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अब ड्रोन से होगी गन्ना समेत अन्य फसलों की कीट-रोगों से सुरक्षा
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हरगांव (सीतापुर) चीनी मिल क्षेत्र में ड्रोन की मदद से फसलों पर कीटनाशी का किया जा रहा छिड़काव। विज
- फोटो : SHAHJAHANPUR
शाहजहांपुर। जनपद में अब ड्रोन के माध्यम से गन्ना समेत अन्य फसलों की कीट-रोगों से सुरक्षा की जाएगी। जिले में सहकारी गन्ना विकास समितियां ड्रोन खरीद कर उनके जरिये फसलों पर पोषक तत्वों, कवकनाशी और कीटनाशी रसायनों का छिड़काव कराएंगी। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास) संजय आर भूसरेड्डी ने सभी जिला गन्ना अधिकारियों से ड्रोन खरीदने के प्रस्ताव मांगे हैं। जनपद से इस आशय का प्रस्ताव बना कर भेज दिया है।
जिला गन्ना अधिकारी डॉ. खुशीराम भार्गव के अनुसार जिस तरह संचार क्षेत्र में टूजी तकनीक से हुई शुरुआत अब समुन्नत होकर फाइव-जी नेटवर्क तक पहुंच गई है, ठीक उसी तरह कृषि क्षेत्र विशेषकर गन्ना उत्पादन में वृद्धि के लिए नई तकनीकें खोजी जा रही हैं। किसानों को अधिक उपज मिले, इसके लिए जरूरी है कि नवीनतम तकनीक का खेती में प्रयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि ड्रोन तकनीक का प्रयोग इनमें से एक बेहतर विकल्प है, क्योंकि इसके उपयोग से बड़े क्षेत्रफल पर कम समय मे कीटनाशकों और पोषक तत्वों का छिड़काव करना संभव हो जाएगा और फसल की निगरानी भी आसानी से की जा सकेगी।
डीसीओ डॉ. भार्गव ने बताया एक ड्रोन की अनुमानित कीमत करीब दस लाख रुपये है और जनपद में ऐसे कुल चार ड्रोन खरीदे जाएंगे। दो ड्रोन पुवायां सहकारी गन्ना विकास समिति और दो अन्य ड्रोन रोजा सहकारी गन्ना विकास समिति से खरीदे जाएंगे। ड्रोन के दस लीटर के टैंक को रसायन से भरकर एक उड़ान में करीब एक एकड़ क्षेत्रफल में छिड़काव करना संभव हो सकेगा। उन्होंने बताया कि अपर मुख्य सचिव के आदेशानुसार जिले की दोनों सहकारी गन्ना समितियों के ड्रोन खरीद से संबंधित प्रस्ताव मुख्यालय भेज दिए गए हैं।
ये होंगे लाभ
कम समय में अधिक क्षेत्रफल पर छिड़काव हो सकेगा।
कीटनाशी छिड़काव को मजदूरों की समस्या से निजात मिलेगी।
कीटनाशी से मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर दुष्परिणाम कम होंगे।
फसलों पर समान रूप से छिड़काव से अच्छी उपज मिलेगी।
ड्रोन के उपयोग से फसल उत्पादन लागत में कमी आएगी।
फसलों पर छिड़काव करने में समय की बचत होगी।
गन्ना फसल बड़ी होने पर छिड़काव करना आसान होगा।
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जिला गन्ना अधिकारी डॉ. खुशीराम भार्गव के अनुसार जिस तरह संचार क्षेत्र में टूजी तकनीक से हुई शुरुआत अब समुन्नत होकर फाइव-जी नेटवर्क तक पहुंच गई है, ठीक उसी तरह कृषि क्षेत्र विशेषकर गन्ना उत्पादन में वृद्धि के लिए नई तकनीकें खोजी जा रही हैं। किसानों को अधिक उपज मिले, इसके लिए जरूरी है कि नवीनतम तकनीक का खेती में प्रयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि ड्रोन तकनीक का प्रयोग इनमें से एक बेहतर विकल्प है, क्योंकि इसके उपयोग से बड़े क्षेत्रफल पर कम समय मे कीटनाशकों और पोषक तत्वों का छिड़काव करना संभव हो जाएगा और फसल की निगरानी भी आसानी से की जा सकेगी।
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डीसीओ डॉ. भार्गव ने बताया एक ड्रोन की अनुमानित कीमत करीब दस लाख रुपये है और जनपद में ऐसे कुल चार ड्रोन खरीदे जाएंगे। दो ड्रोन पुवायां सहकारी गन्ना विकास समिति और दो अन्य ड्रोन रोजा सहकारी गन्ना विकास समिति से खरीदे जाएंगे। ड्रोन के दस लीटर के टैंक को रसायन से भरकर एक उड़ान में करीब एक एकड़ क्षेत्रफल में छिड़काव करना संभव हो सकेगा। उन्होंने बताया कि अपर मुख्य सचिव के आदेशानुसार जिले की दोनों सहकारी गन्ना समितियों के ड्रोन खरीद से संबंधित प्रस्ताव मुख्यालय भेज दिए गए हैं।
ये होंगे लाभ
कम समय में अधिक क्षेत्रफल पर छिड़काव हो सकेगा।
कीटनाशी छिड़काव को मजदूरों की समस्या से निजात मिलेगी।
कीटनाशी से मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर दुष्परिणाम कम होंगे।
फसलों पर समान रूप से छिड़काव से अच्छी उपज मिलेगी।
ड्रोन के उपयोग से फसल उत्पादन लागत में कमी आएगी।
फसलों पर छिड़काव करने में समय की बचत होगी।
गन्ना फसल बड़ी होने पर छिड़काव करना आसान होगा।