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Sant Kabir Nagar News: डाॅक्टर न दवाएं... 50 वर्ष पुराने अस्पताल काे इलाज की दरकार
संवाद न्यूज एजेंसी, संत कबीर नगर
Updated Wed, 02 Jul 2025 11:42 PM IST
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लोहरौली में स्थित आयुर्वेदिक चिकित्सालय

लोहरौली। सेमरियांवा स्वास्थ्य क्षेत्र में बीएमसीटी मार्ग पर लोहरौली में स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय इस समय क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने में नाकाम साबित हो रहा है। दूसरों का इलाज करने के लिए बनाया गया यह अस्पताल आज खुद ही बीमार दिखता है।
तीन माह से यहां पर आवश्यक दवाइयां नहीं हैं, जिसके चलते मरीजोंं को परेशानियां हो रही हैं। शुद्ध पेयजल व अन्य बुनियादी सुविधाओं का यहां पर पूरी तरह से अभाव है।
लगभग पचास वर्ष पूर्व क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए लोहरौली कस्बे में राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय की स्थापना की गई थी। चूंकि यहां पर दस किलोमीटर के एरिया में कोई आयुर्वेदिक अस्पताल नहीं था, इसलिए आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन करने वाले मरीज यहीं पर उपचार के लिए आते थे। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का यहां की दवाओं पर बहुत ही विश्वास था और वह इलाज करवाते थे। वर्तमान समय में भी यहां पर प्रतिदिन 60 से 70 मरीजों का उपचार ओपीडी में होता है।
पिछले तीन माह से यहां पर आवश्यक दवाएं नहीं हैं। जिसके चलते मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इलाज के लिए यहां पर आए दयाशंकर मणि त्रिपाठी, संतोष , सत्येंद्र, बृजेश, बालमुकुंद, संतराम, आशीष, राजेन्द्र, परशुराम, रामाज्ञा, राजू, भोलेनाथ, धर्मेंद्र, सुरेन्द्र, आशिफ, नियाज, अब्दुल रहमान, साधू, गंगाराम, वीरेन्द्र आदि लोगों का कहना है कि वर्तमान में यहां पर दवाएं नहीं मिल रही हैं।
यही नहीं मरीजों को पीने के पानी की भी समस्या हो रही है। गंदगी भी फैली है, सफाई की व्यवस्था बेहतर नहीं है। अस्पताल खुद बीमार लगता है। अस्पताल की प्रभारी चिकित्साधिकारी मातृत्व अवकाश पर हैं। इसलिए इनकी जगह पर वैकल्पिक चिकित्सक की व्यवस्था बहुत ही आवश्यक है।
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तीन माह से यहां पर आवश्यक दवाइयां नहीं हैं, जिसके चलते मरीजोंं को परेशानियां हो रही हैं। शुद्ध पेयजल व अन्य बुनियादी सुविधाओं का यहां पर पूरी तरह से अभाव है।
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लगभग पचास वर्ष पूर्व क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए लोहरौली कस्बे में राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय की स्थापना की गई थी। चूंकि यहां पर दस किलोमीटर के एरिया में कोई आयुर्वेदिक अस्पताल नहीं था, इसलिए आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन करने वाले मरीज यहीं पर उपचार के लिए आते थे। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का यहां की दवाओं पर बहुत ही विश्वास था और वह इलाज करवाते थे। वर्तमान समय में भी यहां पर प्रतिदिन 60 से 70 मरीजों का उपचार ओपीडी में होता है।
पिछले तीन माह से यहां पर आवश्यक दवाएं नहीं हैं। जिसके चलते मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इलाज के लिए यहां पर आए दयाशंकर मणि त्रिपाठी, संतोष , सत्येंद्र, बृजेश, बालमुकुंद, संतराम, आशीष, राजेन्द्र, परशुराम, रामाज्ञा, राजू, भोलेनाथ, धर्मेंद्र, सुरेन्द्र, आशिफ, नियाज, अब्दुल रहमान, साधू, गंगाराम, वीरेन्द्र आदि लोगों का कहना है कि वर्तमान में यहां पर दवाएं नहीं मिल रही हैं।
यही नहीं मरीजों को पीने के पानी की भी समस्या हो रही है। गंदगी भी फैली है, सफाई की व्यवस्था बेहतर नहीं है। अस्पताल खुद बीमार लगता है। अस्पताल की प्रभारी चिकित्साधिकारी मातृत्व अवकाश पर हैं। इसलिए इनकी जगह पर वैकल्पिक चिकित्सक की व्यवस्था बहुत ही आवश्यक है।