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Sant Kabir Nagar News: टर्टाजिन रसायन से चमका रहे मसूर की दाल, रसमलाई में मैदा की मिलावट
संवाद न्यूज एजेंसी, संत कबीर नगर
Updated Thu, 04 Dec 2025 01:58 AM IST
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बाजार में बिक रही मसूर की दाल
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संतकबीरनगर। खाद्य पदार्थ की खरीदारी करते समय सतर्क रहने की जरूरत है। गुणवत्ता की परख करने के बाद ही खाद्य सामग्री की खरीदारी में भलाई है। आए दिन खाद्य पदार्थों में मिलावट के मामले सामने आ रहे हैं। खाद्य पदार्थों के नमूने जांच में फेल हो रहे हैं। हाल में आई जांच रिपोर्ट में मसूर की दाल और रसमलाई में मिलावट की पुष्टि हुई है। मसूर की दाल को चमकाने के लिए टर्टाजिन रसायन का इस्तेमाल किया गया है। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। रसमलाई में मैदा की मिलावट पाई गई है। नल्ली पापड़ में की जांच में सिंथेटिक कलर पाया गया है।
खाद्य सुरक्षा विभाग की तरफ चलाए जा अभियान में लिए गए खाद्य पदार्थों के नमूनों में मसूर की दाल में टर्टाजिन रसायन की मिलावट पाई गई है। इसके साथ ही रसमलाई में भी मिलावट मिली है। इसकी बिक्री करने वाले दुकानदारों के खिलाफ न्यायालय में वाद दायर करने की तैयारी शुरू हो गई है।
मालूम हो कि अप्रैल माह में खाद्य विभाग की टीम ने सब्जी मंडी खलीलाबाद स्थित एक फर्म पर छापा मारा था। वहां पर रंगीन मसूर की दाल पकड़ी गई थी। टीम ने दाल का सैंपल लखनऊ प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा था। उसकी रिपोर्ट आ गई है। जांच रिपोर्ट में मसूर की दाल में मिलावट पाई गई है। दाल में सनसेट येलो कलर की मिलावट पाई गई, जिससे दाल चमकदार थी। मंसूर की दाल में टर्टाजिन रसायन मिलाया गया था। जो एक फूड कलर है।
विशेषज्ञ के मुताबिक, इसे दाल में मिलाना प्रतिबंधित है। ऐसी मिलावटी दाल खाने से लिवर को क्षति पहुंचती है। इसके अलावा अप्रैल में ही खलीलाबाद स्थित एक दुकान से रसमलाई का नमूना जांच के लिए भेजा गया था। उसमें मैदा की मिलावट मिली है। इन दोनों संचालकों के खिलाफ सीजेएम न्यायालय में वाद दायर किए जाने की तैयारी है। साथ ही फरवरी में दूध का नमूना लिया गया था उसमें पानी की मिलावट पाई गई, जिसकी वजह से फैट कम हो गया था। मार्च में बखिरा और धनघटा में नल्ली पापड़ का नमूना लिया था। जांच में पता चला है कि उसमें सिंथेटिक कलर मिलाया गया था। इन सभी के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी चल रही है।
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मसूर की दाल की ऐसे करें पहचान
अगर आप मसूर की दाल की पहचान करनी है तो शीशे के गिलास में मसूर की दाल डालें और आधा गिलास पानी भर दें। उसके बाद उसे मिलाएं। अगर असली दाल होगी तो वह रंग नहीं छोड़ेगी। वहीं अगर मिलावट होगी तो लाल रंग छोड़ेगी। इससे पहचान हो जाएगी। अक्सर मिलावटखोर दाल पुरानी हो जाने पर उसमें रंग मिलाकर चमका देते हैं।
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मिलावटी दाल और रंगीन पापड़ पेट और लिवर के लिए खतरनाक
जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एसडी ओझा ने बताया कि मसूर की दाल में मिलावट से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इसका नियमित सेवन करने से पेट की समस्या के साथ ही लकवा की भी समस्या आ सकती है। ऐसे में दाल खरीदते समय सतर्कता जरूर बरतें। मिलावटी दाल खाने से आंख में दिक्कत और गैस की समस्या हो सकती है। परेशानी होने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
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मार्च-अप्रैल में छापेमारी की गई थी। उसका सैंपल जांच के लिए भेजा गया था। रिपोर्ट में मसूर की दाल, दूध, रसमलाई, नल्ली पापड़ आदि में मिलावट पाई गई है। पापड़ में सिंथेटिक कलर मिलाया गया था। इन सभी मामलों में कार्रवाई की जा रही है। -सतीश कुमार सहायक आयुक्त, खाद्य एवं औषधि प्रशासन
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खाद्य सुरक्षा विभाग की तरफ चलाए जा अभियान में लिए गए खाद्य पदार्थों के नमूनों में मसूर की दाल में टर्टाजिन रसायन की मिलावट पाई गई है। इसके साथ ही रसमलाई में भी मिलावट मिली है। इसकी बिक्री करने वाले दुकानदारों के खिलाफ न्यायालय में वाद दायर करने की तैयारी शुरू हो गई है।
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मालूम हो कि अप्रैल माह में खाद्य विभाग की टीम ने सब्जी मंडी खलीलाबाद स्थित एक फर्म पर छापा मारा था। वहां पर रंगीन मसूर की दाल पकड़ी गई थी। टीम ने दाल का सैंपल लखनऊ प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा था। उसकी रिपोर्ट आ गई है। जांच रिपोर्ट में मसूर की दाल में मिलावट पाई गई है। दाल में सनसेट येलो कलर की मिलावट पाई गई, जिससे दाल चमकदार थी। मंसूर की दाल में टर्टाजिन रसायन मिलाया गया था। जो एक फूड कलर है।
विशेषज्ञ के मुताबिक, इसे दाल में मिलाना प्रतिबंधित है। ऐसी मिलावटी दाल खाने से लिवर को क्षति पहुंचती है। इसके अलावा अप्रैल में ही खलीलाबाद स्थित एक दुकान से रसमलाई का नमूना जांच के लिए भेजा गया था। उसमें मैदा की मिलावट मिली है। इन दोनों संचालकों के खिलाफ सीजेएम न्यायालय में वाद दायर किए जाने की तैयारी है। साथ ही फरवरी में दूध का नमूना लिया गया था उसमें पानी की मिलावट पाई गई, जिसकी वजह से फैट कम हो गया था। मार्च में बखिरा और धनघटा में नल्ली पापड़ का नमूना लिया था। जांच में पता चला है कि उसमें सिंथेटिक कलर मिलाया गया था। इन सभी के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी चल रही है।
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मसूर की दाल की ऐसे करें पहचान
अगर आप मसूर की दाल की पहचान करनी है तो शीशे के गिलास में मसूर की दाल डालें और आधा गिलास पानी भर दें। उसके बाद उसे मिलाएं। अगर असली दाल होगी तो वह रंग नहीं छोड़ेगी। वहीं अगर मिलावट होगी तो लाल रंग छोड़ेगी। इससे पहचान हो जाएगी। अक्सर मिलावटखोर दाल पुरानी हो जाने पर उसमें रंग मिलाकर चमका देते हैं।
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मिलावटी दाल और रंगीन पापड़ पेट और लिवर के लिए खतरनाक
जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एसडी ओझा ने बताया कि मसूर की दाल में मिलावट से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इसका नियमित सेवन करने से पेट की समस्या के साथ ही लकवा की भी समस्या आ सकती है। ऐसे में दाल खरीदते समय सतर्कता जरूर बरतें। मिलावटी दाल खाने से आंख में दिक्कत और गैस की समस्या हो सकती है। परेशानी होने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
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मार्च-अप्रैल में छापेमारी की गई थी। उसका सैंपल जांच के लिए भेजा गया था। रिपोर्ट में मसूर की दाल, दूध, रसमलाई, नल्ली पापड़ आदि में मिलावट पाई गई है। पापड़ में सिंथेटिक कलर मिलाया गया था। इन सभी मामलों में कार्रवाई की जा रही है। -सतीश कुमार सहायक आयुक्त, खाद्य एवं औषधि प्रशासन