवाल
आरटीओ मुरादाबाद ने एआरटीओ रामपुर की जांच रिपोर्ट उप परिवहन आयुक्त बरेली क्षेत्र को भेजी है। उसमें सबसे अंतिम पैरा में वाहन 4.0 पोर्टल की खामियां उजागर करते हुए कहा है कि एनआईसी की ओर से बनाए गए सॉफ्टवेयर में जी शृंखला को निजी वाहनों को जाने से रोकने का कोई इनबिल्ट प्रावधान नहीं है। रामपुर के अलावा झांसी और उन्नाव में भी ऐसी त्रुटियां सामने आईं, जहां निजी वाहनों को ‘जी’ नंबर आवंटित हुए। नीलाम सरकारी वाहनों के पुराने नंबर भी निजी मालिक इस्तेमाल कर रहे हैं, जिन्हें नए नंबर नहीं दिए गए।

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सरकारी वाहनों के लिए आरक्षित यूपी 22 बीजी सीरीज के नंबर निजी वाहन स्वामियों को देने के मामले में कार्रवाई के बाद विभागीय जांच भी तेज हो गई है। सोमवार को एआरटीओ कार्यालय पहुंचे उप परिवहन आयुक्त ने बताया कि जांच में सामने आया है कि यूपी 22 बीजी सीरीज के 9469 नंबर निजी वाहन स्वामियों को बांटे गए हैं। इसमें सबसे अधिक 8266 वाहन दोपहिया, 658 कार, 445 कृषि ट्रैक्टर, 60 मोपेड और 40 हार्वेस्टर को इस सीरीज के नंबर दिए गए हैं।
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कहा कि अभी तक एआरटीओ और डीबीए की संलिप्तता सामने आई है। दो कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध मिली है। इसकी विस्तृत जांच की जा रही है।
एआरटीओ नहीं होने के कारण वाहनों के नहीं हुए रजिस्ट्रेशन
परिवहन विभाग की ओर से रामपुर एआरटीओ कार्यालय में एआरटीओ की नियुक्ति नहीं होने के कारण सोमवार को नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन नहीं हुए। उधर, पुराने वाहन ट्रांसफर की प्रक्रिया भी बंद रही। इसके अलावा अन्य विभागीय काम भी ठप रहे। सोमवार को सिर्फ लाइसेंस बनने और फिटनेस का काम ही हुआ।
नए काउंटर खुलते ही भेजे जाएंगे वाहन स्वामियों को नंबर
नोडल अधिकारी आरटीओ मुरादाबाद राजेश सिंह ने बताया कि मुख्यालय से नई सीरीज अभी जारी नहीं की गई है। नई सीरीज जारी होने और नए एआरटीओ की नियुक्ति के बाद ही नए काउंटर खोले जाएंगे। इसके बाद वाहन स्वामियों के मोबाइल नंबर में मैसेज भेजे जाएंगे। साथ ही उन्हें फोन करके बुलाया भी जाएगा। 60 दिन के भीतर यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
एआरटीओ को दी गई थी गलती की जानकारी
जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि एआरटीओ की ओर से जब सरकारी वाहनों की सीरीज के नंबर जारी हुए तो डीबीएम ने इसकी जानकारी एआरटीओ को दी। एआरटीओ ने इसके बाद भी इस सीरीज पर रोक नहीं लगाई। बचने के लिए एआरटीओ ने सीरीज जारी करने के आदेशों में अपने हस्ताक्षर भी नहीं किए। जांच में यह भी सामने आया है कि नई सीरीज जारी करने से पहले अखबारों में विज्ञापन देना अनिवार्य है। इसके बाद भी नई सीरीज जारी करने का विज्ञापन अखबारों में नहीं दिया गया।
आरटीओ ने उप परिवहन आयुक्त को भेजी रिपोर्ट में उठाए सवाल
आरटीओ मुरादाबाद ने एआरटीओ रामपुर की जांच रिपोर्ट उप परिवहन आयुक्त बरेली क्षेत्र को भेजी है। उसमें सबसे अंतिम पैरा में वाहन 4.0 पोर्टल की खामियां उजागर करते हुए कहा है कि एनआईसी की ओर से बनाए गए सॉफ्टवेयर में जी शृंखला को निजी वाहनों को जाने से रोकने का कोई इनबिल्ट प्रावधान नहीं है। रामपुर के अलावा झांसी और उन्नाव में भी ऐसी त्रुटियां सामने आईं, जहां निजी वाहनों को ‘जी’ नंबर आवंटित हुए। नीलाम सरकारी वाहनों के पुराने नंबर भी निजी मालिक इस्तेमाल कर रहे हैं, जिन्हें नए नंबर नहीं दिए गए।