संभल में बोले रामभद्राचार्य: ननिहाल से लौटे भगवान कल्कि, 68 तीर्थ और 19 कूपों को विधर्मियों से मुक्त कराया
संभल के ऐंचोड़ा कंबोह में सात दिवसीय श्री कल्कि कथा का आयोजन हो रहा है। तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने लव जिहाद पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लव जिहाद के नाम पर हिंदू कन्याओं को फंसाया जा रहा है। यह चिंता का विषय है।
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संभल के गांव ऐंचोड़ा कंबोह में चल रही सात दिवसीय श्री कल्कि कथा के तीसरे दिन तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने भगवान कल्कि के नामकरण की कथा सुनाई। साथ ही कल्कि भगवान के ननिहाल से संभल लौटने का प्रसंग सुनाया।
बीच-बीच में भजन सुनाकर दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। प्रवचन करते हुए जगद्गुरु ने कहा कि कहा कि लोगों में जिज्ञासा है कि कल्कि भगवान के आगमन से पहले उनके अवतार को लेकर कल्पना कैसे हो सकती है। सार समझाते हुए कहा ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस तरह से चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण आदि का पता चल जाता है।
ठीक इसी तरह भगवान के अवतार की भी रचना की गई है। बताया कि राम के अवतार से पहले हिरणाकश्यप ने प्रह्लाद से पूछा कि राम कहां हैं, उन्होंने जवाब दिया कि हमारे भीतर हैं, खंभे के भीतर हैं। उन्होंने खंभे में मुक्का मारा और नृसिंह भगवान प्रकट हुए।
बताया कि जब राम कहकर उन्होंने भगवान को बुला लिया तो हम कल्कि पुराण की कथा कहकर क्यों नहीं बुला सकते। हम कल्कि पुराण की कथा कहकर भारत की भाग्य रेखा बदल सकते हैं। कल्कि कथा का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि सोमवार से कथा शुरू हुई और इसका ऐसा प्रभाव रहा कि भारत देश की संसद में वंदे मातरम पर बहस के लिए आपसी सहमति बन गई। विपक्ष को सद्बुद्धि मिल गई। यह कथा कल्याणवाहिनी है।
कल्कि भगवान के नामकरण में भिक्षु बनकर आए वेदव्यास, परशुराम व कृपाचार्य
कल्कि कथा के प्रसंग में कहा कि भारत में नियम था कि पहली या फिर आखिरी संतान होती थी तो गर्भवती महिला अपने मायके चली जाती थी। शस्त्र वर्णित ऐंचोड़ा कंबोह ही कम्बोज नगर है। इसी कम्बोज नगर में सुमति मैया आ गईं और यहां चौथी और अंतिम संतान भगवान कल्कि का जन्म हुआ।
यहां अन्नापूर्ण शर्मा ने कल्कि भगवान का लालन पालन किया। नामकरण प्रसंग में कहा कि वेदव्यास, परशुराम और कृपाचार्य भिक्षु का भेष बनाकर नामकरण के लिए आए। भगवान का नामकरण हुआ। उनका नाम कल्कि शर्मा रखा गया। इसके बाद ननिहाल से भगवान संभल ग्राम लौटे।
यहां 68 तीर्थ और 19 कूपों को विधर्मियों से मुक्त कराया। वैदिक धर्म की स्थापना की। भगवान ने माता-पिता के माध्यम से भक्तों को आश्वास्त कराया कि मेरे कई चरण हैं। भक्तों से कहो कि पापाचार का भगवान कल्कि चारों से संहार करेंगे। इस दौरान कथा में वंदे मातरम गूंजा।
गांव ऐंचोड़ा कंबोह में चल रही सात दिवसीय श्री कल्कि कथा के तीसरे दिन तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने लव जिहाद पर चिंता व्यक्त की।एजगद्गुुरु रामभद्राचार्य महाराज ने कहा जिस तरह से आज लव जिहाद के नाम पर हिंदू कन्याओं को फंसाया जा रहा है। यह चिंता का विषय है, लेकिन भारत का नाम मिटाने की सोचने वाले अधर्मियों कान खोलकर सुन लो, वह वक्त दूर नहीं जब पीओके हमारा होगा।
पड़ोसी देश का भूगोल से ही नाम मिट जाएगा। चीन पर कब्जा होगा। जिस तरह से एक-एक महिला के द्वारा 25-25 संतानों को जन्म दिया है, यह अब नहीं चलेगा। देश में समान नागरिक संहिता बनाने की जरूरत है।